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Jind CRPF Inspector’s Funeral : राजकीय सम्मान के साथ शहीद कुलदीप मलिक का हुआ अंतिम संस्कार

• LAST UPDATED : August 21, 2024
  • हजारों लोगों ने नम आंखों से दी अंतिम विदाई

India News Haryana (इंडिया न्यूज़), Jind CRPF Inspector’s Funeral : गत सोमवार को जम्मू-कश्मीर के उधमपुर के बसंतगढ़ इलाके में हुए आतंकी हमले में शहीद हुए जींद जिले के निडानी गांव के सीआरपीएफ इंस्पेक्टर कुलदीप मलिक का बुधवार को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार हुआ। कुलदीप के बेटे नवीन ने मुखाग्नि दी। सेना के अधिकारियों ने बेटे को तिरंगा सौंपा।

सेना की टुकड़ी ने शहीद को अंतिम सलामी दी और मातमी धुन बजाई। ग्रामीणों के अलावा आसपास के गांवों से भी लोग तथा हजारों युवा शहीद की अंतिम यात्रा पहुंचे और नम आंखों के साथ देशभक्ति नारे लगाए और अंतिम विदाई दी। इस दौरान सोनीपत सांसद सतपाल ब्रह्मचारी, जुलाना विधायक अमरजीत ढांडा के अलावा प्रशासन की तरफ से डीसी मोहम्मद इमरान रजा, एसपी सुमित कुमार ने मौके पर पहुंच शहीद को श्रद्धांजलि दी।

गौरतलब है कि जींद जिले के गांव निडानी निवासी सीआरपीएफ इंस्पेक्टर कुलदीप मालिक जम्मू-कश्मीर के ऊधमपुर के बसंतगढ़ इलाके में आतंकवादियों से हुई मुठभेड़ में दो दिन पहले सोमवार को शहीद हो गए थे। उनके शहीद होने की सूचना आने के बाद गांव में मातम छा गया। 54 वर्षीय कुलदीप मलिक जल्द ही डीएसपी के पद पर पदोन्नत होने वाले थे। देश के लिए आतंक से लोहा लेते हुए 44 दिन के भीतर हरियाणा और जींद की माटी के दूसरे लाल ने वीरगति पाई है। इससे पहले सात जुलाई को जाजनवाला के लांस नायक पैरा कमांडो प्रदीप नैन शहीद हुए थे। अब ऊधमपुर में सोमवार को निडानी का लाल सीआरपीएफ इंस्पेक्टर कुलदीप मलिक शहीद हुआ है।

Jind CRPF Inspector’s Funeral : खेल कोटे से भर्ती हुए थे कुलदीप

कुश्ती में नेशनल स्तर के खिलाड़ी रहे कुलदीप लगभग 34 साल पहले खेल कोटे से सीआरपीएफ में बतौर कांस्टेबल नियुक्त हुए थे। उनके दो भाई दिलबाग व सतपाल गांव में ही खेती करते हैं। कुलदीप का बड़ा बेटा नवीन सेना में चालक के पद पर दिल्ली में तैनात हैं और दूसरा संजय रेलवे पुलिस में अमृतसर में तैनात हैं। दोनों ही बेटे शादीशुदा हैं। शहीर कुलदीप की अंतिम यात्रा में हजारों लोग शामिल हुए।

परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल

शहीद कुलदीप की विरांगना पत्नी लक्ष्मी का रो-रो कर बुरा हाल था। शहीद पति के अंतिम दर्शन के समय लक्षमी ने वंदे मातरम का नारा तो जरूर लगाया लेकिन अपने आंसू नहीं रोक पाई। कुलदीप के बेटे नवीन और संजय अपने आंसू रोकने की कोशिश कर रहे थे लेकिन ये थम नहीं पा रहे थे। सेना के जवान और लोग परिवार के लोगों को ढांढस बंधा रहे थे। परिवार की महिलाओं को रो-रोकर बुरा हाल था।

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