होम / Loharu Assembly Constituency : राजस्थान के रेतीले टीलों के बीच शह और मात का चुनावी संग्राम: लोहारू में जेपी दलाल के सामने राजवीर फरटिया बड़ी चुनौती

Loharu Assembly Constituency : राजस्थान के रेतीले टीलों के बीच शह और मात का चुनावी संग्राम: लोहारू में जेपी दलाल के सामने राजवीर फरटिया बड़ी चुनौती

• LAST UPDATED : September 21, 2024
  • किसान आंदोलन में दिए गए ब्यान जेपी दलाल को पड़ रहे भारी

पवन शर्मा, India News Haryana (इंडिया न्यूज), Loharu Assembly Constituency : राजस्थान की सीमा से सटे लोहारू हलके में इन दिनों चुनावी आंधी चल रही है। रेतीले टीलों के बीच बसे इस इलाके में राजनीति की गूंज इतनी तेज हो गई है कि हर गांव, हर चौपाल एक ही सवाल से गरम है कि इस बार कौन मारेगा बाजी। यहां मुकाबला एकतरफा नहीं, बल्कि तगड़ा और कांटे की टक्कर वाला है।

एक तरफ प्रदेश के कद्दावर वित्त मंत्री जेपी दलाल हैं, जो ये दावा करते हैं कि लोहारू में नहरी पानी लाने का कार्य उन्होंने किया है और किसानों की हालत सुधारी है। दूसरी ओर राजवीर फरटिया हैं जो एक ऐसा नाम है जो समाजसेवा की बदौलत जनता के दिलों में गहरी जगह बना चुका है। राजबीर ने अपने दम पर यहां पर महिला काॅलेज व लड़कियों के लिए फ्री बस सर्विस और गरीबों की सहायता करके अपनी एक जगह लोगों के बीच बनाई है। यह चुनावी जंग सत्ता और सेवा के बीच की है, अनुभव और जनसंपर्क के बीच की है और जनता को इस बार दोनों के बीच चुनाव करना है।

Loharu Assembly Constituency : जेपी दलाल: अनुभव, काम और विवादों का साया

जेपी दलाल का नाम लोहारू क्षेत्र में अजनबी नहीं है। वर्षों से क्षेत्र की राजनीति में उनकी धाक रही है। पूर्व कृषि मंत्री रहते हुए उन्होंने इलाके में कई बड़े विकास कार्य किए। सड़कों का जाल बिछाना हो, किसानों के लिए सिंचाई की सुविधाएं हों या फिर ग्रामीण विकास योजनाएं हों, दलाल ने हर क्षेत्र में काम करवाया है। ढीघावा गांव के राजेश का कहना है कि इन कामों की बदौलत उन्हें फिर से जीतने में दिक्कत नहीं होगी। गांव सिंघानी के राजबीर का कहना है कि दलाल ने काम बेशक किए हैं, मगर कुछ बिचौले किस्म के लोगों की सिवाय मंत्री ने सुनी किसी की नहीं।

लोगों का मानना है कि राजनीति का खेल केवल काम से नहीं चलता, यहां जनता की नब्ज को पकड़ना भी जरूरी होता है। यहीं पर दलाल के लिए मुश्किलें खड़ी हो रही हैं। उनकी छवि एक अनुभवी लेकिन बिचौलियों से घिरे नेता की मानी जाती है। गांवों में लोग अब ऐसे नेता की तलाश में हैं जो उनकी रोजमर्रा की समस्याओं को समझे और उनके साथ खड़ा रहे।

विवादों से चोली दामन का साथ

दलाल के लिए इससे भी बड़ी चुनौती उनके विवादास्पद बयान हैं। किसान आंदोलन  के दौरान उन्होंने किसानों के खिलाफ दिए बयानों से विवादों में घिरे रहे थे । उनका यह कहना कि “किसान चीन से सहायता पा रहे हैं” और “किसान खालिस्तानी हैं” जैसे बोल अब चुनावों में उनके गले की फांस बन गए हैं। इन बयानों ने किसानों के बीच उनके प्रति गहरा आक्रोश है। यही नहीं, हाल ही में दिया गया बयान कि “अगर कांग्रेस सरकार बना भी ले, तो हम छह महीने में उसे गिरा देंगे” ने आग में घी का काम किया है। यह बड़बोलापन अब उनके लिए भारी पड़ता दिख रहा है।

राजवीर फरटिया: जनता का सेवक या नया खिलाड़ी

वहीं, दूसरी ओर कांग्रेस के उम्मीदवार राजवीर फरटिया का नाम हर गांव, हर गली में गूंज रहा है। कभी ठेकेदार के रूप में जाने जाने वाले फरटिया ने पिछले कुछ वर्षों में समाजसेवा के क्षेत्र में अपनी ऐसी पहचान बनाई है, जिसे नजरअंदाज करना मुश्किल हो गया है। गरीब परिवारों की बेटियों की शादियों में मदद करना, गांवों में चिकित्सा शिविर लगवाना, और शिक्षा के लिए गांव-गांव में जागरूकता फैलाना उनके प्रमुख कामों में शामिल हैं। महिला कालेज व लड़कियों के लिए फ्री बस सर्विस उनके लिए बड़ी उपलब्धि रही है।

बहल के मनबीर का कहना है कि फरटिया की छवि एक जनता के नेता की है, जो हर वक्त उनके साथ खड़ा रहता है। उन्होंने चुनावी मैदान में उतरने से पहले ही अपने समाजसेवी कामों से लोगों का दिल जीत लिया है। मंढोली के रामफल का कहना है कि फरटिया और दलाल में मुकाबला बहुत तगड़ा है, मगर दस साल बीजेपी देखी ली इब बदलाव जरूरी है।

फरटिया की यही छवि अब जेपी दलाल के राजनीतिक किले को ढहाने के लिए कितनी मददगार साबित होगी यह तो समय बताएगा। मगर इतना है कि यह चुनावी लड़ाई सिर्फ दो नेताओं के बीच नहीं, बल्कि सत्ता और सेवा के बीच की लड़ाई बन गई है। जेपी दलाल अपने विकास कार्यों और राजनीतिक अनुभव के सहारे मैदान में डटे हैं, लेकिन  राजवीर फरटिया का जनता के साथ सीधा जुड़ाव, उनकी समाजसेवा और विनम्रता उन्हें जबरदस्त बढ़त दिला रहे हैं।

गिगनाऊ गांव के रामअवतार का कहना है कि मतदाता इस बार नए विकल्प की तलाश में हैं। इस चुनाव का परिणाम चाहे जो भी हो, लेकिन एक बात साफ है। यह मुकाबला सिर्फ सीट जीतने का नहीं, बल्कि लोहारू क्षेत्र की राजनीति की दिशा तय करने वाला है। यह देखना दिलचस्प होगा।

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