India News Haryana (इंडिया न्यूज), Baba Mastnath University : बाबा मस्तनाथ यूनिवर्सिटी ने पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को और अधिक सुदृढ़ करते हुए ग्रीन अर्थ एनजीओ, कुरुक्षेत्र के साथ एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। यह समझौता पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाने और छात्रों को हरित गतिविधियों में सक्रिय भागीदारी के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से किया गया है। इस समझौते के माध्यम से दोनों संस्थाएं मिलकर पर्यावरण-संवर्धन से जुड़े विविध कार्यक्रमों का संचालन करेंगी और विश्वविद्यालय को हरित परिसर के रूप में विकसित करने की दिशा में काम करें।
इस अवसर पर बाबा मस्तनाथ यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. डॉ. एच.एल. वर्मा ने प्रेरणादायक उद्बोधन में कहा, “प्रकृति हमारे बिना कुछ मांगे ही हमारी सभी आवश्यकताओं की पूर्ति करती है। जब हम इसका सम्मान करते हैं और इसके साथ संतुलन बनाए रखते हैं, तो यह हमें भरपूर देती है। लेकिन जब हम इसका अंधाधुंध शोषण करते हैं और इसे अपने स्वार्थ के लिए नुकसान पहुंचाते हैं, तब इसके परिणाम भयंकर होते हैं। हमारा यह दायित्व है कि हम पर्यावरण संरक्षण के लिए हर संभव प्रयास करें और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वस्थ और हरा-भरा भविष्य सुनिश्चित करें।”
ग्रीन अर्थ एनजीओ के साथ यह समझौता विश्वविद्यालय के उन प्रयासों को और गति देगा, जो पर्यावरण-संवर्धन, जैव विविधता संरक्षण और हरित प्रौद्योगिकी के प्रसार के लिए किए जा रहे हैं। समझौते के अंतर्गत, दोनों संस्थाएं मिलकर वृक्षारोपण कार्यक्रम, जल संरक्षण परियोजनाएँ, अपशिष्ट प्रबंधन, पर्यावरणीय जागरूकता अभियान और हरित तकनीक पर कार्यशालाएं आयोजित करेंगी।
इस अवसर पर ग्रीन अर्थ एनजीओ के कार्यकारी सदस्य डॉ. नरेश भारद्वाज और बाबा मस्तनाथ यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार डॉ. मनोज कुमार वर्मा ने समझौते पर हस्ताक्षर किए। इसके अलावा, ग्रीन अर्थ एनजीओ की ओर से डॉ. मोनिका भारद्वाज और बाबा मस्तनाथ यूनिवर्सिटी की ओर से इको-बायोडायवर्सिटी क्लब की नोडल अधिकारी, डॉ. चंचल मल्होत्रा ने साक्षी के रूप में उपस्थिति दर्ज की।
इस अवसर पर कृषि विभाग के प्रमुख डॉ. दिलबाग अहलावत उपस्थित रहे, जिन्होंने इस समझौते के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि “कृषि और पर्यावरण का गहरा संबंध है। ऐसे समझौतों के माध्यम से हम न केवल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं, बल्कि कृषि क्षेत्र में भी स्थायी विकास को बढ़ावा दे रहे हैं।” समझौते का मुख्य उद्देश्य विश्वविद्यालय परिसर में वृक्षारोपण और हरित क्षेत्र का विस्तार, जल संरक्षण और वर्षा जल संचयन परियोजनाओं का कार्यान्वयन, कचरे का प्रबंधन और पुनर्चक्रण (रीसाइक्लिंग) गतिविधियों को प्रोत्साहित करना, छात्रों और कर्मचारियों को पर्यावरण-संवर्धन के प्रति जागरूक करने के लिए जागरूकता कार्यक्रम और कार्यशालाओं का आयोजन आदि शामिल है।