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गुरूग्राम – टीचर्स डे पर अनोखी मिसाल… जानिए पूरी खबर 

• LAST UPDATED : September 5, 2021
गुरूग्राम
गुरूग्राम में मिसेज इंडिया इंटरनेशनल 2018 अवितेश चौधरी पिछले काफी समय से गरीब बच्चों को शिक्षा देकर उनका भविष्य उज्वल कर रही है।कन्स्ट्रक्शन साइट पर काम करने वाले लोगों के बच्चों को अवितेश चौधरी अपने खर्चे पर बच्चों को शिक्षा दे रही है।
मिसेज इंडिया इंटनेशनल 2018 अवितेश चौधरी ने अपने बिजी ड्यूल से इन गरीब बच्चों को पढ़ाई देने का निर्णय लिया इसी कड़ी में उन्होंने खुद कंस्ट्रक्शन साइट पर जा जाकर गरीब बच्चों को पढ़ाई कराई यही नहीं जिन बच्चों को स्कूल के रास्ते का भी मालूम नहीं था उन बच्चों को कंस्ट्रक्शन साइट्स पर जाकर सभी बच्चों को पढ़ाई कराई तो इसके साथ-साथ उन्हें अपने ही खर्चे से किताबें मोहिया भी कराई यही नहीं अभी अवितेश चौधरी का एक लक्ष्य है की शिक्षा एक ऐसा हथियार है जो देश के भविष्य को उज्जवल करता है इसी उद्देश्य के साथ उन्होंने पिछले कई सालों से यह निर्णय लिया कि वह ऐसे गरीब बच्चों को पढ़ाई कर आएंगी जो स्कूल नहीं जा पा रहे हैं।
गुरुग्राम की कई कंस्ट्रक्शन साइट पर अवितेश चौधरी ने खुद जाकर नौकरी करने के बाद ऐसे बच्चों को पढ़ाई कराई अभी अवितेश चौधरी ने अभी तक सैकड़ों बच्चों को बेहतर शिक्षा देकर उन्हें पढ़ाई के प्रति जागरूक किया। अवितेश चौधरी मिसेज इंडिया इंटरनेशनल 2018 बनने के बाद उनके मन में यह बात आई थी आज वह जिस मुकाम पर पहुंची हैं वह परिवार के सहयोग के साथ शिक्षा का एक बड़ा कारण भी है फिलहाल अवितेश चौधरी गुरुग्राम की सुशांत यूनिवर्सिटी में पढ़ा रहे हैं और असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर रहते हुए यूनिवर्सिटी में नौकरी करने के बाद वह इन बच्चों को भी पढ़ा रही हैं परिवार से दूर रहकर उन्होंने इन गरीब बच्चों को ही अपना परिवार मान लिया है और उन्हें बेहतर शिक्षा मिल सके इसके लिए तमाम इंतजाम भी खुद अपने खर्चे पर कर रही है।
सैलरी का अधिकार सिस्टम वह इन्हीं बच्चों के ऊपर खर्च करती है अध्यापक दिवस के मौके पर यह पहल निश्चित तौर पर कहीं ना कहीं प्रेरणा स्रोत बनती है। अवितेश चौधरी का मानना है कि स्कूल के दरवाजे जेल के दरवाजों को बंद करते हैं यदि हर एक बच्चा हर एक व्यक्ति शिक्षित होगा तो इससे देश के भविष्य को निश्चित तौर पर फायदा मिलता है इसी पहल के साथ वह दूसरे लोगों से भी यही अपील करती हैं कि जो बच्चे स्कूल जा सकते हैं वह तो पढ़ाई कर ही रहे हैं लेकिन देश के अधिकांश हिस्सों में ऐसे बच्चे भी हैं जो स्कूल नहीं जा पाते और इन्हीं को पढ़ाने का प्रण हर एक व्यक्ति लेकिन शिक्षा का विस्तार और बेहतर बन सकता है।