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पंडित जसराज के गांव पीली मंदोरी में मातम, कभी गांव को नहीं भूले सुरों के सरताज

• LAST UPDATED : August 18, 2020

फतेहाबाद/जितेंद्र मोंगा: सुरों के सरताज पद्म विभूषण पंडित जसराज की मौत के बाद आज उनके पैतृक गांव पीली मंदोरी में भी गम का माहौल दिखा। गांव के लोगों की आंखें नम दिखीं, गांव के लोगों का कहना था कि आज उन्होंने एक महान शख्सियत को खो दिया है। गांव पीली मंदोरी पंडित जसराज का पैतृक गांव है, इसी गांव में पंडित जसराज का जन्म हुआ था, जिसके बाद वह हैदराबाद चले गए और हैदराबाद से कोलकाता । उन्होंने अपने बड़े भाई से संगीत सीखा। इसके बाद पंडित जसराज सुरों के सरताज बने। पंडित जसराज एक ऊंचाई पर पहुंचने के बाद भी अपने गांव को नहीं भूले थे और जब भी गांव में आते थे गांव वालों के साथ मिलकर बैठते थे और दुख सुख सांझा करते थे।

पंडित जसराज के भतीजे पंडित राम कुमार ने बताया कि उनके चाचा एक महान शख्सियत थे और वह गांव को नहीं भूले थे जब भी वह गांव में आते थे तो गांव की नहर में नहाते थे। गांव में आकर वह कॉफी पीते थे और कॉफी के काफी शौकीन थे। पंडित जसराज गांव में हलवा और चूरमा भी खाते थे।

पंडित जसराज के साथी गांव के पूर्व सरपंच राममूर्ति बागड़िया ने बताया कि पंडित जसराज से उनकी कई बारी बात हुई है। जब भी पंडित जसराज गांव में आते थे तो उन्हें मिले बिना नहीं जाते थे। 5 वर्ष पहले भी पंडित जसराज गांव में आए और गांव में उनका जन्मदिन मनाया गया और इस अवसर पर स्कूल के बच्चों को 86 किलो बूंदी भी बांटी गई थी। राममूर्ति ने बताया कि गांव पंडित जसराज के दिल में बसा था। पंडित जसराज का जन्म इसी गांव में हुआ था उसके बाद में है हैदराबाद चले गए यह हैदराबाद से वह कोलकाता चले गए। जिस समय पंडित जसराज की शादी हुई उस समय गांव से पांच लोगों को न्योता भेजा गया था और गांव के लोग उस शादी में शामिल भी हुए थे, जिनमें से उनके पिता भी एक थे, जो कि पंडित जसराज की शादी में गए थे।

ग्रामीण शिव कुमार ने बताया कि पंडित जसराज के गांव पर कई अहसान है, आज गांव वाले उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दे रहे है और दुख में है। शिव कुमार की आंखें भी नजर आई। शिवकुमार ने कहा कि पंडित जसराज का जाना पूरे देश के लिए एक क्षति है, उन्होंने पूरे गांव का नाम रोशन किया था, उन्होंने पूरे गांव की ओर से दुख जाहिर किया।