मुख्यमंत्री नायब सिंह के अपने पास गृह मंत्रालय रखने के गूढ़ मायने
India News Haryana (इंडिया न्यूज), Haryana Government Portfolios : हरियाणा में नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में लगातार तीसरी बार भाजपा सरकार बनाते हुए मंत्रियों के विभागों का बंटवारा कर चुकी है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने गृह, वित्त, आबकारी एवं कराधान समेत 13 से अधिक मंत्रालय अपने पास रखते हुए खुद को कहीं ज्यादा सशक्त रखा है। वहीं जैसे कि पहले ही उम्मीद की जा रही थी कि अबकी बार उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के विपरीत खुद के पास गृह मंत्रालय रखना मुनासिब समझा। नायब सिंह सैनी के बाद तीन ऐसे मंत्री जिनमें महिपाल ढांडा, डॉ. अरविंद शर्मा और राव नरबीर सिंह शामिल हैं, जिनको 4-4 विभाग दिए हैं।
वही पिछली बार सीएम के बाद सबसे ज्यादा पावरफुल पोर्टफोलियो पाने वाले और अबकी बार 7वीं बार विधायक बने अनिल विज को तीन विभाग दिए गए हैं। अनिल विज के अलावा विपुल गोयल, श्याम सिंह राणा, कृष्ण कुमार बेदी, आरती राव और गौरव गौतम को 3-3 विभाग दिए गए हैं। उपरोक्त में अलावा कृष्णलाल पंवार, रणबीर गंगवा, श्रुति चौधरी और राजेश नागर को 2-2 विभाग दिए गए हैं। अनिल विज बिजली, परिवहन और श्रम मंत्रालय संभालेंगे तो आरती राव को स्वास्थ्य, विपुल गोयल को शहरी स्थानीय निकाय, कृष्ण लाल पंवार को पंचायत, महिपाल ढांडा को शिक्षा, श्याम सिंह राणा को कृषि तथा गौरव गौतम को खेल विभाग की जिम्मेदारी दी जाएगी।
मुख्यमंत्री सैनी तथा उनके 13 मंत्रियों ने 17 अक्टूबर को पंचकूला में आयोजित भव्य समारोह में शपथ ली थी। शपथ ग्रहण के अगले ही दिन 18 अक्टूबर को मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी नई दिल्ली के लिए रवाना हो गए थे। केंद्रीय नेतृत्व के साथ दो दिन तक चली चर्चा के बाद मंत्रियों के विभागों की घोषणा की गई है। सीएम के बाद सबसे पहले अंबाला कैंट विधायक अनिल विज ने शपथ ली, उनके बाद कृष्ण लाल पंवार, राव नरबीर सिंह, महिपाल ढांडा, विपुल गोयल, अरविंद शर्मा, श्याम सिंह राणा, रणबीर गंगवा, कृष्ण कुमार बेदी 10वें नंबर पर, फिर श्रुति चौधरी, आरती राव, राजेश नागर और अंत में गौरव गौतम ने शपथ ली।
साल 2019 में गृह मंत्री बनने के कुछ ही समय बाद हरियाणा पुलिस के अफसरों के तबादलों को लेकर सरकार में तब गृह मंत्री अनिल विज और मुख्यमंत्री मनोहर लाल के बीच तकरार बढ़ गई थी। विज की मर्जी के बगैर हुए इन तबादलों को लेकर विज ने सीएम को पत्र लिखकर पूछा था कि ऐसा क्यों किया गया। पत्र में रूल्स आफ बिजनेस का हवाला देकर अनिल विज ने कहा कि पुलिस के तबादले से पहले गृह मंत्री होने के नाते से उन्हें पूरी जानकारी दी जानी चाहिए थी जोकि नहीं दी गई।
