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Mahipal Dhanda : गोवंश के संरक्षण की दिशा में सरकार ने उठाए अहम कदम, शिक्षा मंत्री ने की सरकार की घोषणाओं की सराहना 

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  • मुख्यमंत्री नायब सैनी ने गौशालाओं के लिए 216.25 करोड़ रुपये की चारा अनुदान राशि की जारी : मंत्री महिपाल ढांडा
  • प्रदेशभर में जो पंचायतें गौ-चरान की भूमि को ठेके पर देती है, अब उस पैसे का उपयोग गौशालाओं के लिए किया जाएगा
  • हरियाणा सरकार अधिकारियों ने गौ-चरान की भूमि को गौशालाओं की इच्छा अनुसार चारा उगाने के लिए दी जा सकेगी भूमि

India News Haryana (इंडिया न्यूज), Mahipal Dhanda : हरियाणा के शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा ने कहा कि प्रदेश में गोवंश के संरक्षण की दिशा में सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए यह निर्णय लिया है कि प्रदेश भर में गौ-चरान की जितनी भूमि है, उसे चिह्नित किया जाएगा और इस भूमि को जो पंचायतें ठेके पर देती हैं, अब उस पैसे का उपयोग गौशालाओं की गतिविधियों के लिए प्रयोग किया जाएगा।

इसके अलावा, अधिकारियों को भी एक रोडमैप तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं, जिसके तहत गौ-चरान की भूमि को गौशालाओं की इच्छा अनुसार चारा उगाने के लिए भूमि आवंटित की जा सकेगी। मंत्री ने बताया कि गौशालाओं के लिए 216.25 करोड़ रुपये की चारा अनुदान राशि जारी की।

Mahipal Dhanda : बिक्री के लिए सरकार की ओर से मार्केटिंग में सहयोग किया जाएगा

मंत्री ने कहा कि हरियाणा सरकार द्वारा गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए व्यापक प्रयास किये जा रहे हैं। इसी दिशा में गौशालाओं को बायोगैस प्लांट लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा और बायोगैस बनाने के लिए तकनीकी सहायता सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जाएगी। इसके अलावा, गाय के गोबर से तैयार होने वाले प्रोमो खाद की विधि भी गौशालाओं के साथ साझा की जाएगी, ताकि प्रोमो खाद डीएपी के विकल्प के रूप में उपयोग हो सके। इतना ही नहीं, गाय के गोबर से पेंट, गौमूत्र से फिनायल, साबुन, शैंपू आदि उत्पाद बनाने के लिए भी गौशालाओं को प्रोत्साहित किया जाएगा। इन उत्पादों की बिक्री के लिए सरकार की ओर से मार्केटिंग में सहयोग किया जाएगा।

डेटा ऑनलाइन उपलब्ध रहेगा, जिसकी रिपोर्ट वे स्वयं देखेंगे

उन्होंने कहा कि 330 गौशालाओं में सोलर ऊर्जा प्लांट लगाये गये हैं। शेष बची गौशालाओं में भी सोलर पावर प्लांट लगाने का कार्य शीघ्र पूरा किया जाएगा, ताकि गौशालाएं आत्मनिर्भर बन सकें। उन्होंने कहा कि सरकार गौशालाओं में 2 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली उपलब्ध करवा रही है।  पशुपालन एवं डेयरी विभाग द्वारा गौ संवर्धन एवं गौ संरक्षण योजना के अंतर्गत देसी नस्ल की गायों को बढ़ावा दिया जाएगा।

इससे ए-टु दूध के उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा और इसके लाभकारी मूल्य मिलें, इसके लिए प्रयास किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि प्रदेश में सभी गौवंश, चाहे नन्दी हो, गौमाता हो, बछड़ा या बछड़ी, सभी की टैगिंग की जाएगी और यह डेटा ऑनलाइन उपलब्ध रहेगा, जिसकी रिपोर्ट वे स्वयं देखेंगे। उन्होंने ने कहा कि आज हमारा समाज फिर से एक बार पुरानी संस्कृति की तरफ बढ़ रहा है। आज घर में जब बच्चे या माता पिता का जन्मदिन होता है तो परिवारजन गौशालाओं में जाकर गौ सेवा करते हैं। यही हमारी संस्कृति है।

गोवंश संरक्षण के लिए गौशालाओं को दी सहायता

शिक्षा मंत्री हरियाणा महिपाल ढांडा ने कहा कि हरियाणा सरकार ने पंजीकृत गौशालाओं को पिछले 10 वर्षों में चारे के लिए लगभग 270 करोड़ रुपये का अनुदान दिया है। इसके अलावा, लगभग 350 शेड निर्माण व चारा गोदाम के लिए 30 करोड रुपये की अनुदान राशि दी गई है। इस वित्त वर्ष में 608 गौशालाओं को लगभग 66 करोड़ रुपये चारा खरीद हेतु जारी किए जा चुके हैं।

इतना ही नहीं, पहले गौशालाओं से जमीन की रजिस्ट्री पर 1 प्रतिशत शुल्क लिया जाता था, लेकिन अब नई गौशालाओं को जमीन की रजिस्ट्री पर कोई भी स्टाम्प ड्यूटी नहीं देनी होगी। मंत्री ने कहा कि गौशालाओं में गौवंश के स्वास्थ्य की जांच के लिए पशु चिकित्सकों की सुव्यवस्था न होने के कारण दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। उनकी इस समस्या का भी निदान किया है।

किसानों को प्राकृतिक खेती के प्रति जागरूक करें

गौशालाओं में सप्ताह में एक दिन पशु चिकित्सक ड्यूटी करेगा। साथ ही मोबाइल पशु चिकित्सालय की सेवाएं भी गौशालाओं के लिए उपलब्ध करवाई जा रही हैं। उन्होंने ने कहा कि हरियाणा को बेसहारा गौवंश से मुक्त करना हमारी प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि बेसहारा गोवंश कई बार दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं।

अब बेसहारा बछड़ा या बछड़ी को पकडऩे वाली गौशाला को 300 रुपये, गाय के लिए 600 रुपये और नन्दी के लिए 800 रुपये की दर से नकद भुगतान किया जाएगा। मंत्री ने गौ सेवकों से आह्वान किया कि वे सभी किसानों को प्राकृतिक खेती के प्रति जागरूक करें। आज किसानों द्वारा खेतों में अत्यधिक कीटनाशकों का उपयोग करने के कारण मानव जाति के साथ -साथ चारे के रूप में गोवंश पर भी बुरा असर पड़ रहा है। इसलिए प्राकृतिक खेती ही इसका एकमात्र समाधान है।

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