*** महर्षि पाराशर पंचांग ***
*** अथ पंचांगम् ***
****ll जय श्री राधे ll****
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दिनाँक:-26/06/2022, रविवार
अष्टमी, कृष्ण पक्ष,
आषाढ़
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
*** दैनिक राशिफल ***
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।
आपके शारीरिक बीमारी से उबरने की संभावना अधिक है जो आपको खेल प्रतियोगिता में भाग लेने में सक्षम बनाएगी। आप शानदार नए विचारों के साथ आएंगे जो वित्तीय लाभ लाएंगे। युवा स्कूली परियोजनाओं पर कुछ सलाह ले सकते हैं। रोमांस सुखद और अत्यधिक रोमांचक होगा। आपको यह याद रखने की जरूरत है कि भगवान उनकी मदद करते हैं जो खुद की मदद करते हैं। जीवनसाथी के प्यार से आज आप अपने जीवन की सारी मुश्किलें भूल जाएंगे। स्वास्थ्य में सुधार के लिए आज आप किसी पार्क या जिम जा सकते हैं।
तिथि———एकादशी 23:11:47 तक
पक्ष————————- कृष्ण
नक्षत्र——— अश्विनी 08:02:36
योग———— सुकर्मा 29:11:53
करण————– बव 10:22:29
करण———– बालव 23:11:47
वार————————रविवार
माह———————— आषाढ
चन्द्र राशि——————– मेष
सूर्य राशि——————– मिथुन
रितु————————– ग्रीष्म
सायन————————- वर्षा
आयन—————— दक्षिणायन
सायन—————– दक्षिणायण
संवत्सर———————– नल
संवत्सर (उत्तर)—————– राक्षस
विक्रम संवत—————- 2079
विक्रम संवत (कर्तक)——— 2078
शक संवत—————– 1944
***वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:26:26
सूर्यास्त————— 19:16:50
दिन काल————- 13:50:24
रात्री काल————- 10:09:51
चंद्रास्त—————- 15:15:49
चंद्रोदय—————- 26:29:55
लग्न—- मिथुन 8°20′ , 68°20′
सूर्य नक्षत्र—————— आर्द्रा
चन्द्र नक्षत्र—————— अश्विनी
नक्षत्र पाया——————- स्वर्ण
*** पद, चरण ***
ला—- अश्विनी 08:02:36
ली—- भरणी 14:35:03
लू—- भरणी 21:09:17
ले—- भरणी 27:45:10
*** ग्रह गोचर ***
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
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सूर्य=मिथुन 08:12 आर्द्रा , 1 कु
चन्द्र = मीन 12°23 अश्विनी, 4 ला
बुध =वृषभ 16 ° 07′ रोहिणी ‘ 3 वी
शुक्र=वृषभ 07°05, कृतिका ‘ 4 ए
मंगल=मीन 27°30 ‘ रेवती ‘ 4 ची
गुरु=मीन 12°30 ‘ उ o भा o, 3 झ
शनि=कुम्भ 00°33 ‘ उ o भा o ‘ 3 गु
राहू=(व) मेष 26°10’ भरणी , 4 लो
केतु=(व) तुला 26°10 विशाखा , 2 तू
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*** मुहूर्त प्रकरण ***
राहू काल 10:38 – 12:22 अशुभ
यम घंटा 15:49 – 17:33 अशुभ
गुली काल 07:10 – 08:54 अशुभ
अभिजित 11:54 -12:49 शुभ
दूर मुहूर्त 08:13 – 09:08 अशुभ
दूर मुहूर्त 12:49 – 13:45 अशुभ
***गंड मूल 05:26 – 08:03 अशुभ
***चोघडिया, दिन
चर 05:26 – 07:10 शुभ
लाभ 07:10 – 08:54 शुभ
अमृत 08:54 – 10:38 शुभ
काल 10:38 – 12:22 अशुभ
शुभ 12:22 – 14:05 शुभ
रोग 14:05 – 15:49 अशुभ
