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गुटों में बंटी हरियाणा कांग्रेस में कलह चरम पर, सैलजा ने की इस्तीफे की पेशकश

• LAST UPDATED : April 12, 2022

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हरियाणा में खेमों में बंटी कांग्रेस का संकट कम होने का नाम नहीं ले रहा। सैलजा के पद से इस्तीफ के चर्चा सुनकर कांग्रेस में हलचल मची हुई है। मालूम हो कि सोमवार को कांग्रेस की हरियाणा अध्यक्ष कुमारी सैलजा ने अपने पद से इस्तीफे की पेशकश हाईकमान से की। 

पवन शर्मा
चंडीगढ़। खेमों में बंटी कांग्रेस (Congress) का संकट कम होने का नाम नहीं ले रहा। सोमवार को कांग्रेस की हरियाणा अध्यक्ष कुमारी सैलजा (Kumari Selja) ने अपने पद से इस्तीफे की पेशकश हाईकमान से की है। पंजाब तथा उत्तराखंड में बदलाव के बाद यह तय है कि हरियाणा में भी बड़े बदलाव के संकेत हैं। इसमें अध्यक्ष के साथ-साथ सीएलपी लीडर भी शामिल हैं। कांग्रेस संगठन में भाारी बदलाव की हवा अब हरियाणाा में भी जोर से चलने लगी है। बताया जा रहा है कि एक सप्ताह के अंतराल में प्रदेश संगठन में अमूल चूल परिवर्तन होने जा रहा है। पंजाब व उत्तराखंड में बदलाव के बाद हरियाणा में इसकी आहट सुनकर वतर्मान प्रदेश अध्यक्षा कुमारी सैलजा भी आलाकमान के दरबार में जा धमकी। सूत्रों की मानें तो सैलजा पद छोड़ने को तैयार है, लेकिन उनका कहना है कि उन्हें धक्के से हटाना मंजूर नहीं है। वे चाहती हैं पहले उनका इस्तीफा स्वीकार किया जाए, इसके बाद राष्ट्रीय कार्यकारिणी में एडजस्ट कर दें, उसके बाद भले ही किसी को भी हरियाणा का मुखिया बना दें।

कांग्रेस में टकराव नहीं हो रहा कम

इसमें कोई दोराय नहीं कि हरियाणाा में कांग्रेस गुटों में बंटी हुई है। देसवाली बैल्ट की बात करें तो भूपेंद्र सिंंह हुड्डा, अहिरवाल में कैप्टन अजय यादव, जीटी बैल्ट पर रणदीप सुरजेवाला, हिसार में कुलदीप बिश्नोई व भिवानी में किरण चौधरी अपना-अपना खेमा लेकर बैठे हैं। कुमारी सैलजा प्रदेशाध्यक्ष के रूप में करीब दो साल से काबिज तो हैं लेकिन प्रदेश कांग्रेस में उनकी आवाज शायद ही कोई बड़ा नेता सुनता होगा। इसका उदाहरण हाल ही में महंगाई को लेकर प्रदर्शन में भी देखने को मिला। लगभग 2 दर्जन विधायकों का खेमा प्रदर्शन से दूर रहा।

कई दिनों से चल रही बदलाव की मांग

अब कांग्रेस में बदलाव की मांग तेजी से उठी है। अगर यह बदलाव होता है तो यह अशोक तंवर के बाद दूसरे दलित की बलि होगी। बदलाव के कयासों को इसलिए भी हवा मिली कि भाजपा ने हाल ही में उत्तर प्रदेश सहित गोवा, उत्तराखंड व मणीपुर में पचास से कम उम्र के नेताओं को सीएम बनाया है। इसी राह पर चलते हुए कांग्रेस ने पंजाब व उत्तराखंड में जवान प्रदेशाध्यक्ष दे दिए। इस बात को देखकर ही हरियाणाा में भी 50 से कम उम्र के नेता को अध्यक्ष बनाने की बात उठी तो सभी गुटों के कान खड़े हो गए। सभी ने आनन-फानन में दिल्ली की ओर अपनी गाड़ी का एक्सीलेटर दबा दिया। वर्तमान में सभी खेमों को पड़ाव दिल्ली में है। पुख्ता सूत्रों की मानें तो कुमारी सैलजा के साथ रणदीप सुरजेवाला, किरण चौधरी व कैप्टन अजय ने सुर मिलाया है। ये खेमा अपना अध्यक्ष चाहता है। हुड्डा खेमा अपने दो दर्जन विधायकों के साथा ताल ठोक रहा है। कुलदीप बिश्नोई ने करनाल में रैली की ताल ठोक एकला चलो की रणनीति अपना रखी है मगर दोनों खेमों में उनकी आवाजाही बताई जा रही है।

दीपेंद्र का नाम सोशल मीडिया में उछला

जैसे ही सैलजा के इस्तीफे का समाचार फैला तो साथ-साथ में नए अध्यक्ष पद पर दीपेंद्र (deepender singh hooda) की ताजपोशी होने की अफवाह भी खूब फैली। इसके अलावा कुलदीप को सीएलपी लीडर बनाने की झंडी हाईकमान ने दे दी है। मगर कांग्रेस के बड़े नेताओं का कहना है कि अभी ऐसा कुछ नहीं है। सभी बातें केवल हवा में ही फैलाई जा रही हैं। हकीकत यह है कि कांग्रेस हाईकमान ने क्या फैसला करना है, इसको किसी को भी इलम नहीं है।

हुड्डा को जी-23 के नेताओं का साथ देना पड़ सकता है भारी

पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा (Former CM Bhupinder Singh Hooda) को जी 23 का साथ देने का भय अब सताने लगा है। कांग्रेस हाईकमान की बात की जाए तो किसी से सोनिया नाराज है तो किसी से राहुल। इसी ऊहापोह में बदलाव की बयार जरूर तेजी से चल निकली है, मगर ऊंट किस करवट बैठेगा यह कहा नहीं जा सकता।

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