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International Gita Mahotsav : दिव्य गीता सत्संग में ज्ञानानंद ने दिए प्रवचन, बोले- पवित्र ग्रंथ गीता दुनिया का एकमात्र ऐसा ग्रंथ जिसमें समस्या के कारण और निवारण दोनों

• LAST UPDATED : December 5, 2024
  • मंच से उठी बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार की आवाज, विश्वभर के हिंदुओं से इकट्ठा होने का आह्वान

India News Haryana (इंडिया न्यूज), International Gita Mahotsav : कुरुक्षेत्र में श्री कृष्ण कृपा जीओ परिवार द्वारा गीता ज्ञान संस्थानम में आयोजित 5 दिवसीय दिव्य गीता सत्संग में व्यासपीठ से प्रवचन करते हुए गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज ने कहा कि पवित्र ग्रंथ गीता दुनिया का एकमात्र ऐसा ग्रंथ है, जिसमें समस्या का कारण और निवारण दोनों बताए गए हैं। गीता भगवान श्री कृष्ण के मुख से निकली पवित्र वाणी है। आज से पांच हजार एक सौ 61 वर्ष पूर्व भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को निमित बनाकर समस्त विश्व के लिए गीता का ज्ञान दिया।

International Gita Mahotsav : गीता के उपदेश मानव जीवन के लिए सबसे अनुपम उपहार

गीता के उपदेश मानव जीवन के लिए सबसे अनुपम उपहार है। इस उपहार का सदुपयोग करना चाहिए। भगवान श्री कृष्ण ने विश्व को यह उपहार देने के लिए अर्जुन का चयन किया। उन्होंने कहा कि गीता का पहला श्लोक उस पात्र धृतराष्ट्र से प्रारंभ होता है, जिसकी अंदर और बाहर की दोनों दृष्टियां शून्य हैं। वह विवेकहीन था और मोहग्रस्त हो गया था। मोह की संर्कीणता के वशीभूत होकर धृतराष्ट्र ने अपने भाई के पुत्रों को उनका हिस्सा देने से इंकार कर दिया।

महाभारत के युद्ध के पीछे पारिवारिक कलह

गीता में बताया गया है कि महाभारत के युद्ध के पीछे पारिवारिक कलह थी। महाभारत के 10वें दिन हाहाकार और चित्कार के बीच भगवान श्री कृष्ण ने गीता का उपदेश इसी धरा पर दिया था। महाभारत का युद्ध देखने के लिए मर्हिष वेदव्यास ने धृतराष्ट्र को दिव्य दृष्टि देने की पेशकश की, लेकिन धृतराष्ट्र डर गया और उसने दिव्य दृष्टि लेने से इंकार कर दिया। उसके भाग्य में नहीं था कि वह भगवान श्री कृष्ण के विराट रूप के दर्शन क सके और पवित्र ग्रंथ गीता का श्रवण करे। बिना भाग्य के भी कुछ नहीं मिलता।

अहम कौरवों की हार का कारण बना

गीता मनीषी ने कहा कि जब अहम यानि मैं हावी हो जाता है तो वह हार का कारण बनता है, यहीं अहम कौरवों की हार का कारण बना। रामायण का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि रावण को भी उसके अहम ने मारा था।उन्होंने कहा कि गीता में हर समस्या का पहले कारण बताया गया और फिर उसका निवारण किया गया। रामायण और महाभारत दोनों में राजसिंहासन और पारिवारिक कलह को कारण बताया गया है।

वहीं इस दौरान दिव्य गीता सत्संग में मंचासीन स्वामी निबंकाचार्य, स्वामी प्रकाशानंद, स्वामी नवलगिरी, स्वामी अगीतानंद, स्वामी मारूतिनंदन वागेश, स्वामी हरिओम परिजावक व स्वामी ज्ञानेश्वर सहित अनेक प्रमुख संतों ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार की कड़ी निंदा की और विश्वभर के हिंदुओं से इकट्ठठे होने का आह्वान किया।

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