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Sant Bahadur Chand Advocate : डेरा जगमालवाली के संत बहादुर चंद वकील का निधन, अंतिम दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु

• LAST UPDATED : August 1, 2024
  • कुछ समय से बीमार चल रहे थे, डेरा में 3 से 4 अगस्त को होने वाला वार्षिक समागम हुआ रद्द
  • कल किया जाएगा अंतिम संस्कार, मूल रूप से गांव चौटाला के रहने वाले थे, वकालत करने के बाद बने थे मस्ताना शाह बलूचिस्तानी डेरा जगमालवाली के प्रमुख

India News Haryana (इंडिया न्यूज),  Sant Bahadur Chand Advocate : जिला के डेरा जगमालवाली के प्रमुख महाराज बहादुर चंद वकील का आज सुबह निधन हो गया। वे पिछले एक साल से बीमार थे। उनका दिल्ली के मैक्स अस्पताल में इलाज चल रहा था। आज दोपहर उनके पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए जगमाल वाली डेरा में रखा गया। प्रमुख महाराज बहादुर चंद वकील के अंतिम दर्शन करने के लिए कई राज्यों से हजारों श्रद्धालुगण डेरा जगमालवाली पहुंचे। शुक्रवार सुबह उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।

उनका जन्म 10 दिसंबर 1944 को चौटाला में ही हुआ था

डेरा प्रमुख के निधन के बाद डेरा में 3 से 4 अगस्त तक होने वाला वार्षिक समागम को रद्द कर दिया गया है। ये ऐसा पहली बार होगा जब डेरा में कोई भी वार्षिक समागम नहीं होगा। इससे पहले 31 जुलाई को डेरा प्रबंधन ने बताया था कि महाराज जी का इलाज जारी है और उनका स्वास्थ्य स्थिर बना हुआ है।

इसलिए भक्तों से अनुरोध है कि वे अस्पताल आने के बजाय महाराज जी के शीघ्र ठीक होने के लिए सिमरन करें और अफवाहों पर ध्यान न दें। संत बहादुर चंद मूल रूप से चौटाला गांव के रहने वाले थे। उनका जन्म 10 दिसंबर 1944 को चौटाला में ही हुआ था। उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई गांव के ही स्कूल से की। इसके बाद उन्होंने हिसार के दयानंद कॉलेज से आगे की पढ़ाई की।

Sant Bahadur Chand Advocate

Sant Bahadur Chand Advocate : 9 अगस्त 1998 को सौंपी गई थी गद्दी

यहां वे आर्य समाज प्रचारणी सभा के अध्यक्ष बने। इसके बाद उन्होंने चंडीगढ़ के लॉ कॉलेज से स्नातक किया। 1968 में लॉ की पढ़ाई पूरी करने के बाद वे डेरा जगमालवाली में शामिल हो गए। 9 अगस्त 1998 को संत बहादुर चंद को डेरे की गद्दी सौंपी गई और तब से वे मस्ताना शाह बलूचिस्तानी डेरा जगमालवाली के प्रमुख हैं। जगमालवाली 300 साल पहले बसा था, जो मंडी से 8 किलोमीटर की दूरी पर है।

60 साल पहले बना था बलूचिस्तानी आश्रम

डेरा की शुरुआत 1964-65 में हुई जब बाबा सज्जन सिंह रूहल ने संत गुरबख्श सिंह मैनेजर साहिब को अपनी कई एकड़ जमीन दान में दी और डेरा बनाने का अनुरोध किया। जिस पर संत गुरबख्श सिंह मैनेजर साहिब ने यहां मस्ताना शाह बलूचिस्तानी आश्रम की स्थापना की। पहले छोटा सा आश्रम अब करीब 100-100 फीट का सचखंड बनाया गया है। इसकी खासियत यह है कि इसमें कोई स्तंभ नहीं बना है। वर्तमान में डेरे की गद्दी संत बहादुर चंद वकील साहिब के पास है।

संत वकील साहिब के देहावसान पर कांडा बंधुओं ने जताया गहरा शोक

सिरसा के विधायक, पूर्व गृह राज्य मंत्री एवं हलोपा सुप्रीमो गोपाल कांडा और उनके अनुज वरिष्ठ भाजपा नेता गोबिंद कांडा ने शाह मस्ताना बिलोचिस्तानी डेरा जगमालवाली के गद्दीनशीन संत वकील साहिब (बहादुर चंद) के देहावसान पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए दिवंगत आत्मा की शांति और उनकी साध संगत को इस दुख का सहन करने की शक्ति प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना की है। उन्होंने कहा कि आध्यात्मिक परंपराओं के प्रति समर्पित रहते हुए वकील साहिब ने समाज की अनेक धाराओं को एक साथ जोड़ने में बड़ी भूमिका निभाई।

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आध्यात्मिक जगत की अपूरणीय क्षति

प्रभु उन्हें अपने श्री चरणों में स्थान दें। उनका ब्रह्मलीन होना आध्यात्मिक जगत की अपूरणीय क्षति है। प्रभु श्री राम से प्रार्थना है कि दिवंगत पुण्यात्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान तथा शोकाकुल अनुयायियों को यह दुख सहने की शक्ति प्रदान करें। पुण्यात्मा को शत-शत नमन एवं अश्रुपूरित श्रद्धांजलि। संत मैनेजर साहिब ने वर्ष 1998 में अपना चोला छोड़ने से पहले सभी संगत से कहा कि अब वकील साहिब डेरा जगमालवाली की देखभाल करेंगे। बाद में उन्हें 9 अगस्त 1998 को यह दायित्व सौंपा। तब से, वे शाह मस्ताना शाह बिलोचिस्तानी डेरा जगमालवाली के गद्दीनशीन रहे।

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