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Pakistan: कभी पाक में भी था हिन्दुओं की पार्टी का जलवा, फिर हुआ कुछ ऐसा कि मिट गया नामो निशान, जानिए भगवा झंडे का क्या हुआ?

• LAST UPDATED : December 11, 2024

India News Haryana (इंडिया न्यूज), Pakistan: कभी पाकिस्तान में हुन्दुओं का भी वर्चस्व था। आपकी जानकारी के लिए बता दें, बंटवारे से पहले पाकिस्तान में हिंदुओं की अच्छी खासी आबादी थी। कहीं ना कहीं हिन्दुओं का दबदबा पाकिस्तान में भी देखने को मिलता था, फिर हुआ कुछ यूँ आजादी के बाद भारत और पाकिस्तान अलग हो गए और ज्यादातर हिन्दुओं ने भारत अपने वतन को ही चुना और अधिकतर मुस्लिम आबादी पाकिस्तान के साथ ही अलग हो गई।

लेकिन इतना होने के बाद भी कुछ हिंदू शासको ने पाकिस्तान में रहने का फैसला लिया। उनके साथ ही हिन्दुओं की कुछ आबादी भी वहीं बस गई। इन्हीं में से एक थे पाकिस्तान के सिंध प्रांत में उमरकोट (पहले अमरकोट) के हिंदू राजा राणा चंद्र सिंह। इन्होने एक हिन्दू पार्टी की शुरुआत की।

  • पाकिस्तान में बनी हिन्दू पार्टी
  • इस कारण खत्म हुई पार्टी

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पाकिस्तान में बनी हिन्दू पार्टी

आपको बता दें इन्होंने ही पहली बार 1990 में हिन्दुओं के हित के बारे में सोचते हुए एक राजनीतिक पार्टी बनाई और उसे नाम दिया पाकिस्तान हिंदू पार्टी । इस पार्टी की स्थापना काफी अच्छे से और जश्न के साथ हुई। लेकिन इस पार्टी को जितनी दिलचस्पी से बनाया गया उतनी ही शांति से कुछ सालों बाद इस पार्टी का नामों निशान मिट गया। आपको बता दें उमरकोट रियासत के हिंदू राजा राणा चंद्र सिंह को कद्दावर हिंदू नेता माना जाता था। माना जाता था कि ये पार्टी हिंदुओं के लिए एक रीढ़ की हड्डी का काम करेगी और आवाज उठाएगी।

लेकिन चीजें सोच से बिल्कुल परे हुईं। आपको बता दें इस पार्टी का नामों निशान ऐसे मिटाया गया कि अब ये पार्टी पाकिस्तान चुनाव आयोग तक में रजिस्टर्ड नहीं है। लेकिन इतिहास के पन्नो से इस पार्टी को कोई नहीं मिटा सका। अब राणा चंद्र सिंह के बेटे राणा हमीर सिंह इस पार्टी के प्रमुख हैं।

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इस कारण खत्म हुई पार्टी

दरअसल, राणा चंद्र सिंह ने पाकिस्तान हिंदू पार्टी बनाई, लेकिन इस पार्टी के ज़्यादातर पदाधिकारी या तो उनके रिश्तेदार थे या फिर उच्च पदस्थ हिंदू। इसमें पाकिस्तान की निचली हिंदू जातियों का कोई प्रतिनिधित्व नहीं था। ऐसे में यह पार्टी अपना जनाधार बनाने में विफल रही। दूसरे, इस पार्टी के लोग ज़मीन पर हिंदुओं को उस तरह साथ लेकर नहीं चल पाए, जैसा उन्हें चलना चाहिए था। दूसरी तरफ़, पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी ने प्रांतीय विधानसभा और राष्ट्रीय विधानसभा की आरक्षित सीटों पर जिन हिंदू अल्पसंख्यकों को भेजा, वे भी निचली जाति के हिंदू थे। बेशक, पीपीपी ने हिंदुओं के लिए ज़्यादा कुछ नहीं किया हो, लेकिन इसने उन्हें अपनी पार्टी से जोड़ा भी।

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