कुंभ में आने वाले अघोरी बाबाओं का कोई ठिकाना नहीं होता और ये बाबा निर्जन स्थानों पर तपस्या भी करते हैं।
कुंभ के बाद अघोरी बाबा हिमालय की पहाड़ियों पर चले जाते हैं। जहां वे एकांत में तपस्या करते हैं।
कुछ लोगों का मानना है कि कुंभ के बाद अघोरी बाबा किसी गुप्त स्थान पर चले जाते हैं।
कुछ अघोरी बाबाओं के अपने आश्रम होते हैं जहां वे कुंभ के बाद वापस आकर अपनी तपस्या में लीन हो जाते हैं।
अघोरी बाबाओं का जीवन बहुत रहस्यमयी होता है। वे अपने निजी जीवन के बारे में बहुत कम जानकारी देते हैं।
कुंभ के दौरान अघोरी बाबाओं को श्मशान घाट से निकलकर कुंभ जाते हुए देखा जाता है।
अघोरी बाबाओं का जीवन बहुत रहस्यमयी होता है। वे तपस्या और ध्यान के जरिए मोक्ष पाने की कोशिश करते हैं।