उद्वेग 15:49 – 17:33 अशुभ
चर 17:33 – 19:17 शुभ
***चोघडिया, रात
रोग 19:17 – 20:33 अशुभ
काल 20:33 – 21:49 अशुभ
लाभ 21:49 – 23:06 शुभ
उद्वेग 23:06 – 24:22* अशुभ
शुभ 24:22* – 25:38* शुभ
अमृत 25:38* – 26:54* शुभ
चर 26:54* – 28:10* शुभ
रोग 28:10* – 29:27* अशुभ
***होरा, दिन
शुक्र 05:26 – 06:36
बुध 06:36 – 07:45
चन्द्र 07:45 – 08:54
शनि 08:54 – 10:03
बृहस्पति 10:03 – 11:12
मंगल 11:12 – 12:22
सूर्य 12:22 – 13:31
शुक्र 13:31 – 14:40
बुध 14:40 – 15:49
चन्द्र 15:49 – 16:58
शनि 16:58 – 18:08
बृहस्पति 18:08 – 19:17
***होरा, रात
मंगल 19:17 – 20:08
सूर्य 20:08 – 20:58
शुक्र 20:58 – 21:49
बुध 21:49 – 22:40
चन्द्र 22:40 – 23:31
शनि 23:31 – 24:22
बृहस्पति 24:22* – 25:13
मंगल 25:13* – 26:03
सूर्य 26:03* – 26:54
शुक्र 26:54* – 27:45
बुध 27:45* – 28:36
चन्द्र 28:36* – 29:27
*** उदयलग्न प्रवेशकाल ***
मिथुन > 04:04 से 06:20 तक
कर्क > 06:20 से 08:44 तक
सिंह > 08:44 से 10:48 तक
कन्या > 10:48 से 13:04 तक
तुला > 13:04 से 15:19 तक
वृश्चिक > 15:19 से 17:34 तक
धनु > 17:34 से 19:44 तक
मकर > 19:44 से 21:26 तक
कुम्भ > 2126 से 23:00 तक
मीन > 23:00 से 00:26 तक
मेष > 00:26 से 02:10 तक
वृषभ > 02:10 से 04:04 तक
***विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
***दिशा शूल ज्ञान————-पश्चिम
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा काजू खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
***अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
15 + 11 + 6 + 1 = 33 ÷ 4 = 1 शेष
पाताल लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l
*** ग्रह मुख आहुति ज्ञान ***
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
राहु ग्रह मुखहुति
*** शिव वास एवं फल -:
26 + 26 + 5 = 57 ÷ 7 = 1 शेष
कैलाश वास = शुभ कारक
***भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
*** विशेष जानकारी ***
* योगिनी एकादशी व्रत (सर्वेषां)
*सर्वार्थ सिद्धि योग 08:04 तक
*वीरांगना दुर्गावती बलिदान दिवस
*** शुभ विचार ***
मूर्खश्चिरायुर्जातोऽपि तस्माज्जातमृतो वरः ।
मृतः स चाऽल्पदुःखाय यावज्जीवं जडोदहेत् ।।
।। चा o नी o।।
एक ऐसा बालक जो जन्मते वक़्त मृत था, एक मुर्ख दीर्घायु बालक से बेहतर है. पहला बालक तो एक क्षण के लिए दुःख देता है, दूसरा बालक उसके माँ बाप को जिंदगी भर दुःख की अग्नि में जलाता है.
*** सुभाषितानि ***
गीता -: श्रद्धात्रयविभागयोग अo-17
सद्भावे साधुभावे च सदित्यतत्प्रयुज्यते।,
प्रशस्ते कर्मणि तथा सच्छब्दः पार्थ युज्यते॥,
‘सत्’- इस प्रकार यह परमात्मा का नाम सत्यभाव में और श्रेष्ठभाव में प्रयोग किया जाता है तथा हे पार्थ! उत्तम कर्म में भी ‘सत्’ शब्द का प्रयोग किया जाता है।
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