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Mesh Rashifal 7 March 2022 Aries horoscope Today धर्म-कर्म में आज के दिन रुचि बढ़ी रहेगी

• LAST UPDATED : March 7, 2022

Mesh Rashifal 7 March 2022 Aries horoscope Today

***|| जय श्री राधे ||***
?? महर्षि पाराशर पंचांग ??
??? अथ पंचांगम् ???
****ll जय श्री राधे ll****
??????????

दिनाँक-:07/03/2022,सोमवार

आज के दिन आपके धर्म-कर्म में रुचि बढ़ी रहेगी। कोर्ट व कचहरी के सभी काम आपके ही मनोनुकूल रहेंगे। लाभ के अवसर हाथ आएंगे लेकिन चिंता और तनाव में दिन बीतेगा। वहीं मित्रों के साथ आपके संबंध आज सुधरेंगे। आपकी व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। विरोधी काफी सक्रिय रहेंगे। स्वास्थ्य का पाया कमजोर रह सकता है।

पंचमी, शुक्ल पक्ष
फाल्गुन
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्तिकाल)

तिथि——— पंचमी 22:31:56 तक
पक्ष———————— शुक्ल
नक्षत्र——— भरणी 29:53:01
योग———— ऐन्द्र 23:58:20
करण———- बव 09:46:25
करण——– बालव 22:31:56
वार——————— सोमवार
माह———————-फाल्गुन
चन्द्र राशि ———————– मेष
सूर्य राशि—————— कुम्भ
रितु———————- शिशिर
सायन———————वसन्त
आयन ———————उत्तरायण
संवत्सर——————– प्लव
संवत्सर (उत्तर) ————-आनंद
विक्रम संवत————- 2078
विक्रम संवत (कर्तक)——2078
शाका संवत————– 1943

वृन्दावन
सूर्योदय————- 06:38:54
सूर्यास्त—————18:21:53
दिन काल —————11:42:58
रात्री काल———– 12:15:57
चंद्रोदय————– 09:23:56
चंद्रास्त————– 22:52:51

लग्न—- कुम्भ 22°16′ , 322°16′

सूर्य नक्षत्र——— पूर्वाभाद्रपदा
चन्द्र नक्षत्र————— भरणी
नक्षत्र पाया—————–रजत

??? पद, चरण ???

ली—- भरणी 10:16:54

लू—- भरणी 16:46:34

ले—- भरणी 23:18:39

लो—- भरणी 29:53:01

??? ग्रह गोचर ???

ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य=कुम्भ 22:12 ‘पू o भा o , 1 से
चन्द्र =मीन 14°23, भरणी , 1 ली
बुध = कुम्भ 01 ° 07 ‘ धनिष्ठा ‘ 3 गु
शुक्र=मकर 06°05, उ oषा o ‘ 3 जा
मंगल=मकर 05°30 ‘ उ o षा o ‘ 3 जा
गुरु=कुम्भ 20°30 ‘ पू o भा o, 1 से
शनि=मकर 24°33 ‘ धनिष्ठा ‘ 1 गा
राहू=(व)वृषभ 02°00’ कृतिका , 2 ई
केतु=(व)वृश्चिक 02°00 विशाखा , 4 तो

??? मुहूर्त प्रकरण ???

राहू काल 08:07 – 09:35 अशुभ
यम घंटा 11:03 – 12:30 अशुभ
गुली काल 13:58 – 15:26 अशुभ
अभिजित 12:07 -12:54 शुभ
दूर मुहूर्त 12:54 – 13:41 अशुभ
दूर मुहूर्त 15:14 – 16:01 अशुभ

?चोघडिया, दिन
अमृत 06:39 – 08:07 शुभ
काल 08:07 – 09:35 अशुभ
शुभ 09:35 – 11:03 शुभ
रोग 11:03 – 12:30 अशुभ
उद्वेग 12:30 – 13:58 अशुभ
चर 13:58 – 15:26 शुभ
लाभ 15:26 – 16:54 शुभ
अमृत 16:54 – 18:22 शुभ

