India News Haryana (इंडिया न्यूज), Lakhwinder Aulakh : हरियाणा में बेशक सरकार पराली जलाने के मामले में सख्त है, लेकिन एकाध दिन बाद पराली के मामले प्रदेशभर से सामने आ ही जाते हैंं। इसी कड़ी में प्रदेश के जिला सिरसा के गांव फरवाई कलां के एक खेत में भी पराली जलाने का मामला सामने आया है। यहां काफी पराली जलाई जा रही है।
घटना पर एक किसान नेता लखविंदर औलख ने कहा कि पराली किसान शौंक से नहीं जलाते, पराली जलाना किसान की मजबूरी है। आज किसानों के पास अत्याधुनिक मशीनों का भी अभाव है और छोटे किसानों के पास तो छोटी मशीनें भी नहीं हैं।
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#WATCH | Haryana: A farm leader, Lakhwinder Aulakh says, “It is the compulsion of the farmer to burn the stubble. The small farmers do not have the required machines and the farmers have to wait for 5-7 days to sell the paddy in the mandis…The government needs to provide good… https://t.co/D7cDA3DA3H pic.twitter.com/Mfnn21WFmo
— ANI (@ANI) November 1, 2024
किसान नेता औलख ने यह भी कहा कि किसानों को मंडियों में धान बेचने के लिए 5 से 7 दिनों तक इंतजार करना पड़ता है। डीएपी लेने के लिए लाइन लगानी पड़ती है। सरकार को किसानों को अच्छी सुविधाएं और उपकरण उपलब्ध कराने की जरूरत है।
वहीं उन्होंनेे कहा कि जो छोटा किसान है, उनके पास साधन भी छोटे ही हैं। खाली पराली जलाना ही प्रदूषण का कारण नहीं है। इस बारे एनजीटी भी स्पष्ट कर चुका है कि पराली के धुएं का केवल 2% हिस्सा है, बाकी 98 प्रतिशत इंडस्ट्री का धूआं प्रदूषण को बढ़ाने में हाथ है। उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि वह पराली जलाने के मामले में कोई उचित व्यवस्था करे जिससे किसान पराली ही न जलाएं। उन्होंने फिर पुन: कहा कि किसी भी किसान का मन नहीं होता कि वह पराली जलाएं।
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