India News Haryana (इंडिया न्यूज), PM Modi : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को दिल्ली में एक कार्यक्रम में तमिल कवि और स्वतंत्रता सेनानी सुब्रमण्य भारती की 143वीं जयंती पर उनकी संपूर्ण रचनाओं का संग्रह जारी किया। इस संग्रह का शीर्षक ‘काला वरिसायिल भारती पदैप्पुगल’ है और यह कालानुक्रमिक क्रम में महाकवि भरतियार की संपूर्ण संग्रहित रचनाएँ हैं। इसे सीनी विश्वनाथन ने संकलित किया है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कवि को “माँ भारती की सेवा के लिए समर्पित एक गहन विचारक” के रूप में याद किया और उन्हें श्रद्धांजलि भी दी।
पीएम मोदी ने कहा, “आज देश महान तमिल कवि और स्वतंत्रता सेनानी सुब्रमण्यम भारती की जयंती मना रहा है। मैं उन्हें अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। सुब्रमण्यम भारती मां भारती की सेवा के लिए समर्पित एक गहन विचारक थे। 2020 में महामारी के बावजूद, हमने सुब्रमण्यम भारती की 100वीं पुण्यतिथि मनाई।” पीएम मोदी ने भारती के कार्यों पर भी प्रकाश डाला और कहा कि वह “एक ऐसे व्यक्ति थे जो समझते थे कि भविष्य में क्या है।” उस समय भी जब समाज कई समस्याओं का सामना कर रहा था, उन्होंने युवाओं और महिलाओं के सशक्तिकरण की वकालत की। उन्हें विज्ञान और नवाचार में भी विश्वास था।
उन्होंने कहा था कि ऐसा कोई उपकरण होना चाहिए जिससे हम कांची में बैठकर देख सकें कि काशी में क्या हो रहा है और हम आज इसे जी रहे हैं। पीएम मोदी ने कहा कि “हमारे देश में शब्द केवल अभिव्यक्ति का माध्यम नहीं हैं, बल्कि उनका एक गहरा महत्व भी है। हम एक ऐसी संस्कृति से ताल्लुक रखते हैं, जिसमें शब्दों की असीम शक्ति समाहित है, इसलिए हमारे ऋषियों के शब्द केवल उनके विचार नहीं हैं, बल्कि उनके चिंतन, अनुभव और आध्यात्मिक अभ्यास का सार हैं।” इस कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और एल मुरुगन सहित अन्य लोग शामिल हुए।
कार्यक्रम के बाद एक्स पर एक पोस्ट में पीएम मोदी ने कहा कि उन्हें भारती की रचनाओं के संग्रह का विमोचन करते हुए सम्मानित महसूस हो रहा है। पोस्ट में उल्लेख किया गया है, “महाकवि सुब्रमण्य भारती की रचनाओं के संग्रह का विमोचन करते हुए सम्मानित महसूस कर रहा हूं। समृद्ध भारत और हर व्यक्ति के सशक्तीकरण के लिए उनका दृष्टिकोण पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा।”
सुब्रमण्य भारती राष्ट्रवादी काल के एक भारतीय लेखक थे और उन्हें आधुनिक तमिल साहित्यिक शैली का जनक माना जाता है। ‘महाकवि भरतियार’ के नाम से भी जाने जाने वाले भारती की सामाजिक न्याय की प्रबल भावना ने उन्हें आत्मनिर्णय के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया। उनके कुछ सबसे महत्वपूर्ण कार्यों में कन्नन पट्टू, पांचाली सपथम, कुयिल पट्टू, पुडिया रूस और ज्ञानरथम शामिल हैं।