India News Haryana (इंडिया न्यूज), Farmers Protest : माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने 11 और 12 सितंबर, 2024 को चंडीगढ़ में पंजाब और हरियाणा के मुख्य सचिवों और डीजीपी की बैठक बुलाई। बैठक में सुझाव दिया गया कि जगजीत सिंह डल्लेवाल और सरवन सिंह पंढेर की अध्यक्षता वाले संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा को बैठक के लिए बुलाया जाए। जगजीत सिंह डल्लेवाल और सरवन सिंह पंढेर से अनुरोध किया गया कि वे बैठक के लिए अपनी सुविधाजनक तारीख और समय बताएं। हालांकि, उनकी ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।
इसके बाद माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने उन्हें 18 अक्टूबर, 2024 को दोपहर 3 बजे हरियाणा निवास, चंडीगढ़ में बैठक बुलाने का निमंत्रण भेजा। दोनों प्रदर्शनकारी किसान यूनियनों के नेताओं ने समिति के साथ चर्चा के लिए आने में असमर्थता व्यक्त की, बाद में समिति के अध्यक्ष को संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के श्री जगजीत सिंह डल्लेवाल ने भाग लेने की अपनी इच्छा से अवगत कराया और प्रतिनिधिमंडल में शामिल किसानों की एक सूची भी भेजी थी – लेकिन बैठक होने से कुछ घंटे पहले किसान यूनियन पीछे हट गई।
उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने उन्हें 4 नवंबर को चंडीगढ़ स्थित हरियाणा निवास में निर्धारित बैठक के लिए फिर से निमंत्रण भेजा। 4 नवंबर को प्रदर्शनकारी किसानों के संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) का प्रतिनिधित्व करने वाले 12 किसानों का एक प्रतिनिधिमंडल बैठक के लिए आया। उन्होंने 13 सूत्रीय मांग पत्र प्रस्तुत किया और समिति से अनुरोध किया कि वह इन मांगों को लागू करने की आवश्यकता से माननीय सर्वोच्च न्यायालय को अवगत कराए। मांगों पर चर्चा की गई और समिति ने किसानों के प्रतिनिधिमंडल को उनकी मांगों की जांच/विश्लेषण करने और इसे माननीय सर्वोच्च न्यायालय के ध्यान में लाने का आश्वासन दिया। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी और कमेटी की मीटिंग से संबंधित विवरण इस प्रकार से है।
सुप्रीम कोर्ट ने शंभू बॉर्डर पर किसानों के आंदोलन से जुड़ी समस्या का समाधान निकालने के लिए उच्चाधिकार प्राप्त समिति का गठन किया। इस समिति की घोषणा 2 सितंबर 2024 को की गई थी। समिति का उद्देश्य प्रदर्शनकारी किसानों से वार्ता कर समाधान निकालना और बॉर्डर पर जमी हुई नाकेबंदी को हटाना है ताकि आमजन को असुविधा न हो।
सूत्रों ने बताया कि अब तक कमेटी ने अपनी फाइनल रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में नहीं सौंपी है। इसलिए किसान संगठन अब भी अपनी बात इस कमेटी के समक्ष रख सकते हैं।