दिल्ली की जंग जीतने के लिए हरियाणा के भाजपा नेताओं ने झोंकी ताकत, कांग्रेस से महज कुछ नेता
India News Haryana (इंडिया न्यूज), Delhi Assembly Elections : दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर सत्ताधारी भाजपा जहां आम आदमी पार्टी का तिलिस्म तोड़ने के लिए हरसंभव जुगत में है, वहीं आम आदमी पार्टी लगातार चौथी बार सत्ता पाने के लिए पूरी ताकत झोंक रही है। हरियाणा से सटा दिल्ली देश की राजधानी होने के चलते राजनीतिक लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है। हरियाणा के नेता दिल्ली में महत्वपूर्ण भूमिका क्यों निभाते हैं, ये संबंधित प्रश्न इसलिए उठता है, क्योंकि दिल्ली हरियाणा के गुरुग्राम, सोनीपत, झज्जर और फरीदाबाद सीधे दिल्ली से जुड़े हुए हैं और यहां के नेताओं को दिल्ली के वोटर्स पर भी किसी न किसी तरह से प्रभाव व जुड़ाव है।
चुनाव प्रचार को लेकर सभी राजनीतिक दलों ने स्टार प्रचारकों की लिस्ट जारी कर दी है। भाजपा हरियाणा में मिली लगातार तीसरी जीत को दिल्ली में कैश करने की जुगत में है और पार्टी के दर्जन पर से ज्यादा हरियाणा के सीनियर नेताओं की ड्यूटी चुनाव प्रचार में लगाई है। भाजपा नेता दिल्ली चुनाव में बड़ी जीत का दावा कर रहे हैं और कह रहे हैं कि 8 फरवरी को दिल्ली को डबल इंजन की सरकार मिलेगी।
दिल्ली विधानसभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल और वर्तमान मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को स्टार प्रचारक की लिस्ट में प्रमुखता दी गई है और दोनों पार्टी नेताओं के साथ बैठक कर चिंतन मंथन करते हुए प्रचार में जुटे हैं। मनोहर लाल को सरकार चलाने के साथ-साथ संगठन चलाने का भी काफी अनुभव है। बतौर सीएम दूसरी पारी में संगठनात्मक और सरकारी कौशल का परिचय देते हुए उन्होंने जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के साथ हाथ मिलाया, जिसने भाजपा विरोधी वोटों से जीत हासिल की और साढ़े चार साल तक सफलतापूर्वक सरकार चलाई।
नायब सिंह सैनी ने अपने संगठनात्मक कौशल का परिचय देते हुए हरियाणा में सफलतापूर्वक चुनाव लड़ा और पहली बार में भाजपा ने सबसे ज्यादा 48 विधानसभा सीटें हासिल कर सरकार बनाने में सफलता हासिल की जिससे पार्टी में उनका कद और बढ़ गया। उनके नेतृत्व में हरियाणा में पार्टी के प्रदर्शन को देखते हुए उन्हें दिल्ली चुनाव में स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल किया गया।
भाजपा ने जहां हरियाणा से दर्जनभर से ज्यादा दिग्गज नेताओं को चुनाव प्रचार में उतारा है वहीं कांग्रेस में हरियाणा से केवल तीन ही बड़े नेताओं को प्रचार की कमान दी है, जिनमें कुमारी, सैलजा रणदीप सुरजेवाला और दीपेंद्र हुड्डा का नाम है। उम्मीद के विपरीत भूपेंद्र सिंह हुड्डा को चुनाव प्रचारकों की स्टार लिस्ट में जगह नहीं मिली। कांग्रेस द्वारा हरियाणा से महज तीन नेताओं को चुनाव प्रचार की कमान दिए जाने के पीछे हरियाणा में विधानसभा चुनाव में मिली हार मुख्य कारण माना जा रहा है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि हरियाणा कांग्रेस में दोनों हुड्डा और सैलजा गुट के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए भी ज्यादा चेहरों को दिल्ली विधानसभा चुनाव प्रचार में जिम्मेदारी नहीं दी गई।
भाजपा से मनोहर लाल और हरियाणा के वर्तमान मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के अलावा कई बड़े चेहरे चुनाव प्रचार में उतरे हुए हैं। इनके अलावा दो महिला मंत्री श्रुति चौधरी और आरती राव भी चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी संभालेंगे तो आरती राव के पिता और केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत और बीजेपी राज्यसभा सांसद किरण चौधरी भी चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि किरण चौधरी दिल्ली की राजनीति में सक्रिय रही हैं और विधानसभा में डिप्टी स्पीकर का पद संभाल चुकी हैं। राव की बेटी आरती राव को पहली बार विधायक बनने के बाद हरियाणा सरकार में स्वास्थ्य मंत्री के रूप में राज्य मंत्रिमंडल में जगह दी गई है। किरण चौधरी ने 1998 में दिल्ली कैंट विधानसभा से चुनाव जीता था, उसके बाद 2003 तक वह दिल्ली विधानसभा की उपाध्यक्ष भी रहीं। इनके अलावा कैबिनेट मिनिस्टर अरविंद शर्मा और कृष्ण लाल पवार भी प्रचार कर रहे हैं।
उपर्युक्त के क्रम में बता दें कि हरियाणा से हर वर्ग के हजारों लोग हर दिन दिल्ली आते हैं, जिसका कुछ हद तक दिल्ली की राजनीति पर भी असर पड़ता है, क्योंकि उनके रिश्तेदार और करीबी दिल्ली के निवासी हैं। इसके अलावा, राज्य के 12 जिले दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में आते हैं। हरियाणा के नेताओं के दिल्ली के लोगों से रिश्तेदारी व जुड़ाव भी है जिसको सभी पार्टियां वोट में में बदलना चाहती हैं।
जातीय समीकरण दिल्ली की राजनीति में बेहद अहम भूमिका निभाते हैं और इस लिहाज से भी हरियाणा के नेताओं की ड्यूटी चुनाव में लगाई गई है। चुनाव में आरक्षित वर्ग ओबीसी और जाट समुदाय को लुभाने के लिए भाजपा और कांग्रेस ने नेताओं को चुनाव प्रचार में उतारा है।
जाट वर्ग को लुभाने के लिए भाजपा ने जहां महिपाल ढांडा, श्रुति चौधरी और किरण चौधरी को कमान दी है तो वहीं कांग्रेस ने रणदीप सुरजेवाला और दीपेंद्र हुड्डा को प्रचार में उतारा है। एससी समुदाय को लुभाने के लिए भाजपा ने हरियाणा से कैबिनेट मिनिस्टर कृष्ण बेदी और कृष्ण लाल पवार और कांग्रेस ने राष्ट्रीय महासचिव कुमारी सैलजा को बड़ी जिम्मेदारी दी है। इसके अलावा, यह भी उल्लेखनीय है कि वह ओबीसी वर्ग की वोटर को खेमे में लाने की जिम्मेदारी खुद मुख्यमंत्री नायब सिंह सिंह सैनी के जिम्मे है।
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