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CM Nayab Saini के करनाल सीट को छोड़ने के कई कारण, जानने के लिए पढ़े पूरी ख़बर

• LAST UPDATED : August 28, 2024

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इशिका ठाकुर, India News Haryana (इंडिया न्यूज) CM Nayab Saini, विधानसभा चुनाव का आगाज हो चुका है। 1 अक्टूबर के दिन हरियाणा में विधानसभा चुनाव होंगे। विधानसभा चुनाव को लेकर सभी पार्टी चुनावी रण में उतर चुकी है और किस प्रकार से आने वाले विधानसभा चुनाव में जीत हासिल कर सके उसको लेकर सभी प्रकार की रणनीति राजनीतिक पार्टी के द्वारा बनाई जा रही है। वहीं कुछ ऐसे ही नेता भी है जो मौके के विधायक मंत्री या फिर मुख्यमंत्री के पद पर है। लेकिन आने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर वह एक सुरक्षित विधानसभा सीट की तलाश में है।

CM Nayab Saini : बीजेपी के कौन-कौन संभावित उम्मीदवार

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मौजूदा समय में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी करनाल विधानसभा सीट को छोड़कर लाडवा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। चुनाव लड़ने के कई कारण है, जो हम आपको पहले ही बता चुके हैं। अगर ऐसे में मुख्यमंत्री नायब सैनी लाडवा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ते हैं तो करनाल विधानसभा सीट से बीजेपी के कौन-कौन संभावित उम्मीदवार है। उन पर ही हम आज चर्चा कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री द्वारा करनाल विधानसभा सीट छोड़ने का कारण

राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि विधानसभा चुनाव में हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी करनाल विधानसभा को छोड़कर लाडवा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। क्योंकि वह मुख्यमंत्री के लिए एक सुरक्षित सीट मानी जा रही है। भारतीय जनता पार्टी के द्वारा विधानसभा चुनाव में टिकट वितरण को लेकर मीटिंग को दौर लगातार जारी है।

ऐसे में भारतीय जनता पार्टी के कई बड़े नेता मंत्री भी सुरक्षित सीट की तलाश में है। ताकि वह एक बार फिर से विधायक बन सकें। राजनीतिक विशेषज्ञ का मानना है कि लाडवा विधानसभा में सैनी समाज का वोट बैंक काफी अच्छा है। जिसके चलते सीएम सैनी को आने वाले विधानसभा चुनाव में काफी फायदा मिलेगा। जबकि करनाल विधानसभा सीट पर सैनी समाज का वोट काफी कम है। ऐसे में वहां पर आने वाले विधानसभा चुनाव में उनका नुकसान हो सकता है।

सीट बदलने का भीतरघात भी माना जा रहा कारण

राजनीतिक विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि मुख्यमंत्री नायब सैनी कुरुक्षेत्र लोकसभा से 2019 में सांसद चुने गए थे। ऐसे में लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव के मध्यनजर उनको पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री पद से हटाकर नायब सैनी को मुख्यमंत्री बनाया गया था, क्योंकि भारतीय जनता पार्टी यह चाहती थी कि वह ओबीसी समाज का अगर मुख्यमंत्री बनता है तो ओबीसी समाज का वोट बैंक लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को मिलेगा और वह जीत हासिल कर पाएगी।

….लेकिन वह बाय इलेक्शन था

इसके बाद करनाल विधानसभा उपचुनाव और लोकसभा चुनाव को एक साथ करवाया गया और वहां पर मुख्यमंत्री नायब सैनी को भारतीय जनता पार्टी के द्वारा प्रत्याशी बनाया गया। जहां पर उन्होंने जीत हासिल की थी,  लेकिन वह बाय इलेक्शन था। सीधे चुनाव की बात अलग होती है ऐसे में अगर वह एक बार फिर से वहां से चुनाव लड़ते हैं तो वहां पर भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को भी बाहरी प्रत्याशी को झेलना मुश्किल हो जाएगा। ऐसे में पार्टी के आपसी नेताओं में भी मतभेद हो सकते हैं और भीतर घात हो सकता है जिसके चलते वह लाडवा विधानसभा से चुनाव लड़ सकते हैं।

क्या अब नहीं मिलेगा करनाल को सी एम

आपको बता दे कि भारतीय जनता पार्टी की हरियाणा में पिछले 10 सालों से सरकार है 2014 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के द्वारा मनोहर लाल खट्टर को करनाल विधानसभा पर प्रत्याशी बनाया गया था जहां पर जीत हासिल करने के बाद उनको मुख्यमंत्री बनाया गया।  2019 के विधानसभा चुनाव में भी मनोहर लाल को करनाल विधानसभा से चुनाव लड़वाया गया और एक बार फिर से उन्होंने जीत हासिल की और वह हरियाणा के मुख्यमंत्री बने।

क्या करनाल सिटी को सी एम सिटी के नाम से नहीं जाना जाएगा

लोकसभा चुनाव 2024 से बिल्कुल पहले मनोहर लाल के द्वारा इस्तीफा दे दिया गया और वहां पर मुख्यमंत्री नायब सैनी को उपचुनाव में प्रत्याशी बनाया गया, उन्होंने वहां पर जीत भी हासिल की। क्योंकि उन्होंने कहा था कि करनाल ही सी एम सिटी रखेंगे, लेकिन जैसे ही अब मुख्यमंत्री नायब सैनी की करनाल विधानसभा को छोड़कर लाडवा विधानसभा से चुनाव लड़ने की बात मीडिया में चर्चा का विषय बना हुआ है तो अब 10 सालों बाद अब भविष्य में करनाल सिटी को सी एम सिटी के नाम से नहीं जाना जाएगा। क्योंकि वहां अब दूसरे प्रत्याशी को उतारा जाएगा।

