यहां की महिलाएं कभी नहीं बनना चाहती हैं मां! जानिए क्यों
P.C: Pinterest
आइसलैंड लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिए माता और पिता दोनों को छह महीने की छुट्टी मिलती है।
लैंगिक समानता के मामले में वैश्विक स्तर पर आगे होने के बावजूद आइसलैंड में दोनों तरह के विचार हैं।
जिसके तहत महिलाओं को सफल करियरिस्ट और प्राथमिक देखभाल करने वाली के रूप में सम्मान दिया जाता है।
इसमें यह गलत सामाजिक मान्यता भी शामिल है कि जिन महिलाओं के बच्चे नहीं होते वे असफल होती हैं।
कुछ महिलाएं, जिन्होंने बच्चे न करने का फैसला किया है, अपने अंडों को फ्रीज करने पर विचार करके इस प्रक्रिया को टाल रही हैं।
आइसलैंड जैसे छोटे देशों में, बच्चे पैदा करने की उम्मीद विशेष रूप से तीव्र हो सकती है।
बच्चे न होने से निःसंतान महिलाओं के पास बुढ़ापे में उनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं होगा।