India News Haryana (इंडिया न्यूज), Haryana Rajya Sabha By Election : हरियाणा में भाजपा नेता कृष्ण लाल पंवार के इस्तीफे के बाद खाली हुई राज्यसभा सीट के लिए जमकर लाबिंग शुरू हो गई है। चूंकि चुनाव जीतने के लिए जरूरी विधायकों की संख्या होने के बाद भाजपा का राज्यसभा सीट जीतना तय माना जा रहा है। ऐसे मेें पार्टी के करीब आधा दर्जन नेता जो अलग-अलग समुदाय से हैं, वो लगातार सीट पर अपनी दावेदारी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से जता रहे हैं।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि राज्यसभा सीट को लेकर जातीय समीकरण हरियाणा में अहम भूमिका निभाने वाले हैं। फिलहाल एससी वर्ग से सुनीता दुग्गल व सुदेश कटारिया, जाट समुदाय से ओपी धनखड़ व कैप्टन अभिमन्यु, ब्राह्मण समुदाय से मोहन लाल बड़ौली, बिश्नोई जाति से कुलदीप बिश्नोई और पंजाबी समुदाय से संजय भाटिया राज्यसभा जाने की दावेदारी जता रहे हैं।
भाजपा नेता कृष्ण लाल पंवार जिनके इस्तीफा देने के बाद राज्यसभा सीट खाली हुई थी, वह आरक्षित वर्ग से है। मुख्य रूप से दो बड़े चेहरे सामने आते हैं जिनमें पूर्व सांसद और अबकी बार विधानसभा चुनाव हारने वाली नेता सुनीता दुग्गल और सुरेश कटारिया हैं। सुदेश कटारिया केंद्रीय मंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल की गुड बुक्स में है, ऐसे में उनकी दावेदारी काफी मजबूत है।
लोकसभा चुनाव में दलित वोट के छिटकने के कारण पूर्व सीएम मनोहर लाल ने अपनी टीम के दलित फेस कटारिया को फील्ड में उतारा था और उन्होंने सभी जिलों में दलित महासम्मेलन भी किए। उनके अलावा आरक्षित वर्ग से ही आने वाली सुनीता दुग्गल भी राज्यसभा सीट के दावेदारों में शामिल हैं। यह भी बता दें कि गत लोकसभा चुनाव में उनका टिकट काटकर कांग्रेस से भाजपा ज्वाइन करने वाले दलित नेता अशोक तंवर को दे दिया गया था।
दलित नेताओं के अलावा 3 अलग-अलग अन्य जातियों से बड़े चेहरे भी राज्यसभा सीट के दावेदार हैं। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और बड़े ब्राह्मण चेहरे मोहनलाल बरौली का नाम भी राज्यसभा सीट के दावेदारों में है। वो खुद विधानसभा चुनाव नहीं लड़े लेकिन पार्टी को जितवाया। उनकी हरियाणा में भाजपा के बड़े ब्राह्मण चेहरे के रूप में पहचान है। साथ ही लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव में संगठन और सरकार को साथ लेकर अच्छा काम किया।
हालांकि वह लोकसभा चुनाव में जीत नहीं सकते, बावजूद इसके पार्टी को विधानसभा में उतारने का फैसला किया था, लेकिन उन्होंने चुनाव लड़ने से मना कर दिया था। उनके अलावा बिश्नोई समाज में ठीक-ठाक प्रभाव रखने वाले कुलदीप बिश्नोई भी राज्यसभा सीट के दावेदार बताए जा रहे हैं। पिछले तीन दिन में उन्होंने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, जेपी नड्डा और कैबिनेट मिनिस्टर मनोहर लाल से मुलाकात भी की। उनकी इन मुलाकातों को उनकी राज्यसभा दावेदारी से जोड़कर भी देखा जा रहा है।
हालांकि चुनाव में उनको पार्टी की ओर से न केवल टिकट मना कर दिया, बल्कि डीपी वत्स का कार्यकाल खत्म होने के बाद उनको दरकिनार करते हुए पार्टी ने सुभाष बराला को तवज्जो देते राज्यसभा सांसद बना दिया था। इन दोनों के अलावा पंजाबी समुदाय से आने वाले और पूर्व लोकसभा सांसद संजय भाटिया जिनको अबकी बार लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं मिला था, भी राज्यसभा सीट के दावेदारों में शामिल हैं।
वहीं भाजपा द्वारा पार्टी के दो दिग्गज नेताओं को राज्यसभा में भेजकर एडजस्ट किया जा चुका है। भाजपा सांसद डीपी वर्ष का कार्यकाल इसी साल खत्म हुआ था और सीट खाली होने के बाद पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला को राज्यसभा सदस्य बनाया गया था। इसी प्रकार इसी साल कांग्रेस नेता दीपेंद्र हुड्डा के लोकसभा सांसद बनने के बाद भी राज्यसभा की सीट खाली हुई थी।
तमाम राजनीतिक समीकरणों को ध्यान में रखते हुए पार्टी द्वारा कांग्रेस छोड़कर बीजेपी ज्वाइन करने वाली किरण चौधरी को राज्यसभा भेजा गया था। अब जिस राज्य सभा सीट पर चुनाव होना है, वह पूर्व राज्यसभा सांसद कृष्ण लाल पवार के इस्तीफे के बाद खाली हुई थी, पर अब भाजपा का कैंडिडेट जीतना तय है। बता दें कि राज्यसभा जाने के दावेदारों में जाट समुदाय से आने वाले कैप्टन अभिमन्यु और ओपी धनखड़ का नाम भी है लेकिन फिलहाल उनकी दावेदारी इतनी मजबूत नजर नहीं आ रही।
वहीं आपको बता दें कि राज्यसभा चुनाव को लेकर शेड्यूल जारी हो चुका है। इसके अनुसार हरियाणा में राज्यसभा उपचुनाव के लिए 20 दिसंबर को वोटिंग होगी और फिर शाम को रिजल्ट जारी होगा। चुनाव आयोग ने इसका नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है। 3 दिसंबर से नामांकन प्रक्रिया शुरू होगी और 10 दिसंबर को नामांकन की लास्ट डेट है।
कृष्णलाल पंवार ने विधानसभा चुनाव जीतने के बाद 14 अक्टूबर को राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया था। जिसके बाद से सीट रिक्त है। जो भी सांसद चुना जाएगा, उसका कार्यकाल 1 अगस्त 2028 तक रहेगा। फिलहाल हरियाणा में भाजपा का राज्यसभा चुनाव जीतना तय है, क्योंकि उसके पास 90 में से 48 विधायक हैं, जबकि मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के पास महज 37 विधायक हैं। वहीं दूसरी तरफ इनेलो की अबकी बार दो विधायक चुनाव जीत कर आए हैं तो 3 निर्दलीय विधायकों ने पहले ही भाजपा को समर्थन दे दिया है।
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