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आज का कुंभ राशिफल 04 जुलाई 2022

• LAST UPDATED : July 4, 2022

***|| जय श्री राधे ||***

*** महर्षि पाराशर पंचांग ***
*** अथ पंचांगम् ***
****ll जय श्री राधे ll****
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दिनाँक:-04/07/2022, सोमवार
पंचमी, शुक्ल पक्ष,
आषाढ
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)

** दैनिक राशिफल **

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

कुंभ 

आज का दिन आपके लिए भाग्य के दृष्टिकोण से उत्तम रहेगा। विदेशों से आयात निर्यात का व्यवसाय कर रहे लोगों के लिए दिन उत्तम रहेगा। आय में निश्चितता रहेगी। समय शीघ्र सुधरेगा। विवाद को बढ़ावा न दें। बेवजह कहासुनी हो सकती है। स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। थकान व कमजोरी रह सकते हैं। लेन-देन में जल्दबाजी न करें। धनहानि की आशंका है। व्यापार-व्यवसाय में धीमापन रह सकता है। आपको अपने समय का सदुपयोग करना होगा, तभी आप किसी कार्य को सफल कर पाएंगे। कार्यक्षेत्र में आपको उच्च अधिकारियों की कृपा से किसी नए पद की प्राप्ति हो सकती है। आपको दिनभर लाभ के अवसर मिलते रहेंगे, जिससे आपके धन कोष में भी वृद्धि होगी। यदि आप किसी यात्रा पर जाने की तैयारी कर रहे हैं, तो वह आपके लिए लाभदायक रहेगी। आपकी अध्यात्म के प्रति रुचि बढ़ेगी।

तिथि———–पंचमी 18:32:12 तक
पक्ष———————— शुक्ल
नक्षत्र————- माघ 08:42:31
योग———— सिद्वि 12:20:03
करण————– बव 05:52:35
करण———– बालव 18:32:12
वार———————– सोमवार
माह———————– आषाढ
चन्द्र राशि—————— सिंह
सूर्य राशि——————- मिथुन
रितु————————– ग्रीष्म
सायन————————- वर्षा
आयन——————- उत्तरायण
सायन—————– दक्षिणायण
संवत्सर———————– नल
संवत्सर (उत्तर) ——————-राक्षस
विक्रम संवत—————- 2079
विक्रम संवत (कर्तक)——— 2078
शक संवत—————– 1944

वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:29:46
सूर्यास्त————— 19:17:23
दिन काल————- 13:47:37
रात्री काल————- 10:12:47
चंद्रोदय————— 09:49:02
चंद्रास्त—————- 23:01:42

लग्न—- मिथुन 17°52′ , 77°52′

सूर्य नक्षत्र—————— आर्द्रा
चन्द्र नक्षत्र——————- मघा
नक्षत्र पाया——————- रजत

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*** पद, चरण ***

मे—- मघा 08:42:31

मो—- पूर्वाफाल्गुनी 15:11:58

टा—- पूर्वा फाल्गुनी 21:39:38

टी—- पूर्वा फाल्गुनी 28:05:26

*** ग्रह गोचर ***

ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य=मिथुन 17:12 आर्द्रा , 4 छ
चन्द्र = सिंह 11°23, मघा , 4 मे
बुध =मिथुन 03 ° 07′ मृगशिरा ‘ 4 की
शुक्र=वृषभ 18°05, रोहिणी ‘ 3 वी
मंगल=मेष 04°30 ‘ अश्विनी ‘ 2 चे
गुरु=मीन 13°30 ‘ उ o भा o, 4 ञ
शनि=कुम्भ 00°33 ‘ उ o भा o ‘ 3 गु
राहू=(व) मेष 25°40’ भरणी , 4 लो
केतु=(व) तुला 25°40 विशाखा , 2 तू

*** मुहूर्त प्रकरण ***

राहू काल 07:13 – 08:57 अशुभ
यम घंटा 10:40 – 12:24 अशुभ
गुली काल 14:07 – 15:50। अशुभ
अभिजित 11:56 – 12:51 शुभ
दूर मुहूर्त 12:51 – 13:46 अशुभ
दूर मुहूर्त 15:37 – 16:32 अशुभ

