India News Haryana (इंडिया न्यूज), Muslim Personal Law: भारत एक लोकतांत्रिक देश है और इस देश में हर व्यक्ति को अपने हिसाब से जीने, रहने और खाने का हक है। साथ ही यहाँ को लोग किस धर्म के लिए आस्था रखते हैं ये भी उनपर ही निर्भर खरता है। जी हाँ, भारत में धर्म को लेकर उनके अपने पर्सनल लॉ है। जिसके चलते उस धर्म के लोग अपनी मन मर्जी मुताबिक शादी करते हैं और प्रॉपर्टी का भी बंटवारा करते हैं। लेकिन क्या आपको बता है कि मुस्लिम लड़कियों को उनका धर्म छोड़ने पर उनके पुश्तैनी प्रॉपर्टी में कितना हिस्सा मिलता है। अगर मिलता है तो इसके लिए क्या नियम हैं। इस खबर में आज हम आपको इससे जुडी जानकारी देंगे।
जैसा की आप सभी जानते हैं कि अपने देश में धर्म को लेकर हर किसी का पर्सनल लॉ हैं। अगर बात करें हिन्दू धर्म की तो इस धर्म में उत्तराधिकार अधिनियम 1956 के प्रावधानों के मुताबिक हिंदू, सिख, जैन और बौद्ध धर्म को मानने वालों में प्रॉपर्टी का बंटवारा होता है। अब आपके मन में सवाल उठ रहा होगा क्या ऐसा ही कोई कानून मुस्लिम लड़कियों के लिए है या नहीं? तो आपको बता दें, कि शरीयत एक्ट 1937 के मुताबिक मुसलमानों में उत्तराधिकार और संपत्ति संबंधित विवाद का निपटारा होता है। बता दें कि हिन्दुओं में जहां बेटी पिता की संपत्ति में बराबर की हकदार है, वहीं मुस्लिम लॉ के अनुसार एक मुस्लिम परिवार में जन्मी लड़की भी पिता की संपत्ति में उतनी ही हकदात है जितना उसका भाई ।
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मुस्लिमों में शरीयत एक्ट 1937 के मुताबिक संपत्ति या पैसे का बंटवारा पर्सनल लॉ के तहत ही होता है। साथ ही अगर किसी शख्स की मौत होती है, तो उसके संपत्ति में उसके बेटे, बेटी, विधवा और माता-पिता का हक होता है। इस दौरान बेटे से आधी संपत्ति बेटी को देने का प्रावधान है। वहीं पति की मौत के बाद विधवा को संपत्ति का छठवां हिस्सा दिया जाता है।
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