India News Haryana (इंडिया न्यूज), Stubble Burning: हरियाणा में इस साल पराली जलाने की घटनाओं में काफी कमी आई है, जिससे वायु प्रदूषण पर नियंत्रण पाने में मदद मिली है। पिछले सालों की तुलना में इस बार किसानों ने पराली जलाने के बजाय उसे बेलर मशीनों से गांठों में तब्दील किया, जिससे न केवल पर्यावरण को फायदा हुआ, बल्कि किसानों को भी एक प्रभावी विकल्प मिला।
कृषि विभाग और सरकार द्वारा किसानों को बेलर मशीनों पर सब्सिडी देने के कारण इस तकनीक का उपयोग बढ़ा है। इन मशीनों से पराली को छोटे गांठों में बदला जाता है, जिसे खेतों में जलाने की बजाय अन्य उपयोगों के लिए भेजा जा सकता है। कुरुक्षेत्र, करनाल, जींद और फतेहाबाद जैसे जिलों में किसानों ने इस तकनीक का सफलतापूर्वक इस्तेमाल किया है, जिससे पराली जलाने के मामले में भारी कमी आई है।
इस साल, कुरुक्षेत्र जिले में केवल 132 पराली जलाने की घटनाएं हुईं, जो कि पिछले साल 538 थी। किसानों ने पराली को जलाने के बजाय उसे बेलर मशीनों से व्यवस्थित किया और इसे पशुओं के चारे के रूप में इस्तेमाल किया या फिर अन्य उद्देश्यों के लिए भेजा। मानसून के समय पर विदाई और समय से खेतों की सफाई होने से किसानों को रबी फसल की तैयारी के लिए पर्याप्त समय मिला, जिससे पराली जलाने की जरूरत नहीं पड़ी।
हालांकि, अभी भी पराली का एक बड़ा हिस्सा बिजली संयंत्रों तक पहुंचाने के लिए सरकार की मदद की आवश्यकता है। किसानों और सरकारी अधिकारियों का मानना है कि इस नई योजना की सफलता से आने वाले सालों में पराली जलाने की घटनाओं में और कमी आएगी, जो दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण की समस्या को हल करने में मददगार साबित होगी।