इंडिया न्यूज, भिवानी।
Bhiwani News : एक कहावत है जाको राखे साइयां मार सके न कोई। ये कहावत पूरी तरह से सटीक बैठती है भिवानी की दो दिन की बच्ची पर। इस बच्ची को तीन अलग-अलग जिलों के आठ निजी अस्पतालों ने जवाब दे दिया था। यहां तक कि भिवानी के सरकारी अस्पताल से भी जवाब मिल चुका था। (Bhiwani News) बच्ची के निधन पर दुखी परिजन इसका अंतिम संस्कार करने की सोच ही रहे थे कि अचानक करिश्मा हो गया। अचानक बच्ची की धड़कन ने पूरे परिवार और डाक्टरों को उम्मीद दे दी।
महेन्द्रगढ के झांडली गांव निवासी बलराम शर्मा की पत्नी ने महेन्द्रगढ के निजी अस्पताल में एक बच्ची को जन्म दिया। नवजात बच्ची की अगले दिन ज्यादा तबीयत खराब हो गई। वहां 4-5 अस्पतालों में नवजात को गंभीर बताया। इसके बाद इस नवजात बच्ची को भिवानी के जानकारों के माध्यम से दो-तीन अस्पतालों में चेक कराया। यहां से भी हिसार रेफर कर दिया।(Bhiwani News) वहां भी अगले दिन डॉक्टरों ने जवाब दे दिया।
परिजन दो दिन की नवजात को मरा हुआ मान कर मिट्टी देने गांव की तरफ चल पड़े। कुछ देर बाद ही बच्ची की एक धड़कन ने परिजनों के उम्मीद की नई किरण दिखी। (Bhiwani News) आनन फानन में भिवानी के नागरिक अस्पताल में भर्ती करवाया गया। जहां चिकित्सकों की मेहनत व परिजनों की दुआ के बाद नवजात को नया जीवन मिला। 16 दिन बाद दवा व दुआ के चलते नवजात बच्ची बिल्कुल ठीक हो गई। इस खुशी में बच्ची के साथ परिजनों को भी नया जीवन मिला। इस खुशी में परिजनों ने चिकित्सकों का फूल मालाओं से सम्मान किया और मासूम को थाली बजाते घर लेकर गए।
नवजात बच्ची के दादा अशोक भारद्वाज ने बताया कि वो तीन जिलों के 7-8 अस्पतालों में इस बच्ची को इलाज के लिए लेकर गए, लेकिन सभी ने जवाब दे दिया। जब वो इसे मिट्टी देने हिसार से गांव की तरफ चले तो बीच में नवजात की एक धड़कन ने नई किरण जगाई और भिवानी के नागरिक अस्पताल में भर्ती करवाया। जहां डॉक्टरों की मेहनत और परिजनों की दुआ से बच्ची आज ठीक हो चुकी है।
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