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Junior Warrant Officer Ravinder Gahlyan : यूक्रेन में फंसे भारतीय विद्यार्थियों को सुरक्षित भारत पहुंचाने वाले एयरफोर्स ऑफिसर का राजकीय सम्मान के साथ किया अंतिम संस्कार

• LAST UPDATED : September 10, 2024
  • जौरासी गांव के रविंद्र ने अफगानिस्तान, यूक्रेन, सूडान, अफ्रीका व अन्य देशों में भी पैरा कमांडो के रूप में ऑपरेशन करने का किया था काम
  • वायु सेवा के करीब 30 से 35 जवान पहुंचे रविंद्र के घर परिवार के लोगों के साथ की सभी रसमें अदा

India News Haryana (इंडिया न्यूज), Junior Warrant Officer Ravinder Gahlyan : यूक्रेन और रूस के युद्ध के चलते यूक्रेन में फंसे हुए भारत के विद्यार्थियों को सुरक्षित भारत पहुंचने में अपनी अहम भूमिका निभाने वाले एयरफोर्स में जूनियर वारंट ऑफिसर से रिटायर रविंद्र गाहल्याण का अचानक देहांत होने पर एयर फोर्स के जवानों के द्वारा राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया।

Junior Warrant Officer Ravinder Gahlyan : समालखा के श्मशान घाट में उनका अंतिम संस्कार किया

गौरतलब है कि रविंद्र गाहल्याण वर्ष 2004 में एयरमैन के रूप में एयरफोर्स में भर्ती हुए थे और करीब 20 सालों की नौकरी के दौरान वह जूनियर वारंट ऑफिसर के रूप में फरवरी 2024 में रिटायर हो गए थे। वह अपने परिवार के साथ रह रहे थे, अचानक उनका देहांत हो गया तो एयरफोर्स के करीब 30 से 35 की संख्या में अधिकारी जवान यहां पर आए और समालखा में पूरे राजकीय सम्मान के साथ समालखा के श्मशान घाट में उनका अंतिम संस्कार किया गया।

बहुत ही अच्छी नियत और ईमानदारी को लेकर उन्होंने काम किया

जौरासी गांव में एक साधारण परिवार में जन्म लेने वाले रविंद्र एयरफोर्स में नौकरी करते-करते रविंद्र ने यूक्रेन युद्ध में फंसे हुए भारतीय विद्यार्थियों को बचाने में अपनी अहम भूमिका निभाई, लेकिन जम्मू कश्मीर, छत्तीसगढ़ व अन्य नक्सली और आतंकवादी इलाकों में भी रविंद्र ने अपनी विशेष ऑपरेशन चला कर लड़ाइयां लड़ी, इतना ही नहीं अफगानिस्तान में ऑपरेशन दुर्गा शक्ति में भी रविंद्र भारत की वायु सेवा के एक अच्छे अधिकारी के रूप में वहां गए, इसके बाद उन्होंने सूडान में भी भारत की ओर से प्रतिनिधित्व किया, कुल मिलाकर रविंद्र पैरा कमांडो के रूप में इन सभी जगह काम कर चुके थे, और बहुत ही अच्छी नियत और ईमानदारी को लेकर उन्होंने काम किया।

रिटायरमेंट होने के बाद भी समाज में अपनी अच्छी पहचान बनाई

इतना ही नहीं उन्होंने भारतीय वायु सेवा के माध्यम से अफ्रीका भी जाने का मौका मिला और वहां पर भी उन्होंने भारत और वायु सेवा में का नाम ऊंचा करने का काम किया, उल्लेखनीय है कि जहां पर भी कोई आपदा आती थी तो रविंद्र उसमें अपनी टीम को लेकर रेस्क्यू करने के लिए जाते थे। 19 वर्ष की आयु में रविंद्र एयरफोर्स में भर्ती हुए और 39 वर्ष की आयु में वह देश की सेवा करते-करते रिटायर भी हो गए, कुल मिलाकर रविंद्र एक ऐसा व्यक्ति रहे, जिन्होंने रिटायरमेंट होने के बाद भी समाज में अपनी अच्छी पहचान बनाई। रविंद्र अपने पीछे अपनी पत्नी रेणु, 12 वर्षीय बेटी आकृति और 8 वर्ष के बेटे समर्थ को छोड़ गए, हमें उनके कार्यों से प्रेरणा लेनी चाहिए, ताकि हम अपनी मातृभूमि और देश सेवा में अच्छी भूमिका निभा सके।

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