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Rahul Gandhi Statement: हरियाणा में कांग्रेस की हार पर राहुल गाँधी ने प्रदेश के नेताओं को ही ठहराया जिम्मेदार और कह दी ये बड़ी बात

• LAST UPDATED : October 11, 2024

India News Haryana (इंडिया न्यूज), Rahul Gandhi Statement:हरियाणा में हर तरह की मेहनत के बाद भी कांग्रेस बीजेपी के समक्ष पस्त पड़ गई। अब कांग्रेस इस कोशिश में लगी हुई है कि आखिर किस तरह सत्ता को वापस हासिल किया जा सके। इसके लिए वो चुनाव आयोग से लेकर EVM को जिम्मेदार ठहरा रही है। इसी के चलते चुनाव के बाद जब हार पर पार्टी की रिव्‍यू मीटिंग हुई तो इस दौरान सबसे ज्‍यादा नाराज लोकसभा में विपक्ष के नेता और पार्टी के सीनियर लीडर राहुल गांधी नजर आए। आपको बता दें. यह बैठक काफी छोटी थी लेकिन इस छोटी सी बैठक में राहुल गाँधी की नाराजगी देखने लायक थी। आपको बता दें राहुल ने हरियाणा कांग्रेस के नेताओं को स्वार्थी बताया और उन्हें ही हार की वजह बताई ।

  • राहुल ने उठाए ये मुद्दे
  • EVM पर क्या बोले नेता ?

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राहुल ने उठाए ये मुद्दे

दरअसल यह बैठक कांग्रेस चीफ मल्लिकार्जुन खरगे की मौजूदगी में उन्ही के घर पर बुलाई गई थी, इस मीटिंग में अजय माकन, अशोक गहलोत, दीपक बाबरिया और केसी वेणुगोपाल जैसे पर्यवेक्षक भी शामिल हुए। इस मीटिंग के दौरान ज्‍यादातर वक्‍त बाकी सदस्‍यों ने अपनी बात कही। राहुल गाँधी इस मीटिंग में ज्यादा नहीं बोले लेकिन जो बोला वो हैरान कर देने वाला था। दरअसल राहुल ने मूल रूप से दो मुद्दे उठाए। जिनमे से पहला- ईवीएम और चुनाव आयोग की गलती का खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ा।

कहा गया गया कि चुनाव की गिनती में क्‍या हेराफेरी हुई इसपर विस्तृत रिपोर्ट आनी चाहिए। वहीं दूसरा मुद्दा यह रहा कि, यह एक ऐसा चुनाव था जिसे जीता जा सकता था, लेकिन स्थानीय नेताओं को पार्टी के बजाय अपनी निजी प्रगति में अधिक रुचि थी। राहुल गांधी की इस बात पर मीटिंग में जोरदार सन्नाटा छा गया और बाकि नेता हैरान और सन्न रह गए।

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EVM पर क्या बोले नेता ?

इसके अलावा उन्‍होंने कहा कि नेता आपस में ही लड़े और पार्टी के बारे में नहीं सोचा। यह कहते हुए गांधी उठकर चले गए. सूत्रों का कहना है कि उनका हमला सिर्फ हुड्डा पर नहीं, बल्कि सभी पर था। इसी वजह से हार के कारणों का आकलन करने के लिए एक समिति गठित की गई। ऐसा पहली बार नहीं है कि अंदरूनी कलह के कारण कांग्रेस को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा हो। ऐसा और भी कई बार हो चुका है। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान इसके ताजा उदाहरण हैं।

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