क्या है सपिंड विवाह जिस पर SC ने लगाई है रोक?

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हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा के अनुसार, कोई हिंदू व्यक्ति माता और पिता की ओर से भाई-बहन से विवाह नहीं कर सकता।

हिंदू विवाह ऐसे व्यक्तियों के बीच नहीं हो सकता, जिनकी तीन पीढ़ियां एक ही वंश से आती हों।

हिंदू विवाह अधिनियम में सपिंड विवाह प्रतिबंधित है, क्योंकि इसमें विवाह एक ही परिवार में होता है।

सपिंड विवाह एक ही पिंड के बच्चों के बीच होता है, जिसके लिए सजा का उल्लेख किया गया है।

ऐसा करने पर 1 महीने की सजा या 1000 रुपये तक का जुर्माना है।

एक ही गोत्र में विवाह करने से बच्चों में आनुवंशिक विकार होते हैं।

सपिंड विवाह आज भी समाज में मान्य है, लेकिन हिंदू समाज ऐसे विवाहों को प्रोत्साहित नहीं करता।