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Jind Pandu Pindara Tirth : आषाढ़ माह की अमावस्या पर श्रद्धालुओं ने लगाई पिंडारा तीर्थ पर डुबकी

• LAST UPDATED : July 5, 2024
  • श्रद्धालुओं ने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया

India News Haryana (इंडिया न्यूज), Jind Pandu Pindara Tirth : जींद में आषाढ़ माह की अमावस्या पर शुक्रवार को पांडू पिंडारा स्थित पिंडतारक तीर्थ पर श्रद्धालुओं ने सरोवर में स्नान किया तथा पिंडदान कर पितृ तर्पण किया और सुखद भविष्य की कामना की। ऐतिहासिक पिंडतारक तीर्थ पर वीरवार शाम से ही श्रद्धालुओं का पहुंचना शुरू हो गया था। पूरी रात धर्मशालाओं में सत्संग तथा कीर्तन आदि का आयोजन चलता रहा। शुक्रवार को अलसुबह से ही श्रद्धालुओं ने सरोवर में स्नान तथा पिंडदान शुरू कर दिया जो मध्यान्ह के बाद तक चलता रहा।

Jind Pandu Pindara Tirth : पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया

इस मौके पर दूर-दराज से आए श्रद्धालुओं ने अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया तथा सूर्यदेव को जलार्पण करके सुख समृद्धि की कामना की। पिंडतारक तीर्थ के संबंध में किदवंती है कि महाभारत युद्ध के बाद पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पांडवों ने यहां 12 वर्ष तक सोमवती अमावस्या की प्रतीक्षा में तपस्या की। बाद में सोमवती अमावस्या पर युद्ध में मारे गए परिजनों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया। तभी से यह माना जाता है कि पांडू पिंडारा स्थित पिंडतारक तीर्थ पर पिंडदान करने से पूर्वजों को मोक्ष मिल जाता है।

सोमवती अमावस्या पर पिंडदान करने का विशेष महत्व

महाभारत काल से ही पितृ विसर्जन की अमावस्या, विशेषकर सोमवती अमावस्या पर यहां पिंडदान करने का विशेष महत्व है। यहां पिंडदान करने के लिए विभिन्न प्रांतों के लोग श्रद्धालु आते हैं। श्रद्धालुओं ने यहां खरीददारी भी की। जयंती देवी मंदिर के पुजारी नवीन शास्त्री ने बताया कि पितृ दोष से मुक्ति के लिए आषाढ़ अमावस्या को महत्वपूर्ण माना गया है। आषाढ़ माह की अमावस्या आषाढ़ी अमावस्या या हल हलहारिणी अमावस्या कहलाती है। इस तिथि को बेहद खास माना जाता है। कृष्ण पक्ष की चौदहवीं तिथि के बाद चंद्रमा, सूर्य मंडल में प्रवेश करता है और सूर्य अमा नाम की किरण में रहता है। इसलिए ये तिथि अमावस्या कहलाती है। आषाढ़ अमावस्या के दिन स्नान, दान, पितरों का तर्पण करने से जीवन में खुशहाली बनी रहती है। इस दिन श्रद्धानुसार जरूरतमंद लोगों को दान करना चाहिए।

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