सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने सुनवाई के दौरान कहा कि, ‘आप कहते हैं कि वह 3.7 वर्ग मीटर का अतिक्रमणकर्ता था, लेकिन कोई प्रमाण पत्र नहीं दे रहे हैं. आप क्या इस तरह लोगों के घरों को कैसे तोड़ना शुरू कर सकते हैं? यह अराजकता है, किसी के घर में घुसना.’ सीजेआई की ये यह टिप्पणी उस मामले की सुनवाई के दौरान की गई जिसमें 2019 में सड़क चौड़ीकरण परियोजना के तहत घर को ध्वस्त कर दिया गया था। शीर्ष अदालत ने इसे एक गंभीर विषय बताते हुए राज्य की प्रशासनिक कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं।
उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह से मनमानी है, उचित प्रक्रिया का पालन कहां किया गया है? हमारे पास हलफनामा है, जिसमें कहा गया है कि कोई नोटिस जारी नहीं किया गया था, आप केवल साइट पर गए थे और लोगों को सूचित किया था. हम इस मामले में दंडात्मक मुआवजा देने के इच्छुक हो सकते हैं. क्या इससे न्याय का उद्देश्य पूरा होगा?
याचिकाकर्ता के वकील ने मामले की जांच का आग्रह किया। सीजेआई ने राज्य सरकार के वकील से पूछा कितने घर तोड़े? राज्य के वकील ने कहा कि 123 अवैध निर्माण थे, जस्टिस जेबी पारदीवाला ने कहा कि आपके यह कहने का आधार क्या है कि यह अनाधिकृत था, आपने 1960 से क्या किया है, पिछले 50 साल से क्या कर रहे थे, बहुत अहंकारी, राज्य को एनएचआरसी के आदेशों का कुछ सम्मान करना होगा, आप चुपचाप बैठे हैं और एक अधिकारी के कार्यों की रक्षा कर रहे हैं।
जस्टिस जेबी पारदीवाला ने यूपी सरकार के वकील से कहा कि आपके अधिकारी ने पिछली रात सड़क चौड़ीकरण के लिए पीले निशान वाली जगह को तोड़ दिया, अगले दिन सुबह आप बुलडोजर लेकर आ गए। यह अधिग्रहण की तरह है, आप बुलडोजर लेकर नहीं आते और घर नहीं गिराते, आप परिवार को घर खाली करने का समय भी नहीं देते। चौड़ीकरण तो सिर्फ एक बहाना था, यह इस पूरी कवायद का कोई कारण नहीं लगता।