?चोघडिया, रात
चर 18:22 – 19:54 शुभ
रोग 19:54 – 21:26 अशुभ
काल 21:26 – 22:58 अशुभ
लाभ 22:58 – 24:30* शुभ
उद्वेग 24:30* – 26:02* अशुभ
शुभ 26:02* – 27:34* शुभ
अमृत 27:34* – 29:06* शुभ
चर 29:06* – 30:38* शुभ

?होरा, दिन
चन्द्र 06:39 – 07:37
शनि 07:37 – 08:36
बृहस्पति 08:36 – 09:35
मंगल 09:35 – 10:33
सूर्य 10:33 – 11:32
शुक्र 11:32 – 12:30
बुध 12:30 – 13:29
चन्द्र 13:29 – 14:28
शनि 14:28 – 15:26
बृहस्पति 15:26 – 16:25
मंगल 16:25 – 17:23
सूर्य 17:23 – 18:22

?होरा, रात
शुक्र 18:22 – 19:23
बुध 19:23 – 20:25
चन्द्र 20:25 – 21:26
शनि 21:26 – 22:27
बृहस्पति 22:27 – 23:29
मंगल 23:29 – 24:30
सूर्य 24:30* – 25:31
शुक्र 25:31* – 26:33
बुध 26:33* – 27:34
चन्द्र 27:34* – 28:35
शनि 28:35* – 29:37
बृहस्पति 29:37* – 30:38

?? उदयलग्न प्रवेशकाल ??

कुम्भ > 05:40 से 07:06 तक
मीन > 07:06 से 08:37 तक
मेष > 08:37 से 11:20 तक
वृषभ > 11:20 से 13:01 तक
मिथुन > 13:01 से 14:25 तक
कर्क > 14:25 से 16:49 तक
सिंह > 16:49 से 17:50 तक
कन्या > 17:50 से 09:05 तक
तुला > 09:05 से 11:32 तक
वृश्चिक > 11:32 से 02:44 तक
धनु > 02:44 से 03:48 तक
मकर > 03:48 से 05:40 तक

?विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार

(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट

नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

?दिशा शूल ज्ञान————-पूर्व
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा काजू खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll

? अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।

5 + 2 + 1 = 8 ÷ 4 = 0 शेष
स्वर्ग लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l

?? ग्रह मुख आहुति ज्ञान ??

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है

बुध ग्रह मुखहुति

? शिव वास एवं फल -:

5 + 5 + 5 = 15 ÷ 7 = 1 शेष

कैलाश वास = शुभ कारक

?भद्रा वास एवं फल -:

स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।

?? विशेष जानकारी ??

*स्कन्ध षष्ठी

*अशोक षष्ठी(बंगाल)

*यमुना जयन्ती

* विश्व स्वास्थ्य दिवस

??? शुभ विचार ???

एकोऽपि गुणवान् पुत्रो निर्गुणैश्च शतैर्वरः ।
एकश्चन्द्रस्तमो हन्ति न च ताराः सहस्त्रशः ।।
।।चा o नी o।।

सैकड़ों गुणरहित पुत्रों से अच्छा एक गुणी पुत्र है क्योंकि एक चन्द्रमा ही रात्रि के अन्धकार को भगाता है, असंख्य तारे यह काम नहीं करते.

??? सुभाषितानि ???

गीता -: क्षेत्रक्षेत्रज्ञविभागयोग अo-13

पुरुषः प्रकृतिस्थो हि भुङ्‍क्ते प्रकृतिजान्गुणान्‌ ।,
कारणं गुणसंगोऽस्य सदसद्योनिजन्मसु ॥,

प्रकृति में (प्रकृति शब्द का अर्थ गीता अध्याय 7 श्लोक 14 में कही हुई भगवान की त्रिगुणमयी माया समझना चाहिए) स्थित ही पुरुष प्रकृति से उत्पन्न त्रिगुणात्मक पदार्थों को भोगता है और इन गुणों का संग ही इस जीवात्मा के अच्छी-बुरी योनियों में जन्म लेने का कारण है।, (सत्त्वगुण के संग से देवयोनि में एवं रजोगुण के संग से मनुष्य योनि में और तमो गुण के संग से पशु आदि नीच योनियों में जन्म होता है।,)॥,21॥,

?? दैनिक राशिफल ??

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

?आपका दिन मंगलमय हो?
?????????
आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)

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