इंडिया न्यूज ।
Why does Pregnancy Happen Even After Getting Copper T : प्रेग्नेंसी से बचने के लिए महिलाएं आपरेशन की बजाए कॉपर टी लगवाना ज्यादा महत्व देती है । लेकिन आजकल कॉपर टी लगवाने के बाद प्रेग्नेंट के काफी मामले सामने आ रहे है । आखिर क्यूं,आज हम आपको इसके बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी देते है । बच्चे के जन्म के बाद ज्यादातर महिलाएं गर्भनिरोधक के लिए कॉपर-टी का चुनाव करती हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह है कि बच्चे के जन्म के बाद महिलाएं इतनी व्यस्त हो जाती हैं कि उन्हें ये डर रहता है कहीं वे गोली खाना भूल न जाएं। कॉपर-टी लगाकर वो गर्भधारण के डर से तीन से पांच साल के लिए निश्चिंत हो जाती हैं। लेकिन हर महिला के साथ ऐसा नहीं होता, कॉपर-टी लगाने के बाद भी कई केसेस में प्रेग्नेंसी हो जाती है।
जहां महिला को पीसीओडी की तकलीफ थी और उसके पीरियड्स रेगुलर नहीं रहते थे। 2 बच्चों के जन्म के बाद 35 साल की उस महिला ने प्रेग्नेंसी से बचने के लिए कॉपर-टी लगाई। उसके पीरियड्स यूं भी नियमित नहीं रहते थे इसलिए उसने ध्यान नहीं दिया, लेकिन जब उसे चार-पांच महीने तक लगातार पीरियड्स नहीं आए और उल्टी, जी मिचलाना जैसी तकलीफें होने लगीं, तो उसने अपनी जांच कराई।
सोनोग्राफी में पता चला कि महिला प्रेग्नेंट है। प्रेग्नेंसी 22 हफ्ते से ज्यादा की हो चुकी थी इसलिए अबॉर्शन नहीं कर सकते थे। न चाहते हुए भी महिला को तीसरा बच्चा प्लान करना पड़ा। महिला की लापरवाही के कारण प्रेग्नेंसी के शुरू के टेस्ट नहीं हो पाए और उसे न चाहते हुए भी तीसरे बच्चे को जन्म देना पड़ा।
कॉपर-टी लगाने के बावजूद यदि पीरियड्स नहीं आ रहे, तो महिलाएं घर पर खुद भी अपना प्रेग्नेंसी टेस्ट कर सकती हैं।
इस केस में यदि महिला की उम्र 45 से ज्यादा होती और बच्चे को डाउन सिंड्रोम होता, अबॉर्शन करना संभव न होता, तो जरा सी लापरवाही का नतीजा कितना तकलीफदेह हो सकता था। बड़ी उम्र की प्रेग्नेंसी में बच्चे में जेनेटिक प्रॉब्लम होती हैं इसलिए किसी भी कॉन्ट्रासेप्शन को लेकर लापरवाही नहीं करनी चाहिए। पीरियड्स न होने पर महिला को अपनी जांच जरूर करनी चाहिए।
कॉपर-टी के बावजूद गर्भधारण की कई वजहें हैं। कई बार हैवी पीरियड्स के साथ कॉपर-टी भी शरीर से बाहर आ जाती है या अपनी जगह से सरक जाती है। कई बार ऐसा भी होता है कि कॉपर-टी खिसक कर पेट या आंतों में फंस जाती है, ऐसी स्थिति में सर्जरी करानी पड़ती है। सबसे नुकसानदायक वह स्थिति होती है जब प्रेग्नेंसी की बात बहुत देर से पता चलती है और तब गर्भपात कराना संभव नहीं होता। ऐसी स्थिति में गर्भाशय में शिशु भी होता है और कॉपर टी भी, जिससे इंफेक्शन, मिसकैरेज, प्रीमैच्योर डिलीवरी की संभावना बढ़ जाती है।
कई बार कॉपर-टी की एक्सपायरी डेट निकल जाती है और महिला को याद ही नहीं रहता, ऐसी स्थिति में प्रेग्नेंसी और इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। महिलाओं को हर स्टेज में अपने पीरियड्स की जांच करते रहना चाहिए। भले ही आपके पीरियड्स रेगुलर न हों, तब भी पीरियड्स रुकने पर दूसरे महीने में प्रेग्नेंसी टेस्ट जरूर कर लेना चाहिए। यदि गर्भ ठहरने की बात जल्दी पता चल जाती है तो सिर्फ गोली खाकर प्रेग्नेंसी को रोका जा सकता है, लेकिन देर होने पर कुछ नहीं किया जा सकता।
ज्यादातर केसेस में 40-50 की उम्र के बीच महिलाओं में पेरी मेनोपॉजल बदलाव शुरू हो जाते हैं, पीरियड्स रेगुलर नहीं रहते। ऐसे में यदि गर्भ ठहर जाता है, तब भी महिला सोचती है कि उसके पीरियड्स रेगुलर नहीं है इसलिए ऐसा हो रहा है। फिर जब प्रेग्नेंसी के बारे में पता चलता है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। महिला हैरान रह जाती है कि आखिर ऐसा हुआ कैसे, इसलिए किसी भी उम्र में पीरियड्स को लेकर लापरवाही नहीं करनी चाहिए।
जब तक पूरे एक साल तक पीरियड्स नहीं रुकते, उसे मेनोपॉज नहीं माना जाता। ये एक साल महिलाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण है इसलिए सेहत या प्रेग्नेंसी को लेकर सतर्कता जरूरी है। भले ही आपने कॉपर-टी लगा रखी हो, फिर भी पीरियड्स मिस होने पर सजग रहें। जिन महिलाओं को पीसीओडी या थायरॉइड की तकलीफ है, उनके पीरियड्स भी रेगुलर नहीं रहते इसलिए उन्हें भी हमेशा सतर्क रहना चाहिए। महिलाएं हर महीने पीरियड्स के बाद योनि में उंगली डालकर चेक कर सकती हैं कि कॉपर-टी का धागा अंदर है या नहीं।
कॉन्ट्रासेप्शन के विकल्प के रूप में कॉपर-टी का चुनाव बहुत फायदेमंद है, क्योंकि इसके प्रयोग से तीन से पांच साल तक गर्भ नहीं ठहरता। इसके बावजूद महिलाओं को अपनी तरफ से जागरूक रहना चाहिए और समय-समय पर अपनी जांच करानी चाहिए।
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