P.C- Google
बात 1969 की है, इंदिरा गांधी देश की प्रधानमंत्री थीं।
उस समय कांग्रेस में कुछ बुजुर्ग नेताओं का सिंडिकेट हावी था।
मोरारजी देसाई को वित्त मंत्री पद से हटाने के बाद से ही सिंडिकेट के नेता इंदिरा से नाराज थे।
कांग्रेस के उस समय के अध्यक्ष एस निजलिंगप्पा के खिलाफ सिग्नेचर कैम्पेन शुरू हो गया, इंदिरा भी अलग-अलग राज्यों में जाकर कांग्रेसियों को अपने पक्ष में लामबंद कर रही थीं।
इंदिरा समर्थकों ने स्पेशल कांग्रेस सेशन बुलाने की मांग की, ताकि नया प्रेसिडेंट चुना जा सके।
गुस्से में निजलिंगप्पा ने इंदिरा को ओपन लेटर लिखा और इंटरनल डेमोक्रेसी खत्म करने का आरोप लगाया, इंदिरा ने भी निजलिंगप्पा की बैठकों में भाग लेना बंद कर दिया।
कांग्रेस वर्किंग कमेटी की दो अलग-अलग जगहों पर मीटिंग हुईं, एक प्रधानमंत्री आवास में और दूसरी कांग्रेस के जंतर-मंतर रोड कार्यालय में।
कांग्रेस कार्यालय में हुई मीटिंग में इंदिरा को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निकाल दिया गया और संसदीय दल से कहा गया कि वो अपना नया नेता चुन लें।