India News Haryana (इंडिया न्यूज), Youth Drowned : जींद के सफीदों नगर के बीचोंबीच बह रही हांसी ब्रांच नहर में एक युवक नहाते वक्त डूब गया। डूबे हुए युवक की पहचान आदर्श कालोनी निवासी शुभम उर्फ बच्ची (28) के रूप में हुई है। मामले की सूचना सफीदों पुलिस को दी गई।
सूचना पाकर पुलिस मौके पर पहुंची। वहीं स्थानीय लोग भी नहर पर पहुंचे और युवक को तलाशने का कार्य शुरू किया। वहीं अंटा जाकर नहर को बंद करवाया गया लेकिन नहर का पानी कम नहीं हो पाया था। समाचार लिखे जाने तक डूबे हुए युवक का कोई अता-पता नहीं था।
जानकारी के अनुसार आदर्श कालोनी सफीदों निवासी शुभम उर्फ बच्ची (28) रविवार को नहर में नहाने के लिए कूद गया और कुछ ही देर में पानी के आगोश में समा गया। आसपास के लोगों ने इसकी सूचना सफीदों पुलिस व परिजनों को दी। सूचना पाकर पुलिस व परिजन मौके पर पहुंचे और लोगों की मदद से युवक को तलाशना शुरू किया लेकिन कोई सफलता हाथ नहीं लगी। उसके बाद गांव अंटा स्थित हैड से नहरी विभाग के अधिकारियों से बात करके नहर का पानी बंद करवाया लेकिन देर सांय तक पानी अधिक कम नहीं हो पाया था।
वहीं शुभम के माता-पिता अपने लाडले के मिल जाने की राह नहर की पटरी पर बैठकर देखते रहे। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल था और वहां का माहौल काफी गमगीन था। शुभम के पिता अर्जुन दास ने बताया कि शुभम गाड़ियों के साथ काम पर जाया करता था।
सुबह को वह घर से यह कहकर गया था कि वह गाड़ी के साथ सरहिंद जा रहा है लेकिन वह गाड़ी पर जाने की बजाए नहर पर नहाने के लिए पहुंच गया। शुभम के काम पर जाने के बाद वह भी अपने कार्य पर चला गया था, लेकिन थोड़ी ही देर के बाद उसे इस अनहोनी की खबर मिली और वह वापस नहर की तरफ दौड़ा। वे काफी प्रयास कर चुके हैं लेकिन शुभम की कहीं पर कोई खोज खबर नहीं है।
नहर में डूबे युवक शुभम का सारा परिवार मेहनत मजदूरी करके अपने परिवार का पालन पोषण कर रहा है। शुभम के नहर में डूबने के बाद काफी प्रयासों के बाद नहर का पानी पीछे से बंद करवाया गया, लेकिन परिवार की गरीबी शुभम को खोजने के लिए गोताखोर को नहीं बुला पाई।
शुभम के पिता अर्जुनदास ने बताया कि उन्होंने शुभम को नहर के पानी में ढूंढने के लिए गोताखोरों से संपर्क किया था लेकिन गोताखोरों ने कहा कि उनका लड़का मिले या ना मिले, वे इस काम के 10 हजार रुपए लेंगे। रोते-बिलखते अर्जुनदास ने बताया कि उनका परिवार बेहद गरीब है तथा किसी तरह से मजदूरी करके अपना परिवार चला रहा है। गोताखोर को बुलाने के लिए आखिर वे 10 हजार रुपए कहां से लाते। गरीबी व आर्थिक तंगी के कारण वे गोताखोर को 10 हजार रूपए देने में असक्षम रहे।
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