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Stubble Management : हरियाणा में पराली प्रबंधन के लिए उठाए जा रहे सार्थक कदम, यह योजना की गई लागू

• LAST UPDATED : October 29, 2024
  • किसानों को वित्तीय सहायता के साथ-साथ पंचायतों को भी दिए जा रहे जीरो बर्निंग लक्ष्य

  • फसल अवशेष प्रबंधन के लिए किसानों को दी जा रही प्रति एकड़ 1 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि

  • वर्ष 2020-21 से 2023-24 तक किसानों को दी जा चुकी 223 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि

  • पिछले वर्ष के मुकाबले अब तक पराली जलाने की घटनाओं में 29 प्रतिशत की आई कमी

India News Haryana (इंडिया न्यूज), Stubble Management : हरियाणा में फसल अवशेष प्रबंधन के लिए राज्य सरकार द्वारा सार्थक कदम उठाए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के निर्देशानुसार सरकार ने राज्य-विशिष्ट योजना लागू की है, जिसके तहत एक ओर जहां किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन के लिए वित्तीय सहायता दी जा रही है, वहीं दूसरी ओर पंचायतों को जीरो बर्निंग लक्ष्य दिए जा रहे हैं, ताकि पराली जलाने की घटनाओं पर अंकुश लग सके। सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों का ही परिणाम है कि इस वर्ष अब तक पराली जलाने की कुल 713 घटनाएं आईसीएआर द्वारा दर्ज की गई हैं, जो पिछले वर्ष की घटनाओं की तुलना में 29 प्रतिशत कम हैं।

सरकारी प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि धान की फसल की कटाई के बाद धान के ठूंठ जलाने के कारण न केवल वायु प्रदूषण होता है, बल्कि मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी कम होती है और किसानों के स्वास्थ्य पर भी व्यापक असर पड़ता है। इसलिए सरकार द्वारा ग्राम स्तर पर किसानों को पराली न जलाने के लिए जागरूक किया जा रहा है। सरकार के प्रयासों के परिणामस्वरूप 28 अक्टूबर, 2024 तक 83,070 किसानों ने 7.11 लाख एकड़ धान क्षेत्र के प्रबंधन के लिए पंजीकरण कराया है। पंजीकरण की अंतिम तिथि 30 नवंबर, 2024 है।

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Stubble Management : वर्ष 2020-21 से 2023-24 तक किसानों को दी जा चुकी 223 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि

प्रवक्ता ने बताया कि इन सीटू और एक्स-सीटू प्रबंधन के लिए सरकार द्वारा किसानों को सब्सिडी पर फसल प्रबंधन के उपकरण उपलब्ध कराए जा रहे हैं। वर्ष 2018-19 से 2024-25 तक किसानों को कुल 1,00,882 फसल अवशेष प्रबंधन मशीनें 50 से 80 प्रतिशत सब्सिडी पर उपलब्ध कराई गई हैं। चालू वर्ष के दौरान किसानों द्वारा 9,844 मशीनें खरीदी गई हैं।

उन्होंने बताया कि धान फसल के अवशेषों के प्रबंधन हेतु किसानों को प्रति एकड़ 1 हजार रुपये का प्रोत्साहन दिया जा रहा है। इसके अलावा, मेरा पानी-मेरी विरासत योजना के अंतर्गत धान क्षेत्र में अन्य फसलों को अपनाने हेतु प्रति एकड़ 7 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि भी दी जाती है। इस वर्ष 33,712 किसानों ने 66,181 एकड़ के लिए धान के स्थान पर अन्य फसलों का विकल्प चुनकर फसल विविधीकरण के लिए पंजीकरण कराया है। वर्ष 2020-21 से 2023-24 तक किसानों को 223 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि प्रदान की जा चुकी है।

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प्रवक्ता ने बताया कि सरकार ने धान की सीधी बुवाई (डीएसआर) तकनीक अपनाने पर भी प्रति एकड़ 4 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जा रही है। इतना ही नहीं, गोशालाओं को भी प्रति एकड़ 500 रुपये की दर से बेलों के परिवहन शुल्क, अधिकतम 15,000 रुपये प्रोत्साहन स्वरूप दिया जा रहा है। पराली के उपयोग के लिए विभिन्न प्रकार के उद्योग गांवों के पास स्थापित किए जा रहे हैं, ताकि किसान पराली को जलाने की बाजय अतिरिक्त आय कमा सकें।

रेड जोन पंचायतों को जीरो बर्निंग लक्ष्य हासिल करने पर दिया जाएगा 1 लाख का प्रोत्साहन

प्रवक्ता ने बताया कि सरकार द्वारा पिछले वर्ष के धान के ठूंठ जलने की घटनाओं के आधार पर गांवों को रेड ज़ोन, येलो जोन और ग्रीन जोन में वर्गीकृत किया गया है। रेड और येलो जोन में गांवों में पराली जलाने की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए सरकार द्वारा पंचायतों को भी प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। रेड जोन पंचायतों को जीरो बर्निंग लक्ष्य हासिल करने पर 1 लाख रुपये तथा येलो जोन पंचायतों को 50 हजार रुपये का प्रोत्साहन दिया जाएगा।

उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा पराली जलाने से रोकने के लिए प्रयासों और प्रोत्साहनों के बावजूद, कानून का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की गई है। अब तक कुल 334 चालान जारी किए गए हैं और 8.45 लाख रुपये का जुर्माना किसानों से वसूला गया है। इसके अतिरिक्त, अब तक ऐसे किसानों के खेतों के रिकॉर्ड में कुल 418 ‘रेड एंट्री’ दर्ज की गई है तथा 192 किसानों के खिलाफ पुलिस केस दर्ज किये गये है।

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