दिसंबर 2019 में सीनियर आईपीसी अफसरों की ट्रांसफर लिस्ट बनाकर गृह विभाग के तत्कालीन एसीएस को भेजी गई थी, जो मुख्यमंत्री के आदेश बताए गए। इन आईपीएस अफसरों के तबादलों संबंधी लिस्ट की कापी गृह मंत्री अनिल विज को भेजी गई थी। विज के पास लिस्ट पहुंची तो उन्होंने तुरंत ही सरकार को जवाब भेज दिया, जिसमें उन्होंने लिखकर कहा कि मैं भेजी गई इस ट्रांसफर लिस्ट से सहमत नहीं हूं। इसके अलावा सीआईडी की रिपोर्टिंग और पुलिस अधिकारियों को किसी अन्य विभाग में अप्वॉइंट करने को लेकर भी अनिल विज ने अपनी नाराजगी जताई थी। ऐसे में इन तमाम पहलुओं को देखते हुए माना जा रहा है कि नायब सिंह सैनी ने गृह मंत्रालय अपने पास ठीक रखना उचित समझा
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करीब दो दशक बाद 2019 में ऐसा पहली बार हुआ जब किसी मुख्यमंत्री ने अपने पास गृह मंत्रालय नहीं रखते हुए किसी अन्य मंत्री को अलॉट कर दिया था। तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने गृह मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार खुद की बजाय कैबिनेट मंत्री और विधायक अनिल विज को दे दिया था । साल 2019 तक पिछले दो दशक से ज्यादा अवधि को देखें तो मुख्यमंत्री चाहे ओम प्रकाश चौटाला रहे हों, भूपेंद्र सिंह हुड्डा हों या में मनोहर लाल खट्टर के पहले बतौर सीएम का पहले कार्यकाल, किसी भी मुख्यमंत्री ने गृह मंत्रालय का चार्ज किसी और मंत्री को नहीं दिया था और हमेशा ही यह मंत्रालय मुख्यमंत्री के पास ही रहा।
हालांकि, कुछ मुख्यमंत्रियों ने बीच में गृह मंत्रालय के लिए राज्यमंत्री भी अटैच किए थे लेकिन फिर भी गृह मंत्रालय का मुख्य कामकाज खुद मुख्यमंत्री ने ही संभाला। दरअसल, गृह मंत्रालय के अंदर राज्य की पुलिस और तमाम जिलों के डीसी व पूरा प्रशासनिक अमला आता है। इसी वजह से कोई भी मुख्यमंत्री गृह मंत्रालय को अपने पास ही रखना ठीक समझता है। हरियाणा के गृह मंत्री बनाए जाने पर अनिल विज ने उस समय कहा था कि डिपार्टमेंट देने का विशेषाधिकार मुख्यमंत्री का होता है और वो जो डिपार्टमेंट देना चाहें वो दे सकते हैं। सरकार में कद डिपार्टमेंट से नहीं वरिष्ठता से होता है और मैं वरिष्ठ हूं, इसमें कुछ कहने की जरूरत नहीं है।
जहां अबकी बार हरियाणा सरकार ने एक साथ सभी मंत्रियों को शपथ दिलकर उनको विभाग बांटे गए तो इनमें से दो महिला मंत्रियों को ठीक-ठाक विभाग देकर कैबिनेट में संतुलन बनाने का प्रयास भी किया है। लगातार छठी बार सांसद बने केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत की बेटी आरती राव को हेल्थ और मेडिकल एजुकेशन समेत कुल 3 विभाग अलॉट किए गए हैं तो भाजपा द्वारा राज्यसभा भेजी गई करण चौधरी की बेटी श्रुति चौधरी को महिला व बाल विकास मंत्रालय के साथ दो विभाग दिए हैं। हालांकि इससे पूर्व की सरकारों में आमतौर पर एक ही महिला मंत्री बनाई जाती रही, लेकिन अबकी बार भाजपा ने दो महिला चेहरे को कैबिनेट में जगह देकर एक नई परंपरा शुरू करने का काम किया।
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