करनाल में एनडीआरआई की मोबाईल लैब दूध की क्वालिटी और दूध में मिलावट व पेस्टीसाईड की मात्रा बताएगी। मोबाईल लैब से पता लगेगा दूध कौन से दुधारू पशु का है। जाँच लेब से पशुपालक किसानों को पशुओं की बीमारियों और ईलाज की जानकारी मिल सकेगीं। दूध की जाँच और पशुओं की बीमारियां दूर होने से भारतीय दूध की गुणवत्ता बढ़ेगी और वो अंतर्राष्ट्रीय मानको खरा उतरेगा। जिससे दूध व दूध के उत्पादों का निर्यात शुरू होगा। दूध की गुणवत्ता जाँच को लेकर राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान करनाल की यह एक क्रांतिकारी शुरुआत है।
भारत में दूध को पौष्टिक एवं सर्वोतम आहार माना जाता है। इसके साथ ही दूध की शुद्धता और गुणवत्ता के बारे में हमेशा लोगों के दिलों में प्रशन चिन्ह रहता है। आप जो दूध पी रहें है, क्या वास्तव में पौष्टिक है ये कही वो दूध मिलावटी तो नहीं है? इन सवालों के जवाब जानने के लिए अब लोगों को चिंतित होने की जरूरत नहीं है। राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान ने लोगों को दूध की गुणवत्ता के प्रति जागरूक करने के लिए मोबाइल टेस्टिंग वैन शुरू की है। संस्थान की तरफ से शहरी क्षेत्र में फिलहाल दूध की गुणवत्ता की फ्री में जाँच की जाएगी। एनडीआरआई की ओर से तैयार की गई किट से पता चलेगा कि दूध देसी गाय का है, या क्रॉस ब्रिड का। गाय का है, या भैंस का? दूध ए वन है या ए टू है? इसके अलावा दूध में यूरिया, मल्टोस, एंटीबॉयोटिक सहित अन्य प्रकार की मिलावट का भी पता चलेगा। फ़िलहाल विश्व स्तरीय मानको पर खरा नहीं होने की वजह से दूध को एक्सपोर्ट करने में समस्या आती है। दूध की जाँच से गुणवत्ता बढ़ेगी जिससे भविष्य में दूध को एक्सपोर्ट भी किया जा सकेगा।
एनडीआरआई की मोबाईल लैब के जरिये पशुपालक पशुओ में होने वाले बीमारियों की जाँच भी करवा सकेंगे। दुधारू पशुओं में थनेला, साइलेंट हीट और पेट के कीड़े का रोग काफी अधिक आता है। अगर इस रोग का समय से पता न चले और तुरंत उपचार न मिले तो इससे पशु का थन खराब हो जाता है। इस बीमारी के उपचार से ज्यादा इसका समय से पता चलना महत्वपूर्ण है। वही अधिकतर पशु गर्भाधान के लिए साइलेंट हीट में आते हैं, जिसका पशुपालकों को पता नहीं चल पाता है। पशु के समय पर हीट में आने का पता न चलने पर उसका समय से गर्भाधान नहीं होता है। इससे किसान को धन और समय की हानि होती है। संस्थान की मोबाइल लैब के जरिए मौके पर ही हीट डिटेक्शन किट से तुरंत इसका पता चल जाएगा। पशुओं में होने वाली बीमारियों की जाँच व ईलाज भी समय पर सम्भव होगा।
लैब में लगी एलईडी स्क्रीन से किसानों को पशुओं के रखरखाव के तरीके भी बताये जायेंगे। वर्तमान में अधिकतर पशु चारागाह में नहीं जा पाते हैं, और पूरा दिन एक ही स्थान पर बंधे रहते हैं। इस तरह से पशुओं के रखरखाव, वातावरण और दाने-चारे का असर उनके दूध पर आता है। मोबाइल लैब की एलईडी स्क्रीन के जरिए किसानों को गायों और भैंसों के रखरखाव और दाने-चारे की विस्तार से जानकारी दी जाएगी। पशुओं के स्वास्थ्य के बारे में भी बताया जाएगा।