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Wheat Sowing : हरियाणा में 70 से 80% धान की कटाई का कार्य पूरा और अब शुरू होगी गेहूं की बिजाई

• LAST UPDATED : October 19, 2024
  • किसान डीबीडब्ल्यू 327, 370, 371, 372, 826 और डब्ल्यूएच 1270, 3586 किस्म की गेंहू बिजाई करें : डॉ. रतन तिवारी

इशिका ठाकुर, India News Haryana (इंडिया न्यूज), Wheat Sowing : हरियाणा में किसानों की धान की लगभग 70 से 80% की कटाई हो चुकी है। धान कटाई के बाद किसान अपनी नई फसल की तैयारी करने में लग गए हैं। हरियाणा में मुख्या तौर पर आने वाली फसल गेहूं की है, जिसका रकबा हरियाणा में काफी ज्यादा होता है।

ऐसे में किसानों को एक बड़ी समस्या रहती है कि वह हरियाणा में उगाई जाने वाली उन्नत किस्म की पहचान कैसे करें और गेहूं बिजाई का सही तरीका कैसा हो, जिससे वह गेहूं की फसल की अच्छी पैदावार ले सके। इस समस्या से छुटकारा दिलाने के लिए ईटीवी भारत ने कृषि एक्सपर्ट से बातचीत की, जिसमें उन्होंने बताया कि हरियाणा में कौन-कौन सी उन्नत और नवीनतम किस्म की गेहूं लगाई जा सकती है और इसकी बिजाई की वैज्ञानिक विधि क्या है।

Wheat Sowing : हरियाणा में उन्नत और नवीनतम गेहूं की किस्म : डॉ. रतन तिवारी

डॉ. रतन तिवारी भाकृअनुप-भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान करनाल के निदेशक ने बताया कि संस्थान लगातार गेहूं उगाने वाले किसानों के लिए प्रयासरत रहता है कि उनको अच्छी किस्म का बीज मुहैया कराया जाए, ताकि किसान भाई गेहूं की अच्छी पैदावार ले सकें। उन्होंने कहा कि उनके संस्थान के द्वारा और अन्य यूनिवर्सिटी के द्वारा हरियाणा के लिए कई किस्म जारी की हुई हैं जिसमें से कुछ नई किस्म हैं तो कुछ किस्मों की पिछले साल से बिजाई की जा रही है और उनके यहां पर काफी अच्छा उत्पादन भी रहता है, जिसके चलते वह किसानों को यही किस्म लगाने के लिए कहते हैं।

उन्होंने बताया कि गेहूं की हरियाणा में लगने वाली मुख्य किस्म डीबीडब्ल्यू 327, डीबीडब्ल्यू 370, डीबीडब्ल्यू 371, डीबीडब्ल्यू 372, डीबीडब्ल्यू 826, डब्ल्यूएच 1270, डब्ल्यूएच 3586 यह मुख्य किस्म है जो किसान भाइयों को लगानी चाहिए और इसे उनको अच्छी पैदावार मिल सकती है। उन्होंने बताया कि वैसे तो गेहूं की तीन चरणों में बिजाई की जाती है, लेकिन फिर भी मुख्यता तौर पर अगेती और पछेती दो प्रकार की बिजाई की जाती है। आगे की बिजाई और गेहूं की पूरे हरियाणा में बिजाई 25 अक्टूबर से शुरू हो जाएगी।

25 अक्टूबर से लेकर 5 नवंबर तक अगेती बिजाई

25 अक्टूबर से लेकर 5 नवंबर तक अगेती बिजाई मानी जाती है, लेकिन उसके बाद भी किसान 25 नवंबर तक अगर गेहूं की बिजाई करते हैं तो वह भी पछेती बिजाई में नहीं आती। उसको मध्य बिजाई बोला जाता है, वहीं पछेती बजाई 25 नवंबर के बाद की जाती है। ऊपर बताई गई गेहूं की बीज की किस्म में दोनों चरण के बीज शामिल हैं। लेकिन फिर भी किसान भाई पछेती गेहूं की बिजाई करने के लिए कृषि विशेषज्ञ से बीज चयन करने की राय अवश्य लें।

गेहूं बिजाई के दौरान खाद की मात्रा

संस्थान के निदेशक ने बताया कि गेहूं बुझाई के समय खाद की मात्रा गेहूं की पैदावार पर काफी प्रभाव डालती है। अगर उसको सही मात्रा में खाद दिया जाए तो उससे पैदावार काफी अच्छी होगी। ऐसे में कुछ किसान भाई जानकारी के अभाव में खाद की मात्रा सही नहीं डाल पाए, जिससे उनका उत्पादन प्रभावित होता है, इसलिए किसान भाइयों को चाहिए कि गेहूं की बिजाई करते समय एक एकड़ में एक बैग डीएपी खाद, 25 किलोग्राम पोटाश और आधा बैग यूरिया खाद का डाले। इसको तैयार करने के बाद अगर ड्रिल मशीन से बिजाई कर रहे हैं तो उसमें डालें अगर छींटा विधि से बिजाई कर रहे हैं तो बीज के साथ ही इसको भी इस मात्रा में खेत में डालें।

