कहा- सरकार ने 15 सूत्रीय मांग पत्र पर अभी तक नहीं दिया बातचीत का न्योता
14 दिसंबर को होगा भू अधिग्रहण मंच के बैनर तले होने वाले विधानसभा घेराव में हिस्सा लेगा उनका संगठन
इंडिया न्यूज, शिमला।
Warning To The Government Of Himachal United Kisan Morcha हिमाचल संयुक्त किसान मंच ने अपनी मांगों को लेकर प्रदेश की भाजपा सरकार के खिलाफ संघर्ष का बिगुल फूंक दिया है। मंच ने दो टूक कहा है कि यदि सरकार ने उनकी मांगों पर विचार न किया और उन्हें बातचीत के लिए नहीं बुलाया तो वे हिमाचल में भी किसान-बागवान दिल्ली जैसा आंदोलन करेंगे। मंच के राज्य संयोजक हरीश चौहान व सह संयोजक संजय चौहान ने कहा कि प्रदेश के किसानों-बागवानों की मांगों को लेकर राज्य सरकार को कई बार मांगपत्र दिए जा चुके हैं। लेकिन सरकार की हठधर्मी ऐसी है कि अभी तक बागवानों की समस्याओं को गंभीरता से नहीं ले रही और न ही सरकार ने अभी तक वार्ता के लिए बुलाया है।
हरीश चौहान ने कहा कि प्रदेश में पौने तीन लाख कर्मचारी है। सरकार उनके साथ जेसीसी करने जा रही है, जबकि 70 फीसदी आबादी गांव में रहती है और कृषि व बागवानी से जुड़ी हुई है। उन्होंने कहा कि सरकार इनकी अनदेखी कर रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा को यह अनदेखी आगामी विधानसभा चुनाव में भारी पड़ने वाली है। हरीश चौहान ने कहा कि यदि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर किसान मंच को वार्ता के लिए नहीं बुलाते तो दिल्ली की तर्ज पर हिमाचल में भी बड़ा आंदोलन होगा। उन्होंने कहा कि दिल्ली में किसान आंदोलन में देशभर से किसान भाग लेने पहुंचे थे। हिमाचल से भी भारी संख्या में किसानों-बागवानों ने इस आंदोलन में भाग लिया। वह खुद भी सिंघु बॉर्डर में आंदोलन पर बैठे थे। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन किसानों की जीत है। इस जीत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सीना भी कम कर दिया है। उन्होंने प्रधानमंत्री से पूछा कि जब कानून वापस लेने थे तो इसमें इतनी देरी क्यों की गई। उन्होंने सवाल किया कि इस आंदोलन में 700 लोगों की शहादत का जवाब कौन देगा। मंच के सह संयोजक संजय चौहान ने कहा कि सरकार एक देश-एक विधान की बात कहती है तो एक देश में अलग-अलग नियम क्यों हैं। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में एमआईएस के तहत ए ग्रेड सेब 60 रुपए प्रति किलो बिकता है, जबकि हिमाचल में नाम मात्र का दाम दिया जाता है। उन्होंने कहा कि हिमाचल में भी जम्मू-कश्मीर की तर्ज पर सेब की खरीद की जाए।