इंडिया न्यूज, नई दिल्ली।
Geeta Gopinath भारतीय मूल की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने एक बार फिर से भारत का नाम पूरी दुनिया में रोशन कर दिया है। गीता गोपीनाथ को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की ओर से अहम जिम्मेदारी दी गई है। उन्हें प्रमोट कर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की फर्स्ट डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्ट नियुक्त किया गया है। भारतीय मूल का कोई व्यक्ति पहली बार आईएमएफ में इस पद तक पहुंचा है। आइए जानते हैं गीता गोपीनाथ के बारे में।
गीता गोपीनाथ मूल रूप से केरल की रहने वाली है। वे अभी भी अपने पिता का ही नाम लगाती हैं। उनके पिता का नाम गोपीनाथ है। गीता गोपीनाथ बचपन में पढ़ाई में बहुत अच्छी नहीं थी। उनके पिता गोपीनाथ ने दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि सातवीं तक गीता के 45 फीसदी नंबर आते थे लेकिन इसके बाद वह 90 फीसदी नंबर लाने लगीं। उन्होंने कहा, मैंने कभी अपने बच्चों पर पढ़ाई के लिए दबाव नहीं डाला और उन पर किसी तरह की पाबंदियां नहीं लगाई। स्कूल के बाद गीता ने मैसूर में महाराजा पीयू कॉलेज जॉइन किया और साइंस की पढ़ाई की। तब उनके मार्क्स अच्छे थे और वह इंजीनियरिंग या मेडिसिन में जा सकती थीं। लेकिन उन्होंने इकनॉमिक्स में बीए (आनर्स) करने का फैसला किया।
गीता गोपीनाथ ने साल 1992 में दिल्ली के लेडी श्रीराम कॉलेज से इकोनॉमिक्स में आॅनर्स की डिग्री हासिल की थी और फिर उन्होंने दिल्ली स्कूल आॅफ इकोनॉमिक्स से अर्थशास्त्र में ही एमए की डिग्री हासिल की। साल 1994 में गीता गोपीनाथ अमेरिका चली गईं और उन्होंने वॉशिंगटन में स्थिति प्रिंसटन यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स से 1996-2001 में पीएचडी की डिग्री हासिल की। पोस्टग्रेजुएशन के दौरान उनकी मुलाकात इकबाल से हुई। दोनों ने बाद में शादी कर ली। इस दंपति का 18 साल का एक बेटा है जिसका नाम राहिल है।
गीता गोपीनाथ के कई रिसर्च इकोनॉमिक्स जर्नल्स में भी प्रकाशित हो चुकी हैं। साल 2019 में गीता गोपीनाथ को प्रवासी भारतीय सम्मान से सम्मानित किया गया था और वो साल 2019 से ही आईएमएफ में चीफ इकोनॉमिस्ट के तौर पर काम कर रही हैं। गीता गोपीनाथ को विश्व में दिग्गज अर्थशास्त्री माना जाता है और उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इंटरनेशनल फाइनेंस और मैक्रोइकोनॉमिक्स संबंधित रिसर्च के लिए भी जाना जाता है।
गीता गोपीनाथ वर्ष 2001 से 2005 तक शिकागो यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर रहीं, जिसके बाद उन्होंने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर जॉइन किया। अगले 5 वर्षों में यानी 2010 में वह इसी यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर बन गईं। व्यापार एवं निवेश, अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संकट, मुद्रा नीतियां, कर्ज और उभरते बाजारों की समस्याओं पर उन्होंने लगभग 40 शोध-पत्र भी लिखे हैं।
पिछले साल गीता गोपीनाथ अपने एक बयान को लेकर विवादों में भी आ गई थी। एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने वैश्विक आर्थिक विकास में गिरावट के लिए भारत को जिम्मेदार ठहराया था। उन्होंने कहा था कि ग्लोबल ग्रोथ के अनुमान में 80 फीसदी गिरावट के लिए भारत जिम्मेदार है। उनके इस बयान के बाद देश में विपक्षी पार्टियों ने मोदी सरकार पर निशाना साधा था। उन्होंने 2016 में सरकार के नोटबंदी के फैसले को भी आर्थिक विकास के लिहाज से नकारात्मक बताया था। लेकिन उन्होंने मोदी सरकार का विवादास्पद कृषि कानूनों की तारीफ की थी।
गोपीनाथ को कानेर्गी कॉरपोरेशन ने 2021 ग्रेट इमिग्रेंट्स की सूची में शामिल किया गया था। इसलिए गीता गोपीनाथ को अमेरिका के कानेर्गी कॉरपोरेशन ने सम्मानित किया था। यह सम्मान अपने योगदान और कार्यों से अमेरिकी समाज और लोकतंत्र को समृद्ध एवं मजबूत करने के लिए दिया जाता है। संस्था ने कहा कि 49 वर्षीय गीता गोपीनाथ को अंतरराष्ट्रीय वित्त और मैक्रोइकनॉमिक्स संबंधी अपने शोध के लिए जाना जाता है। उनके शोध कई इकनॉमिक्स जर्नल्स में प्रकाशित हुए हैं। 2019 में भारत सरकार ने उन्हें प्रवासी भारतीय सम्मान दिया था जो प्रवासी भारतीयों और भारतवंशियों को दिया जाने वाला सबसे बड़ा सम्मान है।
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