** महर्षि पाराशर पंचांग **
*** अथ पंचांगम् ***
****ll जय श्री राधे ll****
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दिनाँक:-13/07/2022, बुधवार
पूर्णिमा, शुक्ल पक्ष,
आषाढ
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।
आज आप अपने प्रियजनों की सेहत के प्रति चिंतित रहेंगे। नौकरी में कार्यरत लोगों को उनका कोई साथी अपनी बातों में बहला-फुसलाकर कार्य नहीं करने देगा, लेकिन आपको ऐसा नहीं करना है। कानूनी अड़चन दूर होकर लाभ की स्थिति बनेगी। शत्रु पस्त होंगे। प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी। व्यापार लाभदायक रहेगा। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। भाइयों का सहयोग प्राप्त होगा। मानसिक बेचैनी रहेगी। सभी तरफ से सफलता प्राप्त होगी। नौकरी में प्रभाव बढ़ेगा। ऐश्वर्य के साधनों पर अधिक व्यय होगा। आपके ऊपर जिम्मेदारियों का बोझ बढ़ेगा। यदि आपने पहले कभी निवेश किया था ,तो वह आज आपको दुगना होकर वापस मिलेगा। संतान की शिक्षा से संबंधित आप कुछ समस्याओं को लेकर उनके गुरुजनों से बातचीत कर सकते हैं। नवविवाहित जातक आज कहीं डिनर डेट पर जा सकते हैं।
तिथि———- पूर्णिमा 24:06:29 तक
पक्ष————————- शुक्ल
नक्षत्र——– पूर्वाषाढा 23:17:26
योग————- ऐन्द्र 12:42:56
करण——- विष्टि भद्र 14:03:36
करण————– बव 24:06:29
वार———————— बुधवार
माह———————– आषाढ
चन्द्र राशि———-धनु 28:31:37
चन्द्र राशि——————- मकर
सूर्य राशि—————— मिथुन
रितु————————– ग्रीष्म
सायन———————— वर्षा
सायन—————- दक्षिणायण
संवत्सर—————– शुभकृत
संवत्सर (उत्तर) ——————–नल
विक्रम संवत————— 2079
विक्रम संवत (कर्तक)——— 2078
शक संवत—————– 1944
वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:33:45
सूर्यास्त————— 19:16:00
दिन काल————- 13:42:15
रात्री काल————- 10:18:13
चंद्रास्त————— 05:52:57
चंद्रोदय—————- 19:15:25
लग्न—- मिथुन 26°27′ , 86°27′
सूर्य नक्षत्र—————– पुनर्वसु
चन्द्र नक्षत्र—————- पूर्वाषाढा
नक्षत्र पाया——————– ताम्र
**** पद, चरण ****
भू—- पूर्वाषाढा 07:35:04
धा—- पूर्वाषाढा 12:49:21
फा—- पूर्वाषाढा 18:03:24
ढा—- पूर्वाषाढा 23:17:26
भे—- उत्तराषाढा 28:31:37
**** ग्रह गोचर ****
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
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सूर्य=मिथुन 26:12 पुनर्वसु , 2 को
चन्द्र = धनु 15°23, पूर्वाषाढा , 1 भू
बुध =मिथुन 21 ° 07′ पुनर्वसु ‘ 1 के
शुक्र=वृषभ 29°05, मृगशिरा ‘ 2 वो
मंगल=मेष 11°30 ‘ अश्विनी ‘ 4 ला
गुरु=मीन 14°30 ‘ उ o भा o, 4 ञ
शनि=कुम्भ 00°33 ‘ उ o भा o ‘ 3 गु
राहू=(व) मेष 25°10’ भरणी , 4 लो
केतु=(व) तुला 25°10 विशाखा , 2 तू
**** मुहूर्त प्रकरण ****
राहू काल 12:25 – 14:08 अशुभ
यम घंटा 07:17 – 08:59 अशुभ
गुली काल 10:42 – 12: 25अशुभ
अभिजित 11:57 – 12:52 अशुभ
दूर मुहूर्त 11:57 – 12:52 अशुभ
**** चोघडिया, दिन
लाभ 05:34 – 07:17 शुभ
अमृत 07:17 – 08:59 शुभ
काल 08:59 – 10:42 अशुभ
शुभ 10:42 – 12:25 शुभ
रोग 12:25 – 14:08 अशुभ
उद्वेग 14:08 – 15:50 अशुभ
चर 15:50 – 17:33 शुभ
लाभ 17:33 – 19:16 शुभ
**** चोघडिया, रात
उद्वेग 19:16 – 20:33 अशुभ
शुभ 20:33 – 21:51 शुभ
अमृत 21:51 – 23:08 शुभ
चर 23:08 – 24:25* शुभ
रोग 24:25* – 25:42* अशुभ
काल 25:42* – 26:59* अशुभ
लाभ 26:59* – 28:17* शुभ
उद्वेग 28:17* – 29:34* अशुभ
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**** होरा, दिन
बुध 05:34 – 06:42
चन्द्र 06:42 – 07:51
शनि 07:51 – 08:59
