इतिहासतकारों ने मुगलों को बारे में काफी कुछ लिखा है, जिसे पढ़कर मालूम होता है कि उनकरा रहन-सहन कैसा था
पन्नों में लिखा गया है कि मुगलों के खाने का जिम्मा खानेसामे और हकीम के अंदर होता था
हकीम ये देखता था कि उस खाने में बादशाहों की ताकत बरकरार रखने के सारे गुण हो
ऐसा भी कहा जाता है कि चावल के दानों पर चांदी का वर्क लगाकर मुगल बादशाह को दिया जाता था
वहीं शाहजहां ने अपनी कामोत्तेजना को बढ़ावा देने के लिए पूरे जीवन तक कई दवाओं का सेवन किया
बादशाह अपनी मर्दाना ताकत को बढ़ाने के लिए सोने की अशर्फी से तैयार भस्म को खाने में मिलवाते थे