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बीज उपचार

संस्थान के निदेशक ने बताया कि गेहूं बिजाई से पहले किसान भाई को अपने गेहूं के बीज का उपचार आवश्यक कर लेना चाहिए, क्योंकि अगर किसान भाई बीज का उपचार नहीं करते तो गेहूं में कई प्रकार की बीमारियां हो जाती हैं जिनका कई बार नियंत्रण करना भी मुश्किल हो जाता है। ऐसे में अगर गेहूं की बिजाई से पहले गेहूं के बीज का उपचार सही तरीके से किया जाए तो ऐसी कई प्रकार की बीमारी है जो गेहूं की फसल में आने से बच जाती है।

ऐसे में पैदावार भी अच्छी निकलती है और किसानों का दवाइयां पर होने वाला खर्च भी बच जाता है। गेहूं के बीज का उपचार करने के लिए ‘पायरोकसासल्फोन’ नामक दवाई 2.5 ग्राम का 1 किलोग्राम गेहूं के बीज के साथ उपचार करें। किसान भाई अपने नजदीकी कृषि विशेषज्ञ से भी बातचीत करके अन्य कई प्रकार की उपचार की दवाई इस्तेमाल कर सकते हैं।

मंडूसी (गुल्ली डंडे) खरपतवार का नियंत्रण

उन्होंने बताया कि गेहूं की फसल में खरपतवार की काफी समस्या रहती है। मंडूसी (गुल्ली डंडे) खरपतवार सबसे खतरनाक खरपतवार होता है, जिसको गेहूं का दुश्मन माना जाता है यह बिल्कुल गेहूं के जैसे पत्ते का होता है लेकिन इसका रंग हल्का गहरा होता है। अगर समय रहते इसका नियंत्रण न किया जाए तो यह गेहूं की पैदावार को काफी प्रभावित करता है।

ऐसे में किसानों को चाहिए कि गेहूं बिजाई के तीन दिन के अंदर ही मंडूसी (गुल्ली डंडे) खरपतवार नियंत्रण के लिए ‘पायरोकसासल्फोन’ 60 ग्राम दवाई 150 से 200 लीटर पानी में मिलाकर खेत में स्प्रे करें, लेकिन किसान भाई एक बात का ध्यान अवश्य रखें की कि यह गेहूं बिजाई के बाद 3 दिन के अंदर ही करना जरूरी होता है। उसके बाद इसका प्रभाव नहीं होता। इस दवाई के छिड़काव से खरपतवार नियंत्रण आसानी से किया जा सकता है।

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किसान भाई ड्रिल विधि से करें बिजाई

किसान भाई गेहूं की अच्छी पैदावार लेने के लिए परंपरागत तरीके से की गई बिजाई की बजाय नवीनतम तरीके से की जाने वाली बिजाई को ही अपनाए। छींटा विधि से की गई बिजाई को परंपरागत तरीके से की जाने वाली बिजाई माना जाता है। हालांकि इसमें पैदावार भी ठीक रहती है, लेकिन नई तकनीक ड्रिल मशीन या हैप्पी सीडर के साथ ही गेहूं की बिजाई करना काफी अच्छा रहता है।

किसान भाई के खेत में धान फसल अवशेष बचे हुए हैं उनका भी नियंत्रण हो जाता है और इसके साथ-साथ गेहूं की बिजाई भी हो जाती है। इसमें बीज एक लाइन में मशीन के द्वारा डाले जाते हैं, जिससे बीज उचित दूरी पर और उचित गहराई पर जाकर गिरता है। जिससे फसल काफी अच्छी होती है और लाइन में बिजाई होने के चलते फसल बड़ी होने के बाद उनमें से हवा आसानी से आर-पार होती है। जिसके चलते बीमारियों का खतरा कम रहता है और पैदावार अच्छी होती है।

इस वर्ष देश में कितना रखा गया गेहूं उत्पादन का टारगेट

पिछले वर्ष भारत में 113.29 मिलियन टन हुआ था। जो काफी अच्छा उत्पादन माना जा रहा है और उसके चलते उन्होंने हरियाणा सहित पूरे भारत के किसानों को उसके लिए बधाई दी है कि जिनकी बदौलत उन्होंने इस लक्ष्य को पूरा किया है। वहीं उन्होंने बताया कि इस वर्ष देश में गेहूं उत्पादन के लिए 115 मिलियन टन गेहूं उत्पादन का टारगेट रखा है और उनको पूरी उम्मीद है कि उनके द्वारा तैयार की गई उन्नत किस्म और किसानों की मेहनत से वह इस टारगेट को पूरा कर पाएंगे। उन्होंने कहा कि पूरे विश्व में गेहूं उत्पादन में चीन नंबर वन है, लेकिन हमें उम्मीद है कि किसान भाइयों और कृषि विशेषज्ञों के सहयोग से आने वाले कुछ सालों में हम विश्व में गेहूं उत्पादन में नंबर वन बन सकते हैं।

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