नायब सैनी के बाद करनाल सीट पर कौन हैं बीजेपी के संभावित उम्मीदवार

मुख्यमंत्री नायब सैनी के द्वारा विधानसभा चुनाव लाडवा से लड़ने के चलते अब करनाल विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी के दूसरे नेताओं ने भी अपने चुनावी दौर शुरू कर दिए हैं। अब प्रमुख तौर पर चार नेताओं के नाम बीजेपी की टिकट मिलने की दौड़ में सबसे आगे माने जा रहे हैं। सबसे पहला नाम करनाल नगर निगम की पूर्व मेहर रेनू बाला गुप्ता, दूसरा नाम पूर्व जिला अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री के मीडिया कोऑर्डिनेटर जगमोहन आनंद, तीसरा नाम पूर्व जिला अध्यक्ष अशोक सुखीजा और चौथा नाम युवा भाजपा नेता मुकेश अरोड़ा का आ रहा है।

 रेनू बाला की पंजाबी समाज में भी अच्छी पकड़

अगर रेनू बाला गुप्ता की बात करें वह दो बार करनाल नगर निगम की मेयर रह चुकी है और दो बार मेयर रहने के बाद अनुमान लगाया जा रहा है कि वह आगामी विधानसभा चुनाव में अगर प्रत्याशी बनाई जा सकती  है।। क्योंकि उनकी एक अच्छी छवि भी है। तो अच्छा वोट प्रतिशत हासिल करेगी और जीत भी हासिल कर सकती है।

वह बनिया समाज से आती है जिसकी करनाल विधानसभा में 22000 के करीब वोट है और वह पंजाबी समाज में भी अच्छी पकड़ रखती है। जिसकी करनाल विधानसभा में करीब 62000 वोट है। मनोहर लाल खट्टर जब करनाल लोकसभा से संसद का चुनाव लड़ने आए थे। तब उन्होंने उनके चुनाव प्रचार में अहम भूमिका निभाई थी। से में माना जा रहा है कि भारतीय जनता पार्टी का करनाल विधानसभा से प्रत्याशी के रूप में रेनू बाला गुप्ता को उतारा जा सकता है।

अच्छा जन समर्थन अपने साथ रखते हैं जगमोहन आनंद

वहीं अगर जगमोहन आनंद की बात करें वह भारतीय जनता पार्टी के करनाल जिले के पूर्व जिला अध्यक्ष रह चुके हैं इतना ही नहीं वह पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के मीडिया कोऑर्डिनेटर के रूप में भी काम कर चुके हैं और संगठन में काफी अच्छी पकड़ होने के चलते पार्टी में भी अच्छा रुतबा है। करनाल के लोगों के बीच में रहकर उनकी सुख-दुख में काम आते हैं और अच्छा जन समर्थन अपने साथ रखते हैं। तो इनको भी करनाल विधानसभा से प्रत्याशी बनाया जा सकता है।

अशोक सुखीजा की पंजाबी समाज में उनकी अच्छी पकड़

अशोक सुखीजा भारतीय जनता पार्टी के एक वरिष्ठ नेता है और पूर्व जिला अध्यक्ष भी रह चुके हैं इनको भी करनाल विधानसभा से भारतीय जनता पार्टी का एक मजबूत उम्मीदवार माना जा रहा है। माना जाता है कि यह पिछले कई दशकों से भारतीय जनता पार्टी के साथ जुड़े हुए हैं और उस समय जब भारतीय जनता पार्टी हरियाणा में संघर्ष कर रही थी उसे समय उन्होंने पार्टी के लिए काम किया है। वह एक साफ छवि के नेता के रूप में जाने जाते हैं और संगठन में भी काफी मजबूत पकड़ रखते हैं। पंजाबी समाज में उनकी अच्छी पकड़ है और पंजाबी समाज की करनाल विधानसभा में सबसे ज्यादा वोट है। जिसके चलते भारतीय जनता पार्टी उनको भी प्रत्याशी बन सकती है।

 मुकेश अरोड़ा के साथ युवा समर्थन

वहीं अगर बात करें मुकेश अरोड़ा युवा भाजपा नेता है। और वह भी पंजाबी समाज से संबंध रखते हैं ऐसे में पंजाबी समाज में उनकी काफी मजबूत पकड़ होने के चलते वह एक युवा नेता के रूप में भी जाने जाते हैं और युवा का समर्थन उनके साथ काफी दिखाई देता है। तो ऐसे में भारतीय जनता पार्टी मुकेश अरोड़ा पर भी दावा खेल सकती है।

यह चार प्रत्याशी मुख्य तौर पर नायब सैनी के बाद अपनी दावेदारी करनाल विधानसभा सीट पर पेश करते हैं अब देखने वाली बात यह होगी कि अगर मुख्यमंत्री नायब सैनी करनाल विधानसभा से चुनाव नहीं लड़ते तो वह भारतीय जनता पार्टी के द्वारा किसको करनाल विधानसभा के चुनावी रण में उतारा जाएगा।

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