इंडिया न्यूज, नई दिल्ली।
High Court Decision पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने चेक बाउंस के एक केस में आरोपी को झटका दिया। हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले की चुनौती देने वाली याचिका को सिरे से खारिज कर दी। हाईकोर्ट ने कहा कि कोर्ट इसे बिल्कुल स्वीकार नहीं करता कि जिसमें याची बोले कि चेक पर उसके हस्ताक्षर हैं, लेकिन इसमें राशि उसने नहीं भी और उसे जानकारी नहीं है। पंचकूला निवासी पीड़ित महिला ने अपनी शिकायत में बताया था कि याची ने उसके पति से 15 अक्टूबर 2011 में 8 लाख की राशि उधार ली थी। इसके बाद 15 दिसंबर, 2013 को शिकायतकर्ता के पति की मौत हो गई थी। शिकायतकर्ता ने याची से उधार की राशि लौटाने को कहा तो याची ने उसे एक चेक दिया। चेक को लगाया गया तो यह बैलेंस न होने की वजह से बाउंस हो गया। इसके चलते सीजेएम की कोर्ट में शिकायत दी गई।
वहीं सीजेएम ने 18 मई, 2016 को शिकायतकर्ता के हक में फैसला सुनाते हुए 8 लाख रुपए की राशि 6 प्रतिशत ब्याज के साथ लौटाने और याची को एक साल की कैद की सजा सुनाई। इस फैसले को एडिशनल सेशन जज की अदालत में चुनौती दी गई। एडिशनल सेशन जज ने भी याची की दलीलों से असहमति जताते हुए सीजेएम के फैसले पर मोहर लगा दी थी। इन दोनों फैसलों के खिलाफ याची ने हाईकोर्ट में अपील दाखिल की थी। लेकिन हाईकोर्ट ने याची की दलील से असहमति जता दी और साफ कहा कि याची चेक जारी करने के बाद इसमें तय राशि को देने की अपनी जिम्मेदारी से नहीं भाग सकता।
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