*** गंड मूल 05:30 – 08:43 अशुभ

*** चोघडिया, दिन
अमृत 05:30 – 07:13 शुभ
काल 07:13 – 08:57 अशुभ
शुभ 08:57 – 10:40 शुभ
रोग 10:40 – 12:24 अशुभ
उद्वेग 12:24 – 14:07 अशुभ
चर 14:07 – 15:50 शुभ
लाभ 15:50 – 17:34 शुभ
अमृत 17:34 – 19:17 शुभ

*** चोघडिया, रात
चर 19:17 – 20:34 शुभ
रोग 20:34 – 21:51 अशुभ
काल 21:51 – 23:07 अशुभ
लाभ 23:07 – 24:24* शुभ
उद्वेग 24:24* – 25:40* अशुभ
शुभ 25:40* – 26:57* शुभ
अमृत 26:57* – 28:14* शुभ
चर 28:14* – 29:30* शुभ

*** होरा, दिन
चन्द्र 05:30 – 06:39
शनि 06:39 – 07:48
बृहस्पति 07:48 – 08:57
मंगल 08:57 – 10:06
सूर्य 10:06 – 11:15
शुक्र 11:15 – 12:24
बुध 12:24 – 13:33
चन्द्र 13:33 – 14:42
शनि 14:42 – 15:50
बृहस्पति 15:50 – 16:59
मंगल 16:59 – 18:08
सूर्य 18:08 – 19:17

*** होरा, रात
शुक्र 19:17 – 20:08
बुध 20:08 – 20:59
चन्द्र 20:59 – 21:51
शनि 21:51 – 22:42
बृहस्पति 22:42 – 23:33
मंगल 23:33 – 24:24
सूर्य 24:24* – 25:15
शुक्र 25:15* – 26:06
बुध 26:06* – 26:57
चन्द्र 26:57* – 27:48
शनि 27:48* – 28:39
बृहस्पति 28:39* – 29:30

*** उदयलग्न प्रवेशकाल ***

मिथुन > 03:27 से 05:48 तक
कर्क > 05:48 से 08:12 तक
सिंह > 08:12 से 10:16 तक
कन्या > 10:16 से 12:32 तक
तुला > 12:32 से 14:47 तक
वृश्चिक > 14:47 से 17:02 तक
धनु > 17:02 से 19:12 तक
मकर > 19:12 से 20:54 तक
कुम्भ > 20:54 से 22:28 तक
मीन > 22:28 से 22:58 तक
मेष > 22:58 से 01:38 तक
वृषभ > 01:38 से 03:27 तक

*** विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार

(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट

नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

*** दिशा शूल ज्ञान————-पूर्व
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा काजू खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll

*** अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।

5 + 2 + 1 = 8 ÷ 4 = 0 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l

*** ग्रह मुख आहुति ज्ञान ***

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है

बुध ग्रह मुखहुति

*** शिव वास एवं फल -:

5 + 5 + 5 = 15 ÷ 7 =1 शेष

कैलाश वास = शुभ कारक

*** भद्रा वास एवं फल -:

स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।

*** विशेष जानकारी ***

*हेरा पंचमी (बंगाल)

*द्वारिकाधीश पाटोत्सव

*स्कंध पंचमी

* बल्लभाचार्य वैकुंठवास

*स्वामी विवेकानंद पुण्य तिथि

* टेऊराम जयंती

*** शुभ विचार ***

रूपयौवनसम्पन्ना विशालकुलसम्भवाः ।
विद्याहीना न शोभन्ते निर्गन्धा इवकिशुकाः ।।
।। चा o नी o।।
रूप और यौवन से सम्पन्न तथा कुलीन परिवार में जन्मा लेने पर भी विद्या हीन पुरुष पलाश के फूल के समान है जो सुन्दर तो है लेकिन खुशबु रहित है.

*** सुभाषितानि ***

गीता -: मोक्षसान्यांसयोग अo-18

दुःखमित्येव यत्कर्म कायक्लेशभयात्त्यजेत्‌ ।,
स कृत्वा राजसं त्यागं नैव त्यागफलं लभेत्‌ ॥,

जो कुछ कर्म है वह सब दुःखरूप ही है- ऐसा समझकर यदि कोई शारीरिक क्लेश के भय से कर्तव्य-कर्मों का त्याग कर दे, तो वह ऐसा राजस त्याग करके त्याग के फल को किसी प्रकार भी नहीं पाता॥

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