India News Haryana (इंडिया न्यूज), Farmers Protest: हरियाणा और पंजाब के किसान साल 2020 से मिलकर केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। दरअसल हम उस आंदोलन की बात कर रहे हैं जिसके कारण केंद्र सरकार को तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लेना पड़ा। वहीं इस बीच खबर आ रही है कि अब चल रहे किसान आंदोलन से हरियाणा के किसानों ने मीलों की दूरी बना ली है। वहीं पंजाब के किसानों ने हरियाणा के किसानों को साथ लेने में विफलता के लिए कई वजह जाहिर की हैं। पंजाब के किसानों का कहना है कि उनका जल्दबाजी में किया गया ‘दिल्ली चलो’ का आह्वान और पिछले साल अक्टूबर में विधानसभा चुनावों के बाद हरियाणा में भाजपा की आश्चर्यजनक वापसी के कारण कहीं न कहीं हरियाणा के किसान आंदोलन से पीछे हट रहे हैं।
वहीं जानकारी के मुताबिक किसानों का मानना है कि नई नायब सिंह सैनी सरकार के सक्रिय दृष्टिकोण के साथ-साथ भावांतर भरपाई योजना, मूल्य कमी भुगतान पहल, और राज्य सरकार के दिसंबर 2024 में MSP पर 24 फसलों की खरीद के फैसले जैसी योजनाओं को राज्य के किसानों के एक बड़े हिस्से द्वारा संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) के तत्वावधान में चल रहे विरोध प्रदर्शन से दूर रहने के संभावित कारणों के रूप में देखा जा रहा है। वहीं जब से हरियाणा में नयन सरकार आई है तब से ही हरियाणा में किसानों की स्थिति में सुधार आया है। वहीं राज्य सरकार भी उनकी हर एक जरूरत को ध्यान में रखते हुए कार्य कर रही है।
आपको बता दें एमएसपी पर 24 फसलों की खरीद के कदम से कई किसान नेता प्रभावित हुए हैं तो कई प्रभावित नहीं हुए, लेकिन ऐसा लगता है कि इससे यह संदेश गया है कि राज्य सरकार एमएसपी के मुद्दे पर प्रयास कर रही है। चल रहे आंदोलन में प्रदर्शनकारियों की एक प्रमुख मांग एमएसपी की कानूनी गारंटी है। वहीं सैनी सरकार के एमएसपी कदम की प्रशंसा करते हुए हरियाणा के किसान नेता सुरेश कोथ ने कहा कि एमएसपी की मांग केवल केंद्र सरकार ही पूरी कर सकती है। लेकिन अगर अन्य राज्य हरियाणा सरकार की तरह काम करें तो वो केंद्र सरकार पर एमएसपी पर कानूनी गारंटी सुनिश्चित करने के लिए कानून लाने का दबाव बना सकते हैं।