इंडिया न्यूज़, World Day Against Child Labour 2022: बाल श्रम हमारे देश के कई बड़े मुद्दों में से एक है। बाल श्रम की सबसे बड़ी कमजोरी देश की गरीबी माना जाता है जो कम उम्र के बच्चों को काम करने के लिए मजबूर करती है। बाल श्रम का प्रभाव बच्चों के मानसिक और शारीरिक रूप के लिए हानिकारक है। बात दे की बच्चों की स्कूली शिक्षा में बाधा डालना भी बाल श्रम माना जाता है।
भारत में कम उम्र के बच्चों से जबरन काम करवाना अपनाध माना जाता है, अगर कोई ऐसा करता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। बाल श्रम मनाने के पिछे को उद्देश्य लोगों को इसके बारे में जागरूकता पैदा करना है इसलिए दुनिया भर में हर साल 12 जून को बाल श्रम के खिलाफ विश्व दिवस मनाया जाता है। आईए जानते है कैसे हुई थी इस दिन की शुरूआत और क्या है इस बार इसकी थीम
इंटरनेश्नल श्रम संघ संगठन ने पहली बार बाल श्रम को रोकने का मुद्दा उठाया था, जिसके बाद 12 जून 2002 में इंटरनेश्नल श्रम संगठन, एक संयुक्त राष्ट्र निकाय द्वारा बाल श्रम के खिलाफ विश्व दिवस के रूप में मनाने का कानून बनाया गया था। जिसके तहत 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से मजदूरी करवाना अपराध माना गया है। इसके अलावा यह कानून मजदूरी, काम के घंटे, अनुकूल वातावरण इत्यादि मामलों पर भी जरूरी गाइडलाइंस भी देता रहता है।
देश में गरीबी बाल श्रम की सबसे बड़ी वजह मानी जाती है। जिसके कारण बच्चे शिक्षा छोड़कर काम करने के लिए मजबूर हो जाते है। यह उन अभियानों, कार्यक्रमों और कार्यक्रमों के साथ मनाया जाता है, जो नकारात्मक मानसिक और शारीरिक चिंताओं के मुद्दे को संबोधित करते हैं, जो बच्चे दुनिया भर में बाल श्रम में धकेले जाते हैं। इसलिए इस दिन को विश्व स्तर पर मनाए जाने का उद्देश्य इन्हीं चीजों के ऊपर लोगों का ध्यान आकर्षित करना है, जिससे बच्चों को बाल श्रम से रोका जा सके।
इस साल बाल श्रम निषेद दिवस 2022 का थीम “बाल श्रम को समाप्त करने के लिए सार्वभौमिक सामाजिक संरक्षण” है।