-
15 अगस्त तक 245 मामले मिले, इनमें 82 की मौत
India News Haryana (इंडिया न्यूज), Chandipura Virus : विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भारत को लेकर वैश्विक अलर्ट जारी करते हुए कहा कि 20 वर्ष बाद यहां चांदीपुरा वायरस (सीएचपीवी) का सबसे बड़ा प्रकोप सामने आया है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार मौजूदा समय में भारत के 43 जिले अब भी इस वायरस से प्रभावित हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दुनियाभर के सदस्य देशों को यह जानकारी दी है। बता दें कि 15 अगस्त तक 245 मामले मिले, इनमें 82 की मौत
Chandipura Virus : बीमारी की मृत्यु दर 33% दर्ज
डब्ल्यूएचओ का कहना है कि इस साल जून से बीते 15 अगस्त तक भारत में तीव्र एन्सेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) के 245 मामले सामने आए, जिनमें 82 मरीजों की मौत हो गई। इस बीमारी की मृत्यु दर 33 प्रतिशत दर्ज की गई है जो कोरोना वायरस की तुलना में करीब 33 गुना ज्यादा है।
इन्हीं 245 में से 64 मरीजों में सीएचपीवी के संक्रमण की पुष्टि हुई। डब्ल्यूएचओ की मानें तो यह स्थिति तब है जब भारत में चांदीपुरा वायरस का संक्रमण खत्म होने के कगार पर है, पर मौजूदा प्रकोप पिछले 20 वर्षों में सबसे बड़ा है। ऐसा इसलिए, क्योंकि 2003 में आंध्र प्रदेश में एईएस का बड़ा प्रकोप सामने आया, जिसमें 329 मामले और 183 मौत हुईं।
डब्ल्यूएचओ सभी सदस्य देशों को देता है जानकारी
डब्ल्यूएचओ का कहना है कि भारत के सीएचपीवी से प्रभावित 43 जिलों में स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर डब्ल्यूएचओ की टीम निगरानी के साथ-साथ अन्य बचाव संबंधी उपायों को लागू कराने में सहयोग कर रही है। दरअसल, दुनिया के किसी भी हिस्से में किसी तरह के रोग का प्रकोप सामने आने पर डब्ल्यूएचओ सभी सदस्य देशों को जानकारी मुहैया कराता है।
हालांकि, 2019 में कोरोना महामारी की जानकारी देरी से मिलने के कारण डब्ल्यूएचओ की जानकारी देरी से पहुंची थी, जिसके लिए इसे काफी विरोध का सामना भी करना पड़ा। इसी क्रम में डब्ल्यूएचओ ने बीते 23 अगस्त को भारत में एईएस और चांदीपुरा वायरस के संक्रमण पर अपनी अलर्ट रिपोर्ट जारी की है।
अभी न उपचार और न टीका उपलब्ध
डब्ल्यूएचओ ने भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि अब तक एक से दूसरे इंसान के संक्रमित होने का कोई केस नहीं मिला। साथ ही 19 जुलाई से नए मामलों में कमी आने का ग्राफ भी दिख रहा है। इसके बावजूद भारत के गुजरात व राजस्थान के कुछ हिस्सों में संक्रमण अभी प्रभावी है। अभी तक इस संक्रमण का कोई विशिष्ट उपचार या टीका उपलब्ध नहीं है। मरीजों की शीघ्र देखभाल और आईसीयू देखभाल से जान बचाने का प्रयास किया जा सकता है।