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अपने बच्चों की हत्यारी थी देवी, अब धोती है लोगों के पाप !
कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान का एक विशेष महत्व होता है, जिससे पाप नष्ट होते हैं।
गंगा स्नान को कार्तिक स्नान भी कहा जाता हैं।
महाभारत काल से गंगा स्नान की परंपरा चली आ रही है, जो भीष्म पितामह निभाते थे।
भीष्म गंगा से उलझनों में सलाह लेते थे और रोजाना गंगा स्नान किया करते थे।
मां गंगा अपने सात पुत्रों को मृत्यु के बाद बहा देती थी, ताकि वे कोई दुख
न भोगें।
ऋषि वशिष्ठ ने गंगा को श्राप दिया था कि उसके सभी पुत्र दुख भोगेंगे।
लेकिन आठवें पुत्र देवव्रत को गंगा बहा नहीं पाई, जो बाद में भीष्म पितामह बने।
भागीरथ के प्रयास से गंगा धरती पर आई थी और पाप धोने वाली पवित्र नदी बन गई।