बृहस्पति 08:59 – 10:08
मंगल 10:08 – 11:16
सूर्य 11:16 – 12:25
शुक्र 12:25 – 13:33
बुध 13:33 – 14:42
चन्द्र 14:42 – 15:50
शनि 15:50 – 16:59
बृहस्पति 16:59 – 18:07
मंगल 18:07 – 19:16
**** होरा, रात
सूर्य 19:16 – 20:08
शुक्र 20:08 – 20:59
बुध 20:59 – 21:51
चन्द्र 21:51 – 22:42
शनि 22:42 – 23:34
बृहस्पति 23:34 – 24:25
मंगल 24:25* – 25:17
सूर्य 25:17* – 26:08
शुक्र 26:08* – 26:59
बुध 26:59* – 27:51
चन्द्र 27:51* – 28:43
शनि 28:43* – 29:34
**** उदयलग्न प्रवेशकाल ****
मिथुन > 02:55 से 05:07 तक
कर्क > 05:07 से 07:34 तक
सिंह > 07:34 से 09:36 तक
कन्या > 09:36 से 11:52 तक
तुला > 11:52 से 14:05 तक
वृश्चिक > 14:05 से 16:18 तक
धनु > 16:18 से 18:34 तक
मकर > 18:34 से 20:18 तक
कुम्भ > 20:18 से 21:52 तक
मीन > 21:52 से 22:24 तक
मेष > 22:24 से 00:58 तक
वृषभ > 00:58 से 02:55 तक
**** विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
नोट— दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
**** दिशा शूल ज्ञान————-उत्तर
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो पान अथवा पिस्ता खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
**** अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
15 + 4 + 1 = 20 ÷ 4 = 0 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
**** ग्रह मुख आहुति ज्ञान ****
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
चन्द्र ग्रह मुखहुति
**** शिव वास एवं फल -:
15 + 15 + 5 = 35 ÷ 7 = 0 शेष
शमशान वास = मृत्यु कारक
**** भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
दोपहर 14:03 तक समाप्त
पाताल लोक = धनलाभ कारक
**** विशेष जानकारी ****
* आषाढी सत्य पूर्णिमा व्रत
* श्रीगुरु पूर्णिमा महापर्व
* व्यास पूर्णिमा (व्यास पूजन)
*मुड़िया पूनो
*वृन्दावन परिक्रमा
*गज ग्राह लीला (रंगजी मंदिर)
**** शुभ विचार ****
लालयेत्पञ्चवर्षाणि दश वर्षाणि ताडयेत् ।
प्राप्ते तु षोडशे वर्षे पुत्रं मित्रवदाचरेत् ।।
।। चा o नी o।।
पांच साल तक पुत्र को लाड एवं प्यार से पालन करना चाहिए, दस साल तक उसे छड़ी की मार से डराए. लेकिन जब वह १६ साल का हो जाए तो उससे मित्र के समान वयवहार करे.
**** सुभाषितानि ****
गीता -: मोक्षसान्यांसयोग अo-18
यस्य नाहङ्कृतो भावो बुद्धिर्यस्य न लिप्यते ।,
हत्वापि स इमाँल्लोकान्न हन्ति न निबध्यते ॥,
जिस पुरुष के अन्तःकरण में ‘मैं कर्ता हूँ’ ऐसा भाव नहीं है तथा जिसकी बुद्धि सांसारिक पदार्थों में और कर्मों में लिपायमान नहीं होती, वह पुरुष इन सब लोकों को मारकर भी वास्तव में न तो मरता है और न पाप से बँधता है।, (जैसे अग्नि, वायु और जल द्वारा प्रारब्धवश किसी प्राणी की हिंसा होती देखने में आए तो भी वह वास्तव में हिंसा नहीं है, वैसे ही जिस पुरुष का देह में अभिमान नहीं है और स्वार्थरहित केवल संसार के हित के लिए ही जिसकी सम्पूर्ण क्रियाएँ होती हैं, उस पुरुष के शरीर और इन्द्रियों द्वारा यदि किसी प्राणी की हिंसा होती हुई लोकदृष्टि में देखी जाए, तो भी वह वास्तव में हिंसा नहीं है क्योंकि आसक्ति, स्वार्थ और अहंकार के न होने से किसी प्राणी की हिंसा हो ही नहीं सकती तथा बिना कर्तृत्वाभिमान के किया हुआ कर्म वास्तव में अकर्म ही है, इसलिए वह पुरुष ‘पाप से नहीं बँधता’।,)॥,17॥,
****आपका दिन मंगलमय हो ****
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आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)
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