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कंडोम बना युद्ध में सबसे बड़ा हत्यारा...कई सैनिकों की ली जान !

द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान कंडोम का इस्तेमाल यौन सुरक्षा के बजाय राइफलों की रक्षा के लिए किया जाता था।  

सैनिकों ने कंडोम को राइफल की बैरल पर चढ़ा दिया ताकि वह पानी और कीचड़ से बच सकें।  

राइफल्स को जंग लगने और खराब होने से बचाने के लिए कंडोम एक प्रभावी उपाय साबित हुआ।  

कंडोम की रबर सामग्री पानी और धूल से सुरक्षा प्रदान करती थी, जिससे राइफल की कार्यक्षमता बनी रहती थी।  

ये हल्के और आसानी से उपलब्ध होते थे, जिनका उपयोग सैनिक अपनी किट में कर सकते थे।  

कंडोम का इस्तेमाल करने से राइफलों की मरम्मत पर होने वाला खर्च भी कम हुआ।  

इससे सैनिकों को लंबे समय तक अच्छी स्थिति में राइफलें मिलती थीं, जो युद्ध के दौरान फायदेमंद होती थीं।  

द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद कई नए उपकरणों ने कंडोम के स्थान को लिया, लेकिन यह तरीका आज भी याद किया जाता है।