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Sonipat: गरीबों के निवाले पर डाका, गरीब के निवाले के 90%अनाज खराब…

• LAST UPDATED : July 23, 2021

 सोनीपत

सोनापत के राशन डिपो से आया बेहद घटिया गुणवत्ता वाले गेहूं डिपो पर उतार दिया गया है। हरियाणा सरकार ने गरीबों तक राशन  डिपो पर घटिया गुणवत्ता का गेहूं सप्लाई होने के मामले थमने का नाम नही ले रहे हैं। जिसके खिलाफ डिपो संचालक शिवधनमल जैन ने विभाग के खिलाफ रोष प्रकट करते हुए जल्द से जल्द गेहूं को बदलने की मांग की है। वही अनाज लेने पहुंचे गरीब लोगों का यही कहना है कि अनाज इतना गंदा है कि उसे पशुओं को भी नहीं खिलाया जा सकता। अधिकारी भी जांच का हवाला देकर मामले में हमेशा की तरह लीपापोती करते हुए नजर आए।

जुलाई माह में सोनीपत जिले के कई राशन डिपो पर घटिया गुणवत्ता का गेहूं उतारा गया है। गेहूं की गुणवत्ता इतनी खराब है कि इसे पशुओं को खिलाना भी मुश्किल है। ऐसे में लगातार शहर के कई हिस्सों में स्थित राशन डिपोधारक गेहूं की खराब गुणवत्ता को लेकर आवाज उठा रहे हैं। जहां सोनीपत के सूरी पेट्रोल पंप की गली के सामने शिवधन के डिपो में करीबन 100 क्विंटल गेहूं पहुंचा था और उसमें से करीबन 25 क्विंटल गेहूं काफी घटिया क्वालिटी का पाया गया है जब वही खोली गई तो गेहूं काफी खड़ा हुआ और फफूंदी युक्त पाया गया। खोली गई बोरियों में गेहूं 90% खराब है यानी कि जिस गंदे अनाज को पशु भी खाना गवारा ना समझे ऐसा खाना गरीबों के लिए भेजा जा रहा है। जहां गरीब आदमियों के निवाले में भी डाका डाला जा रहा है।

गेहूं की गुणवत्ता इतनी खराब है कि इसे खाने में इस्तेमाल करना बीमारी को न्यौता देने के समान होगा। ऐसे में इसकी शिकायत संबंधित स्टोर कीपर से की गई। शुरूआत में उन्हें आश्वासन दिया गया कि गेहूं को बदला दिया जाएगा, परन्तु बार-बार कहने के बावजूद गेहूं को अब तक नही बदला गया है। जिसके कारण उन्हें कई प्रकार की परेशानी हो रही है। डिपो धारक ने संबंधित विभाग से मांग की है कि खराब गेंहू को तुरन्त बदला जाए, ताकि वे गेहूं का वितरण कर सके। गेहूं का वितरण न होने के कारण डिपो से जुड़े उपभोक्ताओं को भी परेशानी झेलनी पड़ रही है।

वहीं जब जिला खाद्य आपूर्ति विभाग के अधिकारी सुरेंद्र अरोड़ा से मामला संज्ञान में लाया गया तो उन्होंने कहा 4 बैग 50 किलो के खराब पाए गए हैं। वही स्टोरकीपर और गोदाम के इंचार्ज को नोटिस भेजने की बात यहां पर अधिकारी कहते हुए नजर आ रहे हैं और संलिप्तता पाए जाने पर कार्रवाई करने की बात वह कह रहे हैं। लेकिन जहां पर अधिकारी 50 किलो के 4 बैग बता रहे हैं तो वही डिपो होल्डर के मुताबिक करीबन 25 क्विंटल अनाज खराब पहुंचा है तो यहां भी अधिकारी मीडिया के सामने झूठ का पुलिंदा बांधते हुए नजर आए।

वहीं दूसरी तरफ से गंदा अनाज पहुंचने के पीछे गोदामों में पानी का छिड़काव बताया जा रहा है जो कि सरकार की छवि को खराब करने के लिए कर्मचारियों की मिलीभगत से चल रही है। क्योंकि जिस प्रकार का अनाज डिपो होल्डर के पास पहुंचा है उसे साफ पता लग रहा है कि अनाज पर पानी का छिड़काव करने के बाद उसमें गेहूं की डली बन गई है और फफूंदी भी लग गई है। अब विभाग चाहे इसमें जांच करें या फिर जांच के नाम पर लीपापोती कर फाइल को बंद कर दे। किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता फर्क पड़ता….फर्क पड़ता है तो सिर्फ आम आदमी को और उस गरीब आदमी को जिसके लिए प्रदेश की सरकार नाममात्र पैसों में अनाज उपलब्ध करवा रही है। अब देखना यह होगा कि इस मामले को लेकर अधिकारी कितने सजग नजर आते हैं।

डिपो होल्डर ने बताया उनके डिपो में खराब गेहूं आया है और जिस की शिकायत विभाग के अधिकारी महावीर राठी को दी है, गंदा गेहूं आने पर महावीर राठी ने डिपो होल्डर को आश्वासन दिया था कि उनके गेहूं बदल दिए जाएंगे लेकिन बाद में बदलने से मना कर दिए हैं और यह हवाला देकर मना कर दिया गया है कि सरकार की तरफ से जैसा गेहूं आएगा वैसा ही गेहूं भेजा जाएगा और यह कहकर पल्ला झाड़ दिया है.. डिपो होल्डर के मुताबिक उसके डिपो परसों की 100 किवंटल अनाज पहुंचा था। जिसमें से एक करीबन 25 क्विंटल अनाज सड़ा हुआ और बेहद गंदी क्वालिटी का पहुंचा है। इसमें से 90% अनाज खराब है जिसे पशु भी नहीं खा सकते इस प्रकार के गंदे अनाज को मनुष्य कैसे खाएंगे। वही खराब गेहूं को ग्राहकों ने भी लेने से मना कर दिया है.. जानकारी के मुताबिक के 5 किलो अनाज प्रधानमंत्री योजना के तहत तो वहीं प्रदेश मुख्यमंत्री द्वारा 3 किलो ग्राम गेहूं और 2 किलो ग्राम बाजरा देने का प्रावधान किया है। वही अनाज लेने पहुंची एक महिला ने बताया कि जो अनाज उन्हें मिला है वह काफी गंदा है। खाने लायक नहीं है और इसीलिए वह अनाज उन्होंने गौशाला में भेज दिया है। पानी में देखने के कारण अनाज काफी सड़ा हुआ आया है और जो बिल्कुल काला पड़ गया है।