P.C- Pinterst
सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम तलाकशुदा महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक फैसला सुनाया है।
कोर्ट ने कहा है कि तलाकशुदा मुस्लिम महिला को अपने पति के खिलाफ भरण-पोषण के लिए CrPc की धारा 125 के तहत याचिका दायर करने का अधिकार है।
जस्टिस बीवी नागरत्ना और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने यह फैसला सुनाते हुए एक मुस्लिम व्यक्ति की याचिका को खारिज कर दिया।
मुस्लिम तलाकशुदा महिलाओं को अपने पूर्व पति से भरण-पोषण की मांग करने का कानूनी अधिकार मिल गया है, जो पहले केवल हिंदू महिलाओं के लिए ही उपलब्ध था।
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला महिलाओं के अधिकारों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, जिससे समाज में लैंगिक समानता को बल मिलेगा।
यह फैसला महिलाओं के आर्थिक अधिकारों और उनके जीवन-यापन के मानकों को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला महिला अधिकारों की दिशा में एक बड़ा कदम है और यह सुनिश्चित करेगा कि तलाकशुदा महिलाएं आर्थिक रूप से सुरक्षित रहें और समाज में सम्मानजनक जीवन जी सकें।