हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने अधिकारियों के साथ बैठक की अध्यक्षता की और निर्देश दिए हैं, कि वे मनरेगा के तहत किए जाने वाले कार्यों में ऐसी संभावनाओं को तलाशें जिनसे मजदूरों के साथ-साथ किसानों को भी लाभ मिल सके, राज्य में पारंपरिक फसलों की बजाए अन्य नगदी फसलें लगाने के लिए किसानों को प्रेरित करें, उन्होंने कृषि और बागवानी के क्षेत्र में दूसरे राज्यों के ‘सफल-किसानों’ की तकनीक का अध्ययन करने के भी निर्देश हैं, जिससे उनका प्रयोग करके प्रदेश का किसान और अधिक समृद्ध और खुशहाल हो सके।
उपमुख्यमंत्री ने ली ग्रामीण अधिकारियों के साथ बैठक
जानकारी के अनुसार हरियाणा के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक की अध्यक्षता की, और मनरेगा के तहत किए जा रहे कार्यों की समीक्षा की, इस अवसर पर ग्रामीण विकास विभाग के महानिदेशक विकास यादव, विकास और पंचायत विभाग के महानिदेशक आर.सी बिढ़ान समेत अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।
डिप्टी सीएम ने बैठक के बाद जानकारी दी कि राज्य सरकार मनरेगा के तहत अधिक से अधिक काम करा रही है, प्रदेश में वर्ष 2019-20 के दौरान जहां मनरेगा योजना में 370 करोड़ रूपए के कार्य कराए गए वहीं वर्ष 2020-21 के दौरान पिछले साल से दो गुणा से भी अधिक 802 करोड़ रूपए खर्च किए गए हैं, उन्होंने बताया कि इस बार ग्रामीण क्षेत्र में मनरेगा के तहत और अधिक कार्य करने के लिए अधिकारियों को कृषि, बागवानी,वन, सिंचाई, जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी, लोक निर्माण विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग, युवा और खेल मामले विभाग समेत अन्य विभागों में योजनाबद्घ ढंग से काम करने के निर्देश देते हुए 1200 करोड़ रूपए खर्च करने का लक्ष्य रखा है।
डिप्टी सीएम ने इस अवसर पर कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में किसानों के पास कृषि-जोत कम होती जा रही है, राज्य में करीब 80 प्रतिशत ऐसे किसान हैं। जिनके पास 5 एकड़ से भी कम कृषि भूमि है, अधिकतर किसान पारंपरिक फसलों की बिजाई करते आ रहे हैं, जबकि नगदी फसलों से किसान अधिक आय प्राप्त कर सकता है, उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का उद्देश्य इन छोटे किसानों को फसल विविधिकरण के लिए प्रेरित करते हुए उनका रूझान फल और सब्जियों के अलावा अन्य नगदी फसलों की तरफ करना है, जिससे उनकी आमदनी बढ़ सके।