होम / शहरी निकाय चुनाव में निर्दलीयों की जीत पर दोनों पार्टियां कांग्रेस और भाजपा जता रही अपना दावा

शहरी निकाय चुनाव में निर्दलीयों की जीत पर दोनों पार्टियां कांग्रेस और भाजपा जता रही अपना दावा

• LAST UPDATED : June 26, 2022

संबंधित खबरें

इंडिया न्यूज, Haryana News : हरियाणा के 46 शहरी निकायों में जीते निर्दलीय उम्‍मीदवाराें को लेकर कांग्रेस और भाजपा के बीच जंग शुरू हो गयी है। दोनों पार्टियां जीते निर्दलीयों पर अपना दावा कर रही हैं।

निर्दलीय जीते अधिकतर उम्मीदवारों पर अपनी दावेदारी जता रही कांग्रेस

कांग्रेस चुनाव में जीते निर्दलीय उम्मीदवारों पर अपना हक जता रही है। कांग्रेस कह रही है कि राज्यसभा चुनाव और संगठनात्मक गतिविधियों में बिजी होने के कारण वह शहरी निकाय चुनाव सिंबल पर नहीं लड़ पाई। निर्दलीय उम्मीदवार 52 प्रतिशत से ज्यादा वोटों पर जीते है।

कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने आंकड़ों के साथ भाजपा की दावेदारी पर अपने सवाल खड़े कर दिए हैं। दीपेंद्र का कहना है कि 2018 के निकाय चुनाव में भाजपा को 49 प्रतिशत वोट मिले थे, जबकि 2020 के निकाय चुनाव में यह वोट घटकर 39 प्रतिशत रह गये।

उन्‍होंने कहा कि 2022 के निकाय चुनाव में 2018 में मिले वोटों में 26 प्रतिशत ही वोट मिल पाए हैं। 2018 के निकाय चुनाव में भाजपा को मिले 49 प्रतिशत वोट के बाद विधानसभा चुनाव में 40 सीटें आई। इसका अंदाजा जनता खुद लगा सकती है कि 26 प्रतिशत वोट के साथ भाजपा कितना नीचे जायेगी।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि 2018 में निर्दलीय उम्मीदवारों को 29.4 प्रतिशत वोट मिले, जो 2020 में बढ़कर 37.9 प्रतिशत हो गये और इस बार के चुनाव में यह प्रतिशत 52.2 पर पहुंच गया है। सीएम के इलाके करनाल में असंध, निसिंग और तरवाड़ी में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा, जबकि उप मुख्यमंत्री के हलके उचाना में जजपा प्रत्याशी को तगड़ी हार का सामना करना पड़ा है।

यह भी पढ़ें: Bank Holidays July 2022: जुलाई में 14 दिन बंद रहेंगे बैंक, देखिये बैंकों की छुट्टियों की लिस्ट

कांग्रेस को इतना गुमान था तो मैदान से क्यों भाग गयी : धनखड़

हरियाणा भाजपा के अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ और प्रवक्ता सुदेश कटारिया को कांग्रेस नेताओं के दावों पर कड़ी आपत्ति है। धनखड़ ने कहा अगर कांग्रेस में चुनाव जितने का साहस होता तो मैदान के बीच से नहीं भागती। कटारिया का कहना है निकायों में एक सीट पर कई-कई दावेदार थे।

उनका कहना है कि भाजपा व जजपा के अधिकृत प्रत्याशियों के अलावा इन दोनों दलों की विचारधारा के निर्दलीय उम्मीदवारों से चुनाव जीते हैं, जो गठबंधन की सरकार में आस्था जता रहे हैं। धनखड़ और कटारिया का कहना है कि कांग्रेस को अपने वोट बैंक पर इतना गुमान था तो राहुल गांधी से ईडी की पूछताछ और राज्यसभा चुनाव में बिजी होने का बहाना न बनाती बल्कि चुनाव लड़ती।

यह भी पढ़ें: जानिये पेट्रोल डीजल की लेटेस्ट कीमतें, आज क्या हैं दाम

Connect With Us : Twitter Facebook

Tags:

ADVERTISEMENT

लेटेस्ट खबरें

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT